जिले में औद्योगिक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सरकार ने औद्योगिक गलियारे के लिए गांव सारंगपुर और अमावती कुतुबपुर में भूमि क्रय की अनुमति दे दी है।
Sambhal News : औद्योगिक गलियारे के लिए 182 करोड़ की भूमि खरीद को मिली मंजूरी, 604 किसान करेंगे बैनामा
Sep 12, 2024 17:30
Sep 12, 2024 17:30
अब शेष दो गांवों, सारंगपुर और अमावती कुतुबपुर में 27.600 हेक्टेयर और 81.444 हेक्टेयर भूमि क्रय की जानी है। इस परियोजना में ग्राम सभा की भूमि भी शामिल है, जिसमें सारंगपुर में 0.728 हेक्टेयर और अमावती कुतुबपुर में 7.041 हेक्टेयर ग्रामसभा की भूमि होगी। कुल 108 हेक्टेयर भूमि के बैनामे के लिए 604 किसान आगे आएंगे, जिनमें सारंगपुर के 108 और अमावती कुतुबपुर के 496 किसान शामिल हैं। इसके लिए 354 गाटों का बैनामा किया जाएगा। शासन द्वारा निर्धारित सर्किल रेट के अनुसार भूमि का क्रय किया जाएगा, और यह प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है।
औद्योगिक गलियारे से होगा क्षेत्र का विकास
औद्योगिक गलियारा बनने से क्षेत्र के विकास में तेजी आएगी और रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। संभल जिले में पहले से ही हस्तशिल्प और मेंथा का कारोबार प्रमुख रूप से होता है। औद्योगिक गलियारा स्थापित होने से इस कारोबार को और विस्तार मिलेगा। इसमें देश की प्रमुख कंपनियां अपने प्लांट स्थापित करेंगी, जिससे स्थानीय उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही, खिरनी में गंगा एक्सप्रेसवे का जंक्शन भी बन रहा है, जिससे क्षेत्र में परिवहन और व्यापारिक गतिविधियों को भी लाभ होगा।
स्थानीय उद्यमियों को मिलेगी प्राथमिकता
औद्योगिक गलियारे में स्थानीय उद्यमियों को प्राथमिकता दी जाएगी। जिले के उपायुक्त उद्योग, शैलेंद्र सिंह, ने 5 सितंबर को आयोजित मंथन कार्यक्रम में यह जानकारी दी थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिले के उद्यमियों के उद्योग स्थापित कराने का प्रयास पहले होगा। यदि जरूरत पड़ी, तो अन्य जिलों के उद्यमियों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। संभल में बबराला के बाद यह दूसरा औद्योगिक गलियारा बनने जा रहा है, जिससे जिले के विकास को और गति मिलेगी।
जल्द शुरू होगी बैनामे की प्रक्रिया
अपर जिलाधिकारी (एडीएम) प्रदीप वर्मा ने बताया कि भूमि क्रय की प्रक्रिया को लेकर शासन से अनुमति मिल गई है। बैनामे की प्रक्रिया इसी सप्ताह से शुरू हो जाएगी। किसानों के अभिलेख भी जमा हो चुके हैं, और जल्द ही औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी। इस परियोजना से जहां क्षेत्र का विकास होगा, वहीं किसानों में भी समृद्धि आएगी।
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