कलेक्ट्रेट परिसर में ईवीएम के विरोध में एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन करते हुए लोगों ने चरणबद्ध आंदोलन की चेतावनी दी है। जिसके चलते आगामी 31 जनवरी को ईवीएम के विरोध में केन्द्रीय चुनाव आयोग कार्यालय, नई दिल्ली पर विशाल महामोर्चा निकाला जाएगा।
Sonbhadra News : ईवीएम के खिलाफ कलेक्ट्रेट पर विरोध प्रदर्शन, बेलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग
Jan 10, 2024 18:31
Jan 10, 2024 18:31
देशभर के जिलों में करेंगे धरना प्रदर्शन
भारत मुक्ति मोर्चा के संयोजक लक्ष्मी नारायण का कहना है कि ईवीएम के विरोध में चरणबद्ध आंदोलन के तहत "ईवीएम हटाओ, बेलेट पेपर लाओ और लोकतंत्र बचाओ" अभियान के अंतर्गत भारत के 567 जिलों के मुख्यालयों पर संगठन के द्वारा चरणबद्ध आंदोलन किया जा रहा है। भारत की सर्वोच्च न्यायपालिका ने 8 अक्टूबर 2013 को एक ऐतिहासिक जजमेंट देकर कहा था कि केवल ईवीएम मशीन से मुक्त निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव नहीं हो सकता है, इसलिए ईवीएम मशीन के साथ वीवीपैट मशीन लगाना अनिवार्य होगा इसमें वीवीपैट की पर्चियों का सौ फीसदी मिलान करने से ही मुक्त, निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव हो सकता है।
वीवीपैट की पर्चियों से नहीं होता पूर्ण मिलान
धरना प्रदर्शन कर रहे मोर्चे के लोगों का कहना है कि ईवीएम और वीवीपैट मशीन एक महत्वपूर्ण मुद्दा। हमारे द्वारा ईवीएम मशीन के साथ वीवीपैट से निकलने वाली पर्चीयों का 100% मिलान करने की बात कही थी, मगर कांग्रेस द्वारा अभिषेक मनु सिंघवी के माध्यम से 50% मिलान करने के लिए केस को सुप्रीम कोर्ट में लाया गया। आरोप है कि इनके केस को क्लब करते हुए ईवीएम के साथ वीवीपैट का 1% मिलान करने का जजमेंट दिया गया। केवल 1% मिलान करने का निर्णय देने से देश में फिर से मुक्त, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव न होने का खतरा कायम रहा। यह असंवैधानिक एवं अलोकतांत्रिक निर्णय है। यह बहुत गंभीर बात है। यही वजह है की, ईवीएम मशीन के उपर से जनता का विश्वास खत्म हो गया है।
ईवीएम से चुनाव पर खड़े किए सवाल
विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि ईवीएम मशीन में वोटर्स के वोटों का सत्यापन करने का प्रावधान ना होने की वजह से, पारदर्शिता खत्म हो गई है। जिसके कारण नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होने के साथ-साथ लोकतंत्र की भी हत्या हो रही है। अभी तक देश के प्रमुख राजनैतिक दलों ने, सामाजिक संगठनाओं ने, विविध संस्थाओं ने ईवीएम मशीन पर अविश्वास जताया है और सुप्रीम कोर्ट भी इस बात को मानता है। हाल ही में पांच राज्यों के चुनाव हुए, उसमें ईवीएम के घोटाले से संबंधित 15,000 से 20,000 केसेस इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया के पोर्टल पर दर्ज हैं। चुनाव आयोग ने अभी तक इन सवालों के जवाब नहीं दिए है। इसका मतलब चुनाव आयोग इन सवालों के प्रति असंवेदनशील है। चुनाव आयोग संवैधानिक संस्था है, इसलिए चुनाव आयोग पर जवाबदेही का संवैधानिक सिद्धांत लागू होता है। अगर चुनाव आयोग जवाबदेही के संवैधानिक सिद्धांत को नहीं मानता है, तो चुनाव आयोग तानाशाहा है। इन सभी बातों से यह सिद्ध होता है की चुनाव आयोग ही घोटाला करवा रहा है।
राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन
डीएम को दिए अपने ज्ञापन में भारत मुक्ति मोर्चा के लोगों की मांग है कि भारत में लोकतंत्र बचाने के लिए तथा मुक्त, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव ना करने वाली ईवीएम मशीन को हटाकर बेलेट पेपर से चुनाव करवाया जाए और भारत का लोकतंत्र बचाया जाए। ऐसा करने से ही नागरिकों का भारतीय लोकतंत्र पर विश्वास बना रहेगा। ऐसा करने के लिए चुनाव आयोग को बाध्य किया जाए। यदि चुनाव आयोग के द्वारा ऐसा नही किया गया तो लोकतंत्र बचाने के लिए भारत मुक्ति मोर्चा के माध्यम से ईवीएम के विरोध में आनेवाले समय में यह आंदोलन और ज्यादा गतीशील, व्यापक एवं तीव्र बनाया जायेगा।
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