मुरादाबाद में मिला 39 सालों से बंद जैन मंदिर : सामूहिक डकैती के बाद दो दर्जन परिवारों ने किया था पलायन, जांच करने पहुंची पुलिस

सामूहिक डकैती के बाद दो दर्जन परिवारों ने किया था पलायन, जांच करने पहुंची पुलिस
UPT | मुरादाबाद में मिला जैन मंदिर

Dec 22, 2024 16:15

रतनपुर कलां गांव में 39 सालों से बंद पड़े जैन मंदिर की जांच के लिए पुलिस की एक टीम हाल ही में मौके पर पहुंची। टीम ने इस मंदिर के बारे में स्थानीय जैन समाज के लोगों से जानकारी ली...

Dec 22, 2024 16:15

Moradabad News : मुरादाबाद के पाकबड़ा के रतनपुर कलां गांव में 39 सालों से बंद पड़े जैन मंदिर की जांच के लिए पुलिस की एक टीम हाल ही में मौके पर पहुंची। टीम ने इस मंदिर के बारे में स्थानीय जैन समाज के लोगों से जानकारी ली। 39 साल पहले रतनपुर कलां गांव से जैन समाज के करीब दो दर्जन परिवार सामूहिक डकैती के बाद पलायन कर गए थे। इस पलायन के कारण उनका जैन मंदिर भी बंद हो गया था और अब यह स्थान पूरी तरह से कूड़े से ढक चुका है। मंदिर के हालात और उसकी स्थिति का पता लगाने के लिए पुलिस और एलआईयू की टीम वहां पहुंची।

मंदिर से हटाई गईं मुर्तियां
वहीं प्रदीप कुमार जैन, जो कि रतनपुर कलां गांव से पलायन कर चुके हैं, उन्होंने बताया कि बंद करने से पहले मंदिर से मूर्तियों को हटा लिया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर की भूमि पर कुछ लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है, जिसके खिलाफ शिकायत भी की गई थी, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। समाज के लोग इस स्थान को सरकार को दान में देना चाहते हैं ताकि इसे लोगों के भले के लिए इस्तेमाल किया जा सके। आयुष जैन ने बताया कि उनका परिवार मुरादाबाद में बस गया, जबकि अन्य परिवार दिल्ली, गाजियाबाद, गुड़गांव और कोलकाता जैसे शहरों में चले गए थे।



चंदौसी में मिला 152 साल पुराना मंदिर
दूसरी तरफ, चंदौसी के लक्ष्मणगंज क्षेत्र में भी एक 152 साल पुराना खंडहरनुमा मंदिर मिला है। यह मंदिर अब खंडहर में तब्दील हो चुका है और इसके बारे में दावा किया जा रहा है कि हिंदू समुदाय के पलायन के बाद 2010 में शरारती तत्वों ने यहां की मूर्तियों को तोड़ दिया था। लक्ष्मणगंज एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र है, जहां इस मंदिर का रखरखाव न होने के कारण इसका अस्तित्व धीरे-धीरे समाप्त हो गया। 25 साल पहले तक यहां हिंदू समाज की बड़ी आबादी हुआ करती थी, लेकिन अब यहां मुस्लिम आबादी का दबदबा है। इसके बाद हिंदू परिवारों का पलायन शुरू हो गया।

पूजा स्थल हुआ करता था बांके बिहारी मंदिर
बांके बिहारी मंदिर की हालत पर नजर डालें तो यह मंदिर कभी हिंदू समाज के लिए पूजा स्थल हुआ करता था। कृष्ण कुमार, जो मंदिर के संरक्षक रहे हैं, उन्होंने बताया कि 2010 तक मंदिर में नियमित पूजा अर्चना होती थी। लेकिन इसी साल शरारती तत्वों ने भगवान बांके बिहारी की प्रतिमा और अन्य मूर्तियों को तोड़ डाला। पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई की थी, लेकिन फिर इस पर ध्यान नहीं दिया गया। इसके बाद धीरे-धीरे मंदिर के गेट, शिखर और अन्य हिस्सों को तोड़ दिया गया और आज यह मंदिर पूरी तरह से खंडहर में बदल चुका है।

मूर्तियों के स्थान पर केवल निशान
वहीं, आज इस मंदिर में मूर्तियों के स्थान पर केवल उनके निशान ही नजर आते हैं। यह स्थिति इस बात की गवाही देती है कि मंदिर की पहचान और महत्ता समय के साथ खत्म हो चुकी है। जबकि मंदिर कभी लोगों के विश्वास और श्रद्धा का केंद्र था, अब यह खंडहर में तब्दील हो गया है और इसकी मरम्मत के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। दोनों मामलों में प्रशासन से उचित कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है, ताकि इन ऐतिहासिक स्थलों को संरक्षित किया जा सके और इनकी सांस्कृतिक धरोहर को बचाया जा सके।

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