लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद कल मंगलवार को मतगणना होनी है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक भावुक लेख साझा किया है। जिसमें उन्होंने अपनी हालिया आध्यात्मिक यात्रा और ध्यान...
पीएम की चिठ्ठी : मतगणना से पहले नरेंद्र मोदी ने लिखा देशवासियों के नाम खत, कहा- 'कन्याकुमारी में साधना से निकले नए संकल्प...'
Jun 03, 2024 11:28
Jun 03, 2024 11:28
"ध्यान साधना उनके लिए एक महत्वपूर्ण अभ्यास"
इसके आगे पीएम मोदी ने कहा कि ध्यान साधना उनके लिए एक महत्वपूर्ण अभ्यास है। जो उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने में मदद करता है। उन्होंने लिखा कि यह उनकी सोच को स्पष्ट करने और चुनौतियों का सामना करने में भी सहायक है।
"कितने सारे अनुभव हैं, कितनी सारी अनुभूतियां..."
नरेंद्र मोदी ने लिखा की- मेरे प्यारे देशवासियों, लोकतन्त्र की जननी में लोकतन्त्र के सबसे बड़े महापर्व का एक पड़ाव आज 1 जून को पूरा हो रहा है। तीन दिन तक कन्याकुमारी में आध्यात्मिक यात्रा के बाद, मैं अभी दिल्ली जाने के लिए हवाई जहाज में आकर बैठा ही हूं...काशी और अनेक सीटों पर मतदान चल ही रहा है। कितने सारे अनुभव हैं, कितनी सारी अनुभूतियां हैं...मैं एक असीम ऊर्जा का प्रवाह स्वयं में महसूस कर रहा हूं। वाकई, 24 के इस चुनाव में, कितने ही सुखद संयोग बने हैं। अमृतकाल के इस प्रथम लोकसभा चुनाव में मैंने प्रचार अभियान 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम की प्रेरणास्थली मेरठ से शुरू किया। माँ भारती की परिक्रमा करते हुए इस चुनाव की मेरी आखिरी सभा पंजाब के होशियारपुर में हुई। संत रविदास जी की तपोभूमि, हमारे गुरुओं की भूमि पंजाब में आखिरी सभा होने का सौभाग्य भी बहुत विशेष है। इसके बाद मुझे कन्याकुमारी में भारत माता के चरणों में बैठने का अवसर मिला। उन शुरुआती पलों में चुनाव का कोलाहल मन-मस्तिष्क में गूंज रहा था। रैलियों में, रोड शो में देखे हुए अनगिनत चेहरे मेरी आंखों के सामने आ रहे थे। माताओं-बहनों-बेटियों के असीम प्रेम का वो ज्वार, उनका आशीर्वाद...उनकी आंखों में मेरे लिए वो विश्वास, वो दुलार...मैं सब कुछ आत्मसात कर रहा था। मेरी आंखें नम हो रही थीं...मैं शून्यता में जा रहा था, साधना में प्रवेश कर रहा था। कुछ ही क्षणों में राजनीतिक वाद विवाद, वार-पलटवार...आरोपों के स्वर और शब्द, वह सब अपने आप शून्य में समाते चले गए। मेरे मन में विरक्ति का भाव और तीव्र हो गया...मेरा मन बाह्य जगत से पूरी तरह अलिप्त हो गया।
संगमों के संगम की धरती कन्याकुमारी में भारत माता के सान्निध्य में मुझे साधना का जो सौभाग्य मिला, वह मेरे जीवन की एक अमूल्य पूंजी है। यहां चिंतन-मनन से हृदय में जो भाव उत्पन्न हुए, उसे शब्दों में पिरोने का प्रयास किया है... #NewSankalp4Bharat https://t.co/tFEI6xbuDb
— Narendra Modi (@narendramodi) June 3, 2024
कन्याकुमारी संगमों के संगम की धरती- मोदी
नरेंद्र मोदी ने लिखा की- साथियों, कन्याकुमारी का ये स्थान हमेशा से मेरे मन के अत्यंत करीब रहा है। कन्याकुमारी में विवेकानंद शिला स्मारक का निर्माण श्री एकनाथ रानडे जी ने करवाया था। एकनाथ जी के साथ मुझे काफी भ्रमण करने का मौका मिला था। इस स्मारक के निर्माण के दौरान कन्याकुमारी में कुछ समय रहना, वहां आना-जाना, स्वभाविक रूप से होता था। कश्मीर से कन्याकुमारी... ये हर देशवासी के अन्तर्मन में रची-बसी हमारी साझी पहचान हैं। ये वो शक्तिपीठ है जहां मां शक्ति ने कन्या कुमारी के रूप में अवतार लिया था। इस दक्षिणी छोर पर माँ शक्ति ने उन भगवान शिव के लिए तपस्या और प्रतीक्षा की जो भारत के सबसे उत्तरी छोर के हिमालय पर विराज रहे थे। कन्याकुमारी संगमों के संगम की धरती है। हमारे देश की पवित्र नदियां अलग-अलग समुद्रों में जाकर मिलती हैं और यहां उन समुद्रों का संगम होता है। और यहाँ एक और महान संगम दिखता है- भारत का वैचारिक संगम! यहां विवेकानंद शिला स्मारक के साथ ही संत तिरुवल्लूवर की विशाल प्रतिमा, गांधी मंडपम और कामराजर मणि मंडपम हैं। महान नायकों के विचारों की ये धाराएँ यहाँ राष्ट्र चिंतन का संगम बनाती हैं। इससे राष्ट्र निर्माण की महान प्रेरणाओं का उदय होता है। जो लोग भारत के राष्ट्र होने और देश की एकता पर संदेह करते हैं, उन्हें कन्याकुमारी की ये धरती एकता का अमिट संदेश देती है।
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