उत्तर प्रदेश के संभल में पिछले दिनों हुई हिंसा के बाद सपा के नेताओं ने हिंसा के पीड़ितों से मिलने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक लिया...
संभल हिंसा : यूपी-दिल्ली और गाजीपुर बॉर्डर पर सपा नेताओं को रोका, इन्हें बैठाया थाने में
Nov 30, 2024 14:48
Nov 30, 2024 14:48
डीएम ने फोन पर संभल न आने को कहा
समाजवादी पार्टी के नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पाण्डेय जो प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। उन्हें पहले ही डीएम ने फोन करके दौरे को रोकने का आदेश दिया था। उनके बाद भी सपा नेता हिंसा प्रभावितों से मिलने के लिए निकल पड़े, लेकिन पुलिस ने उन्हें बीच रास्ते में ही रोक दिया। पुलिस की ओर से उन्हें यह चेतावनी दी गई कि बिना अनुमति के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में प्रवेश नहीं किया जा सकता।
श्याम लाल पाल को घर में किया नजरबंद
इसके अलावा सपा के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल को भी संभल जाने से रोक लिया गया और उन्हें उनके घर में नजरबंद कर दिया गया। सपा नेताओं का आरोप है कि सरकार उनकी आवाज दबाने के लिए उन्हें झूठे मामलों में फंसाने और दौरा को रोकने का प्रयास कर रही है।
यूपी-दिल्ली, गाजीपुर बॉर्डर पर रोके सपा नेता
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बॉर्डर पर सपा के सांसद हरेंद्र मलिक को पुलिस ने रोका, जबकि मुरादाबाद से सपा सांसद जिया-उर-रहमान-बर्क के काफिले को भी गाजीपुर बॉर्डर के पास रोक लिया गया। इन नेताओं का काफिला भी हिंसा प्रभावित संभल के लिए ही जा रहा था। पुलिस ने इन्हें भी बिना रोक दिया और कहा कि उन्हें बिना अनुमति के आगे बढ़ने की इजाजत नहीं है। सपा नेताओं के इस काफिले में और भी कई प्रमुख नेता शामिल थे, जिनमें पूर्व मंत्री और सपा विधायक कमाल अख्तर, सपा विधायक पिंकी यादव और मुरादाबाद के सपा जिला अध्यक्ष जयवीर सिंह यादव भी शामिल थे। इन नेताओं को पुलिस ने दिल्ली-लखनऊ नेशनल हाईवे 9 पर मूंढापांडे थाना इलाके में रोक लिया और थाने में बैठा दिया। पुलिस का कहना था कि सुरक्षा कारणों से इन नेताओं को दौरा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
पुलिस और सरकार पर आरोप
सपा नेताओं का कहना है कि पुलिस ने उन्हें जानबूझकर रोकने का प्रयास किया है ताकि वे हिंसा के पीड़ितों से न मिल सकें और इस मुद्दे पर किसी प्रकार की राजनीतिक आवाज न उठे। सपा के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने कहा कि यह एक बड़ी साजिश का हिस्सा है। सरकार नहीं चाहती कि विपक्षी दल पीड़ितों से मिलें और इस मुद्दे को उठा सकें। यह लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन है।
यह बोले अधिकारी
वहीं संभल के प्रशासन ने दावा किया कि पुलिस ने किसी भी नेता को बिना कारण नहीं रोका है। अधिकारियों का कहना है कि हिंसा के बाद संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा की स्थिति को बनाए रखना बेहद जरूरी था। प्रशासन ने कहा कि हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में किसी भी प्रकार का तनाव न बढ़े इसलिए नेताओं को रोका गया था।
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