विंध्य विकास परिषद और पंडा समाज चुनाव : डीएम से मिला प्रतिनिधिमंडल, लंबित चुनावों को जल्द कराने की मांग, संशोधित मतदाता सूची सौंपी

डीएम से मिला प्रतिनिधिमंडल, लंबित चुनावों को जल्द कराने की मांग, संशोधित मतदाता सूची सौंपी
UPT | जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपता प्रतिनिधिमंडल।

Nov 30, 2024 16:44

श्री विंध्य पंडा समाज और विंध्य विकास परिषद के लंबित चुनाव जल्द कराने की मांग को लेकर प्रतिनिधिमंडल डीएम प्रियंका निरंजन से मिला। उन्होंने नियमावली और संशोधित मतदाता सूची सौंपते हुए व्यवस्थाओं को सुचारू रखने के लिए शीघ्र चुनाव की अपील की।

Nov 30, 2024 16:44

mirzapur News : श्री विंध्य पंडा समाज और विंध्य विकास परिषद के लंबित चुनावों को जल्द कराने की मांग को लेकर पंडा समाज का एक प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने पंडा समाज की नियमावली और संशोधित मतदाता सूची सौंपते हुए चुनाव जल्द कराने की अपील की। 



पंडा समाज की भूमिका और गठन
विंध्याचल धाम में भक्तों की सुविधा और व्यवस्थाओं को सुचारू रखने के लिए 1953 में श्री विंध्य पंडा समाज का गठन किया गया था। इस समाज के सदस्य ही अध्यक्ष का चयन करते हैं, जो मंदिर की व्यवस्थाओं का संचालन करते हैं। इसके समानांतर, जिला प्रशासन द्वारा विंध्य विकास परिषद की स्थापना की गई, जो मंदिर के दान और अन्य वित्तीय मामलों का प्रबंधन करती है।

विंध्य विकास परिषद की संरचना
विंध्य विकास परिषद में जिलाधिकारी अध्यक्ष और पुलिस अधीक्षक सचिव के रूप में पदेन सदस्य होते हैं, जबकि पंडा समाज के लोग पार्षद के रूप में शामिल होते हैं। दोनों संगठनों का चुनाव हर दो वर्ष में होना चाहिए, लेकिन 2018 के बाद से चुनाव नहीं हुए हैं।

चुनाव की आवश्यकता और प्रशासन की उदासीनता
विंध्य कॉरिडोर के निर्माण के बाद दर्शनार्थियों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है, जिससे व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने की चुनौती बढ़ गई है। पंडा समाज ने जिला प्रशासन के साथ मिलकर व्यवस्था सुचारू रखने की जरूरत पर जोर दिया है और चुनावों में देरी को लेकर चिंता व्यक्त की है।

चुनाव जल्द कराने की मांग
पंडा समाज ने डीएम से मांग की कि चुनावों में हो रही देरी को समाप्त कर जल्द से जल्द प्रक्रिया शुरू की जाए। इससे मंदिर की व्यवस्थाओं को और अधिक व्यवस्थित तरीके से संचालित करने में मदद मिलेगी।

पंडा समाज का कहना है कि भक्तों की सुविधाओं को बेहतर बनाने और मंदिर के संचालन में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए चुनावों का होना आवश्यक है। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस पर कब और क्या कदम उठाता है।  

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