Three New law : किसी भी थाने में दर्ज करा सकेंगे FIR, आम लोगों को मिलेगी ये सहूलियत

किसी भी थाने में दर्ज करा सकेंगे FIR, आम लोगों को मिलेगी ये सहूलियत
फ़ाइल फोटो | Three New law

Jun 29, 2024 15:35

शर्त रहेगी कि आरोपी का पुराना आपराधिक इतिहास न हो। इसी तरह से आपराधिक मुकदमों में तारीख पर तारीख वाला हिसाब-किताब नहीं चलेगा।

Jun 29, 2024 15:35

Short Highlights
  • नए कानून के तहत मुकदमा वापस लेना भी होगा आसान
  • वीडियो और फोटो को दी जाएगी नए कानून में जगह
  • जरूरी नहीं होगा कि जहां अपराध हुआ उसी से संबंधित थाने में तहरीर दें
Meerut News: देश में एक जुलाई से जुलाई से लागू होने वाले तीन कानून कई मायने में लोगों के लिए सहूलियत पहुंचाने वाले होंगे। इन तीन नए कानून का सबसे बड़ा फायदा घटना की एफआईआर को लेकर होगा। नए कानून के तहत मुकदमा वापस लेना आसान होगा। नए कानून में वीडियो और फोटो को नए कानून में जगह दी जाएगी। 

जीरो एफआईआर को कानूनी मान्यता दी गई
एक जुलाई से भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो जाएगा। पुराने तीन कानूनों में बदलाव से आम आदमी को सबसे बड़ा फायदा होगा। इसके तहत अब आम आदमी देश में कहीं से भी एफआईआर दर्ज करा सकेंगे। 
जरूरी नहीं होगा कि जहां अपराध हुआ है उसी से संबंधित थाने में एफआईआर के लिए तहरीर दी जाए। जीरो एफआईआर को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 173 के माध्यम से कानूनी मान्यता दी गई है।

मुकदमा वापस लेने की सहमति अदालत नहीं देगी
मेरठ बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा  ने बताया कि तीन नए कानून लागू होने के बाद मुकदमों को वापस लेना अब आसान नहीं होगा। अदालत में लंबित आपराधिक मुकदमे को वापस लेने के लिए पीड़ित को कोर्ट में अपनी बात रखने का मौका मिलेगा। पीड़ित को सुनवाई का अवसर दिए बिना मुकदमा वापस लेने की सहमति अदालत नहीं देगी।

हथकड़ी लगाए बगैर पुलिस थाने ले जाएगी
इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य जैसे कि वीडियो और फोटो इत्यादि को नए कानून में जगह दी गई है। मारपीट की छोटी घटनाओं, गालीगलौज या छोटे अपराध में जमानत टूटने के मामले में वारंटी को हथकड़ी लगाए बगैर पुलिस थाने ले जाएगी। शर्त रहेगी कि आरोपी का पुराना आपराधिक इतिहास न हो। इसी तरह से आपराधिक मुकदमों में तारीख पर तारीख वाला हिसाब-किताब नहीं चलेगा। तीन साल में मुकदमे का निस्तारण करने की बाध्यता नए कानून में होगी।

दुष्कर्म पीड़िता की बताई जगह पर पुलिस बयान दर्ज करेगी
अधिवक्ता वीके शर्मा ने बताया कि दुष्कर्म पीड़िता अब अपनी सुविधानुसार जगह पर बयान दर्ज करा सकेगी। उसको अब थाने या पुलिस अधिकारी के कार्यालय में जाने की जरूरत नहीं होगी। पीड़िता द्वारा बताई गई जगह पर पुलिस जाकर उसका बयान दर्ज कर सकेगी। उस दौरान पीड़िता के अभिभावक और महिला पुलिस की मौजूदगी जरूरी होगी। 

बयान की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग होगी
बयान की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग होगी। जिसे कोर्ट में सुरक्षित तरीके से दाखिल किया जाएगा। कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान किसी महिला का उपस्थित होना जरूरी होगा। चाहे वह महिला वकील हों या महिला पुलिस। दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के मामले में जांच दो माह के भीतर पूरी करने की बाध्यता होगी। नए कानून के तहत पीड़ित को 90 दिन के भीतर अपने मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार होगा। 

सड़क हादसे में मौत पर पांच साल की सजा और जुर्माना
अधिवक्ता राजेश शर्मा ने बताया कि अब तक सड़क हादसे में मौत की स्थिति में आरोप सिद्ध होने पर दोषी चालक को दो वर्ष की सजा से दंडित किया जाता था। नए कानून के तहत अब दोषी चालक पांच साल की सजा और जुर्मान लगाया जाएगा। इसी तरह से यदि डॉक्टर के उपेक्षापूर्ण कृत्य से किसी मरीज की मौत होगी तो दोष सिद्ध होने पर दो वर्ष की सजा और जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
 

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