जमानत को लेकर दिए आदेश में कोर्ट ने केजरीवाल को चुनाव प्रचार पर भी कोई रोक नहीं लगाई है। लेकिन, इससे अलग कई शर्तों पर अरविंद केजरीवाल को जमानत मिली है।
मुख्यमंत्री को बड़ी राहत : न आधिकारिक फाइलों पर साइन, न मामले में टिप्पणी, इन शर्तों पर अरविंद केजरीवाल को मिली जमानत
May 10, 2024 18:38
May 10, 2024 18:38
- सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
- अरविंद केजरीवाल को मिली जमानत
चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा चुनाव के चलते 1 जून तक के लिए अंतरिम जमानत दी है। साथ ही कहा कि केजरीवाल को 2 जून को जेल अधिकारियों के सामने सरेंडर करना होगा। हालांकि, केजरीवाल के वकील शादान फरासत ने मीडिया से कहा कि कोर्ट ने उनके चुनाव प्रचार पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। हम आज ही उनकी रिहाई की कोशिश करेंगे। जस्टिस खन्ना ने ईडी से कहा ईडी ने केजरीवाल के खिलाफ अगस्त 2022 में केस दर्ज किया, जबकि उन्हें मार्च 2024 में गिरफ्तार किया। 1.5 साल बाद उनकी हुई है उनकी गिरफ्तारी बाद में या पहले भी हो सकती थी। 21 दिन इधर या उधर से कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए।
इन शर्तों पर मिली जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केजरीवाल आधिकारिक फाइलों पर तब तक हस्ताक्षर नहीं करेंगे, जब तक कि बहुत जरूरी न हो और दिल्ली के उपराज्यपाल की मंजूरी हासिल करने के लिए जरूरी न हो। साथ ही वह संबंध मामले में कोई टिप्पणी नहीं करेंगे और किसी भी गवाह के साथ बातचीत नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि वह संबंध मामले में सार्वजनिक तौर पर कोई बयान भी नहीं दे सकते हैं।
जमानत रोकने के लिए दाखिल चार्जशीट
अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका के विरोध में ईडी ने कोर्ट में पूरक चार्जशीट भी दाखिल की थी। ईडी ने अपनी चार्जशीट में आम आदमी पार्टी को भी आरोपी बनाया था। ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी एजेंसी ने भ्रष्टाचार के मामले में चार्जशीट दाखिल कर किसी राष्ट्रीय पार्टी को आरोपी बनाया हो। ईडी ने अपनी चार्जशीट में कहा कि चुनाव प्रचार करने का अधिकार संवैधानिक अधिकार नहीं है। एजेंसी ने कहा कि चुनाव प्रचार के लिए किसी भी नेता को अंतरिम जमानत नहीं दी गई है, भले ही वह चुनाव लड़ रहा हो।
5 साल में एक बार होते हैं चुनाव
कोर्ट ने कहा है कि चुनाव 5 साल में एक बार होते है। इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की कानूनी टीम ने ईडी के हलफनामे पर कड़ी आपत्ति जताई। मामले में सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में एक औपचारिक शिकायत दर्ज की गई है, जिसमें ईडी के हलफनामे को कानूनी प्रक्रियाओं की घोर अवहेलना बताया गया है, खासकर यह देखते हुए कि मामला पहले से ही आज सुप्रीम कोर्ट में अंतिम फैसले के लिए निर्धारित है।
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