बिजनौर में प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या करने के मामले में अदालत ने पत्नी को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। ये फैसला अपर जिला जज ने सुनाया है। अदालत ने आरोपी महिला पर सात हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
पति की हत्या में पत्नी को आजीवन कारावास : प्रेमी के साथ मिलकर की थी हत्या, घर के अंदर गड्ढा खोदकर शव को दफनाया
Oct 24, 2024 00:08
Oct 24, 2024 00:08
घटना की शुरुआत और पुलिस कार्रवाई
शासकीय अधिवक्ता प्रमोद कुमार शर्मा के अनुसार, 14 मई 2007 को थाना स्योहारा में पीड़ित तेजपाल सैनी की बहन भगवानदेई ने अपने भाई की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मामले की विवेचना के दौरान पुलिस को यह संदेह हुआ कि मृतक की पत्नी सोनी और गांव के ही गीतू उर्फ गीताराम के बीच प्रेम-प्रसंग चल रहा था। पुलिस ने जब सोनी से सख्ती से पूछताछ की तो उसने इस बात को स्वीकार कर लिया कि उसने अपने प्रेमी गीतू उर्फ गीताराम के साथ मिलकर अपने पति तेजपाल की हत्या की थी। उसने यह भी बताया कि तेजपाल उनके रिश्ते के खिलाफ था, इसलिए उन्होंने उसकी हत्या की योजना बनाई।
शव की बरामदगी और आरोपियों की गिरफ्तारी
सोनी की निशानदेही पर पुलिस ने घर के अंदर एक गड्ढे से तेजपाल के शव को बरामद किया। इस घटना के बाद पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। हालांकि, गिरफ्तारी के बाद आरोपी सोनी पुलिस अभिरक्षा से फरार हो गई थी, जिसे बाद में पुलिस ने फिर से गिरफ्तार कर जेल भेजा।
अदालत में केस की सुनवाई और सजा
इस केस की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने अदालत में आठ गवाहों को पेश किया और सबूतों के आधार पर आरोपी सोनी को दोषी साबित करने का प्रयास किया। गवाहों की गवाही और ठोस सबूतों के आधार पर अदालत ने सोनी को पति की हत्या का दोषी करार देते हुए उसे उम्रकैद की सजा सुनाई और साथ ही 7 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
पहले से ही दोषी करार दिए गए अन्य आरोपियों की सजा
तेजपाल हत्याकांड में इससे पहले आरोपी गीतू उर्फ गीताराम और हरिश्चंद्र को भी अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इन दोनों की सजा का फैसला पहले ही आ चुका था, जबकि सोनी की फाइल का अलग से विचारण किया जा रहा था। इस विचारण के पूरा होने पर अदालत ने सोनी को अपने पति तेजपाल सिंह सैनी की हत्या करने और उसके शव को घर में दफनाने के आरोप में दोषी ठहराया और सजा सुनाई।
न्यायिक फैसले का महत्व
इस घटना और उसके न्यायिक फैसले ने समाज में एक कड़ा संदेश दिया है कि कानून के हाथ लंबे होते हैं और अपराधी को सजा जरूर मिलती है। अदालत के इस फैसले से पीड़ित परिवार को न्याय की उम्मीद जगी है और समाज में कानून का डर बना रहेगा।
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