विगत एक महीने से से खाने-पीने व सांस लेने की समस्या से परेशान थी। मरीज ने अपने इलाज हेतु विभिन्न जगहों पर संपर्क किया एवं दिखाया। परंतु मरीज को लाभ नहीं हो पा रहा था।
Meerut LLRM News : मेरठ के एलएलआरएम के चिकित्सकों ने किया कमाल, गुलन वेरी सिंड्रोम से पीडित मरीज का किया इलाज
Jan 25, 2025 10:04
Jan 25, 2025 10:04
- लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज में टैली आईसीयू में इलाज
- 16 साल की राखी को एक माह से थी गंभीर बीमारी से समस्या
- शरीर की पेरीफेरल नर्वस सिस्टम को प्रभावित कर रही थी बीमारी
रीड की हड्डी की जांच के बाद पता चला
मरीज मेडिकल कॉलेज मेरठ के सरदार वल्लभ भाई पटेल चिकित्सालय मेडिकल कॉलेज मेरठ में डॉ स्नेहलता वर्मा सह-आचार्य, मेडिसिन विभाग की यूनिट में भर्ती हुई। जहां एमआरआई व अन्य खून की जांच व रीड की हड्डी की जांच के बाद पता चला कि मरीज़ जी बी सिंड्रोम (गुलन वेरी सिंड्रोम) से पीड़ित है।
शरीर के तंत्रिका तंत्र की एक ऐसी बीमारी
टैली आईसीयू इंचार्ज व मेडिसिन विभाग के आचार्य डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि गुलन बैरी सिंड्रोम हमारे शरीर के तंत्रिका तंत्र की एक ऐसी बीमारी है जिसमें हमारे शरीर की पेरीफेरल नर्वस सिस्टम ज्यादा प्रभावित होता है जो हमारे शरीर के सेंसेशंस व मूवमेंट को नियंत्रित करता है यह एक आयूटो इम्यून डिजीज है यानी कि हमारा शरीर एक डिफेंस सिस्टम रखता है जिसे इम्यून सिस्टम कहते हैं इस बीमारी में हमारा इम्यून सिस्टम नर्वस सिस्टम की पेरीफेरल नर्व( बाहरी तंत्रिका तंत्र) के विरुद्ध में एंटीबॉडी बनाने लगता है जिससे पेरीफेरल नर्वस प्रभावित होती हैं जो हमारे शरीर में सेंसेशन व मूवमेंट को नियंत्रित करती हैं ।
जी बी सिंड्रोम अचानक से होने वाली व बहुत तेजी से बढ़ाने वाली एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी
जी बी सिंड्रोम अचानक से होने वाली व बहुत तेजी से बढ़ाने वाली एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी (Neurological Condition) है ,जो प्राय डायरिया यानी कि लूज मोशन या रेस्पिरेट्री इनफेक्शन या फ्लू वैक्सीन के बाद हो सकती है,
दोनों पैरों व टांगों की मांसपेशियां तेजी से कमजोर होने लगती
जी बी सिंड्रोम नामक बीमारी हमारे निचले हिस्से से शुरू होकर शरीर के ऊपर वाले हिस्से को कमजोर करती है, यानी की शुरुआत में शरीर के निचले हिस्से जैसे कि दोनों पैरों व टांगों की मांसपेशियां तेजी से कमजोर होने लगती है उसके बाद सांस लेने वाली मांसपेशियां व खाना चबाने व खाने वाली मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं जिससे मरीज को खड़े होने ,चलने, सांस लेने, खाना चबाने व निगलने में परेशानी होती है।
टैली आईसीयू में भर्ती होने वाली
टैली आईसीयू में भर्ती होने वाली, यह मरीज भी इसी तरह खाना खाने ,चबाने व निकालने तथा सांस लेने जैसी परेशानियों से ग्रस्त थी, धीरे-धीरे मरीज को सांस लेने में इतनी परेशानी होने लगी कि वह अपने आप से सांस भी नहीं ले पा रही थी, इसके पश्चात मरीज को वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। मरीज लगभग 15 दिन तक वेंटिलेटर पर रहा इसके बाद मरीज की Tracheostomy भी की गई ,जिसके पश्चात मरीज बीमारी से धीरे-धीरे बाहर आने लगा और उसके स्वास्थ्य में सुधार होने लगा।
मरीज को काफी महंगा इलाज भी दिया गया
मेडिसिन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ योगिता सिंह ने बताया कि अस्पताल में भर्ती के दौरान मरीज को काफी महंगा इलाज भी दिया गया, भारत सरकार की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत यह इलाज (आईबी आईजी इम्यूनोग्लोबिनस) तथा महंगे महंगे इंजेक्शंस सभी मरीज को मुफ़्त दिए गए। इस तरह मरीज़ का लगभग एक महीने टैली आईसीयू में सारा इलाज मुफ़्त ही दिया गया, लगभग 1 महीने से ज्यादा समय के बाद जब मरीज को छुट्टी की गयी तो मरीज व मरीज के तीमारदार बहुत भावुक व खुश थे। उन्होंने अस्पताल के सभी विशेषज्ञ चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ, कर्मचारियों, का बहुत-बहुत धन्यवाद व आभार प्रकट किया तथा सरकार की योजना एवं मेडिकल कॉलेज प्रशासन की प्रशंसा की।
प्राचार्य डॉ आर सी गुप्ता ने प्रोत्साहित किया।
प्राचार्य डॉ आर सी गुप्ता ने मेडिसिन विभाग, एनेस्थीसिया विभाग व टेली आईसीयू टीम को शुभकामनाएँ दी, साथ ही साथ इस तरह की गंभीर बीमारियों के सफल इलाज भविष्य में करने हेतु प्रोत्साहित किया।
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