उत्तर प्रदेश में इस बार चुनाव में कुछ प्रत्याशी ऐसे भी उतरें, जो राजनीतिक घराने से आते हैं। आज हम बात करते हैं उनके बारे में जो अपने खानदान की विरासत बचाने में कामयाब रहे। लेकिन ऐसे कितने उम्मीदवार हैं जो अपने पिता की विरासत को बचा नहीं पाए...
पिता की विरासत संभालने उतरे बेटे-बेटियां : कुछ ने जीत कर रच दिया इतिहास, कई नहीं हो पाए कामयाब
Jun 11, 2024 18:48
Jun 11, 2024 18:48
एनडीए के ये उम्मीदवार सफल और असफल रहे
आईये जानते हैं कि एनडीए गठबंधन में कौन-कौन से प्रत्याशी ऐसे हैं जो अपने पिता की विरासत को संभालने में सफल रहे हैं। लेकिन इसके साथ ही कई उम्मीदवार ऐसे हैं जो पिता की विरासत को संभालने में कामयाब नहीं रहे। करण भूषण सिंह, चंदन सिंह चौहान अपने पिता की विरासत को संभालने में कामयाब रहे हैं। वहीं पूर्व राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी के बेटे नीरज त्रिपाठी, चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर, ओपी राजभर के बेटे अरविंद राजभर, संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद, कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह को हार का सामना करना पड़ा।
पार्टी | प्रत्याशी | लोकसभा क्षेत्र | पिता का नाम |
भाजपा |
नीरज त्रिपाठी (हारे) |
इलाहाबाद लोकसभा सीट |
केशरीनाथ त्रिपाठी |
भाजपा |
नीरज शेखर (हारे) |
बलिया लोकसभा सीट |
चंद्रशेखर |
सुभासपा |
अरविंद राजभर (हारे) |
घोसी लोकसभा सीट |
ओपी राजभर |
भाजपा |
प्रवीण निषाद (हारे) |
संतकबीरनगर लोकसभा सीट |
संजय निषाद |
भाजपा |
राजवीर सिंह (हारे) |
एटा लोकसभा सीट |
कल्याण सिंह |
आरएलडी भाजपा |
चंदन सिंह चौहान (जीते) करण भूषण सिंह (जीते) |
बिजनौर लोकसभा सीट कैसरगंज लोकसभा सीट |
संजय चौहान बृजभूषण शरण सिंह |
इंडी गठबंधन के ये प्रत्याशी विरासत संभालनें में कामयाब...
इस चुनाव में सपा से इकरा हसन और प्रिया सरोज बेटियों ने पहली बार चुनावी मैदान में जीत हासिल की और अपने पिता की विरासत को बचाया। दूसरी तरफ बेटों में पुष्पेंद्र सरोज, आदित्य यादव, उज्जवल रमण सिंह, तनुज पुनिया, जियाउर्रहमान बर्क, तनुज पुनिया अपने पिता की विरासत को संभालेंगे। लेकिन कुछ ऐसे भी भी चेहरे रहे हैं जो इस चुनाव में हार गए और अपने पिता की विरासत को संभालने में कामयाब नहीं रहे। जिनमें गोंडा लोकसभा से सपा के टिकट पर श्रेया वर्मा को हार का सामना करना पड़ा।
पार्टी | प्रत्याशी | लोकसभा क्षेत्र | पिता का नाम | |
सपा |
इकरा हसन (जीती) |
कैराना लोकसभा सीट |
मुन्नावर हसन |
|
सपा |
प्रिया सरोज (जीती) |
मछलीशहर लोकसभा सीट |
तूफानी सरोज |
|
सपा |
पुष्पेंद्र सरोज (जीते) |
कौशांबी लोकसभा सीट |
इंद्रजीत सरोज |
|
सपा |
आदित्य यादव (जीते) |
बदायूं लोकसभा सीट |
शिवपाल यादव |
|
कांग्रेस |
उज्जवल रमण सिंह (जीते) |
इलाहाबाद लोकसभा सीट |
रेवती रमण सिंह |
|
कांग्रेस |
तनुज पूनिया (जीते) |
बाराबंकी लोकसभा सीट |
पीएल पुनिया |
|
सपा |
श्रेया वर्मा |
गोंडा लोकसभा सीट |
राकेश वर्मा |
|
सपा |
जियाउर्रहमान बर्क |
संभल लोकसभा सीट |
शफीकुर्रहमान बर्क (दादा) |
जानिए किनके बेटा-बेटी हैं ये जीते हुए प्रत्याशी...
यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री हैं इनके पिता
पुष्पेंद्र सरोज 25 साल की उम्र में यूपी की सियासी रणभूमि में उतरे हैं। पुष्पेंद्र सरोज ने कौशांबी लोकसभा सीट से सपा के टिकट पर जीत हासिल की है। वह पांच बार के विधायक और यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री इंद्रजीत सरोज के बेटे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि पुष्पेंद्र सरोज ने 2019 के चुनाव के दौरान अपने पिता इंद्रजीत सरोज की हार का बदला लिया है।
सपा से है पुराना नाता
इकरा हसन ने कैराना लोकसभा सीट से ऐतिहासिक जीत हासिल की है। 18 साल बाद यह सीट सपा के खाते में आई है। साल 1996 में सपा के टिकट पर उनके पिता मुन्नावर हसन ने जीत हासिल की थी। उनके पिता कैराना से 2 बार विधायक, 3 बार सासंद और 1 बार मुजफ्फरनगर से सांसद रहे हैं।
सपा के महासचिव हैं इनके पिता
35 साल के आदित्य यादव शिवपाल यादव के बेटे हैं और साथ ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव के चचेरे भाई हैं। बदायूं लोकसभा सीट पर जीतने वाले आदित्य ने अपने पिता की विरासत को संभाला है। शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी के महासचिव हैं। वह उत्तर प्रदेश सरकार में अलग अलग समय में मंत्री रह चुके हैं। मार्च 2017 में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में शिवपाल इटावा जिले के जसवन्तनगर विधान सभा क्षेत्र से सपा के टिकट पर विधायक चुने गये। वह मायावती सरकार के कार्यकाल में 5 मार्च 2012 तक प्रतिपक्ष के नेता भी रहे।
तीन बार रह चुके हैं सांसद
मछलीशहर लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाली प्रिया सरोज 25 साल की हैं। प्रिया सरोज के पिता तूफानी सरोज भी तीन बार सांसद रह चुके हैं। तुफानी सरोज समाजवादी पार्टी के सदस्य हैं और उन्होंने सपा के टिकट पर सैदपुर , गाजीपुर और मछलीशहर , जौनपुर (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से 1999, 2004 और 2009 के भारतीय आम चुनाव जीते हैं।
पाला बदलकर की जीत हासिल
इलाहाबाद सीट पर जीत हासिल करने वाले उज्जवल रमण सिंह प्रयागराज के दिग्गज समाजवादी राजनेता रेवती रमण सिंह के बेटे हैं। रेवती रमण सिंह आठ बार विधायक, दो बार लोकसभा के सांसद और एक बार राज्यसभा के सांसद रह चुके है। चुनाव से ठीक पहले उज्जवल रमण सिंह कांग्रेस में शामिल हुए। खबरें आ रही थी कि कांग्रेस पार्टी ने रेवती रमण के परिवार के लिए ही इलाहाबाद की सीट समझौते में अपने पास रखी थी।
बिजनौर सीट से रह चुके हैं सांसद
बिजनौर सीट पर आरएलडी के चंदन चौहान ने जीत हासिल की है। वह उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री नारायण सिंह के पोते हैं। उनके पिता संजय चौहान भी बिजनौर सीट से सांसद रह चुके हैं। संजय चौहान राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के सक्रिय सदस्य थे और 15वीं लोकसभा में बिजनौर का प्रतिनिधित्व करने वाले संसद सदस्य थे। वे 1996 से 2001 तक उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा के सदस्य भी रहे।
पिता की विरासत को बचाया
कैसरगंज की लोकसभा सीट से भाजपा के प्रत्याशी करण भूषण सिंह ने जीत दर्ज कर अपने पिता की विरासत को बचाया है। करण भूषण, बृजभूषण शरण सिंह के बेटे है। बृजभूषण खुद 6 बार के सांसद हैं। वह 5 बार भारतीय जनता पार्टी और 1 बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते हैं। इसके अलावा वह 2011 से 2023 तक राष्ट्रीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष भी थे। बृजभूषण पर महिला पहलवानों ने यौन शोषण का आरोप लगाया है। वहीं करण भूषण के बड़े भाई प्रतीक भूषण गोंडा की सदर सीट से दो बार के विधायक हैं।
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