मंदिर के बाहर 'ओम नमः शिवाय' और 'हर हर महादेव' के नारे लिखे जा रहे हैं। मंदिर का नाम "प्राचीन सम्भलेश्वर महादेव" रखा गया है। प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के लिए छह टीमें गठित की हैं।
संभल में 46 साल बाद खुला प्राचीन शिव-हनुमान मंदिर : शुरू हुई पूजा, नाम रखा गया- प्राचीन संभलेश्वर महादेव
Dec 16, 2024 10:20
Dec 16, 2024 10:20
मंदिर का नाम रखा गया
संभल जिले के खग्गू दीपा सराय इलाके में बिजली चोरी और अतिक्रमण हटाने के अभियान के दौरान एक प्राचीन शिव और हनुमान मंदिर का पता चला। यह मंदिर 1978 से बंद था और अब 46 साल बाद श्रद्धालुओं के लिए दोबारा खोला गया है। मंदिर को "प्राचीन संभलेश्वर महादेव" के नाम से जाना जाएगा। मंदिर की दीवारों पर ‘ॐ नमः शिवाय’ और ‘हर हर महादेव’ जैसे पवित्र नारे लिखे गए हैं। इसके खुलने पर भक्तों ने भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया और मंत्रोच्चारण के साथ आरती की। प्रशासन ने मंदिर की सफाई कराई और सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे तथा एक कंट्रोल रूम स्थापित करने की योजना बनाई है। मंदिर परिसर में एक प्राचीन कुंआ भी मिला है, जिसे अमृतकूप कहा जा रहा है। इस पुनः उद्घाटन के बाद क्षेत्र में धार्मिक उत्साह और आस्था का माहौल देखने को मिल रहा है।
संभल में 46 वर्षों से बंद पड़े मंदिर को 14 दिसंबर को प्रशासनिक पहल के बाद पुनः खोला गया, मंदिर के बाहर 'ओम नमः शिवाय' और 'हर हर महादेव' के नारे लिखे जा रहे हैं। मंदिर का नाम "प्राचीन सम्भलेश्वर महादेव" रखा गया है...@DmSambhal @sambhalpolice #SambhalMandir pic.twitter.com/sRvvJXZR2N
— Uttar Pradesh Times (@UPTimesLive) December 16, 2024
मंदिर की सुरक्षा के लिए लगाए गए सीसीटीवी कैमरे
मंदिर की सुरक्षा के लिए पांच सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जिनमें से चार मंदिर के बाहर और एक मंदिर के अंदर लगाए गए हैं। इसके अलावा, सुबह होते ही हनुमान मंदिर में आरती भी की गई, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने भाग लिया। भक्तों का कहना है कि अब वे रोज मंदिर में पूजा-पाठ और आरती करेंगे।
पहले भी की गई मंदिर खोलने की मांग
स्थानीय निवासी और हिंदू सभा के संरक्षक, विष्णु शरण रस्तोगी ने बताया कि 1978 में संभल में हुए दंगों के दौरान उनकी दुकान जल गई थी। उस समय सरकार ने केवल 200 रुपये का मुआवजा दिया था। उस समय जनता पार्टी की सरकार थी और राम नरेश यादव मुख्यमंत्री थे। उन्होंने बताया कि शांति समिति की बैठकों में कई बार मंदिर खोलने की मांग की गई, लेकिन समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान किसी अधिकारी ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
46 साल से क्यों बंद था मंदिर?
मंदिर बंद पड़े मकान में पाया गया है, जो 1978 के दंगे के दौरान हिंदू परिवार का था। बाद में मकान बेच दिया गया और तब से यह बंद पड़ा था। कभी पहले एक पुजारी इस मंदिर में रहते थे, लेकिन वह दहशत की वजह से मंदिर और मोहल्ला छोड़कर चले गए। एक पुजारी के अनुसार, किसी की हिम्मत नहीं होती थी कि इस मंदिर में पूजा-पाठ और आरती करे। मंदिर से पुजारी भी अपना मकान बेचकर और मंदिर में ताला लगाकर यहां से चले गए।
कैसे मिला मंदिर?
बीते दिनों संभल हिंसा के दौरान उपद्रवियों पर कार्रवाई करते हुए पुलिस और प्रशासन के सामने दो मुख्य मुद्दे सामने आए: एक था बिजली चोरी और दूसरा अतिक्रमण। इन दोनों समस्याओं के समाधान के लिए पुलिस और प्रशासन ने रणनीति तैयार की और शनिवार को इन पर कार्रवाई करने के लिए दो बड़े अभियान चलाए। पहला अभियान बिजली चोरी के खिलाफ था, जबकि दूसरा अभियान अतिक्रमण हटाने के लिए था। जब पुलिस ने बिजली चोरी पकड़ने के लिए घर-घर जाकर छापा मारा, तो उन्हें एक हैरान करने वाली तस्वीर का सामना हुआ। यह तस्वीर एक बंद और अतिक्रमित शिव मंदिर की थी, जो लंबे समय से बंद पड़ा हुआ था। पुलिस ने इस मंदिर को ढूंढ़ निकाला।
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