आवेदन के समय मोबाइल पर ओटीपी आएगा, जिसके बाद आवेदन की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। सात फेरे लेने वाले जोड़े सही है, इसकी पुष्टि के लिए समाज कल्याण विभाग ने लखनऊ में एक कमांड कार्यालय बनाया
Mukhyamantri Samuhik Vivah Yojana : विवाह करने वाला शादीशुदा तो नहीं…बताएंगे पड़ोसी, MSVY में गड़बड़ी रोकने को सख्ती
Aug 03, 2024 09:24
Aug 03, 2024 09:24
- अब आधार लिंक मोबाइल नंबर होगा जरूरी
- आवेदन के समय मोबाइल पर आएगा ओटीपी
- ग्राम विकास अधिकारी घर जाकर जांचेगे आवेदन
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में गड़बड़ी रोकने के लिए सख्ती
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में गड़बड़ी रोकने के लिए सख्ती ज्यादा हो गई है। अब शादी का आवेदन करने वाले जोड़े का आधार लिंक कर मोबाइल पर ओटीपी से आवेदन की प्रक्रिया पूरी होगी। साथ ही ग्राम विकास अधिकारी की संस्तुति के अलावा जोड़े के छह पड़ोसियों से भी जानकारी जुटाई जाएगी, कि पात्र शादीशुदा तो नहीं है।
गाजियाबाद में सामूहिक विवाह योजना को लेकर 1400 का लक्ष्य
अनुदान के लिए आए दिन आने वाली गड़बड़ियों को रोकने के लिए से सख्ती की गई है। इस बार गाजियाबाद में सामूहिक विवाह योजना को लेकर 1400 का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में आवेदन आ रहे हैं। समाज कल्याण निदेशालय के अनुसार, सामूहिक विवाह का आयोजन किया जाना है। लेकिन आवेदन कम होने के कारण विभाग शादी कराने का निर्णय नहीं ले पाया है।
35 हजार की राशि दुल्हन के खाते में भेजी जाती है
अब नवंबर और दिसंबर माह में ही शादी का शुभ मुहूर्त है। विभाग अब नए आए आवेदन के सत्यापन की प्रक्रिया शुरू करेगा। ग्राम विकास अधिकारी शादी विवाह योजना के आवेदकों का घर जाकर सत्यापन करेंगे। इसके साथ छह पड़ोसियों से भी पूछताछ की जाएगी। पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद जोड़ों को सामूहिक विवाह योजना का लाभ देने की रिपोर्ट लगाएंगे। योजना में एक शादी पर 51 हजार रुपये खर्च होते हैं। इनमें से 35 हजार की राशि दुल्हन के खाते में भेजी जाती है। 10 हजार रुपये के उपहार और छह हजार अन्य खर्च के मद में होता है।
निदेशालय की टीम लेगी फीड बैक
सामूहिक विवाह योजना में अब आवेदन करने वाले लड़का और लड़की के पास आधार लिंक मोबाइल नंबर होना जरूरी है। आवेदन के समय मोबाइल पर ओटीपी आएगा, जिसके बाद आवेदन की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। सात फेरे लेने वाले जोड़े सही है, इसकी पुष्टि के लिए समाज कल्याण विभाग ने लखनऊ में एक कमांड कार्यालय बनाया है, जहां से पूछताछ होगी कि शादी की गई है या नहीं। विभाग की तरफ से रुपये मिले या नहीं। उपहार में क्या-क्या मिला।
पड़ोसियों की रिपोर्ट अहम होगी
गाजियाबाद जिला समाज कल्याण अधिकारी अमरजीत सिंह ने बताया कि सामूहिक विवाह में पारदर्शिता लाने के लिए यह निर्णय लिया है। पड़ोसियों की रिपोर्ट अहम होगी। कई जिलों में शादीशुदा जोड़े शामिल होने की शिकायतें आईं थीं। अब निदेशालय से वर और कन्या से फीड बैक लिया जाएगा।
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