फिर बढ़ी बाबा रामदेव की मुश्किलें : योग शिविर के लिए सर्विस टैक्स से राहत नहीं, मेरठ आयुक्त का फैसला बरकरार

योग शिविर के लिए सर्विस टैक्स से राहत नहीं, मेरठ आयुक्त का फैसला बरकरार
UPT | बाबा रामदेव

Apr 21, 2024 14:53

केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी), मेरठ रेंज के आयुक्त ने पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को आदेश दिया था कि अक्टूबर 2006 से मार्च 2011 के दौरान लगाए गए ऐसे शिविरों के लिए जुर्माना और ब्याज मिलाकर लगभग 4.5 करोड़ रुपये दिए जाएं।

Apr 21, 2024 14:53

Short Highlights
  • कोर्ट ने सर्विस टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल के फैसले को बरकरार रखा है।
  • हमें ट्राइब्यूनल के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता : सुप्रीम कोर्ट
National News : योग गुरु बाबा रामदेव की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। आयुर्वेदिक उत्पादों के विज्ञापन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब उनके आवासीय योग शिविरों में प्रवेश शुल्क पर टैक्स लगना अनिवार्य हो गया है। सुप्रीम कोर्ट की अभय ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने इस सिलसिले में आदेश दिया है। कोर्ट ने सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण के फैसले को बरकरार रखा है। सर्विस टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल ने अपने फैसले में पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को आवासीय और गैर-आवासीय दोनों योग शिविरों के लिए सर्विस टैक्स का भुगतान करना अनिवार्य कर दिया था। दरअसल, पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट स्वामी रामदेव के योग शिविरों के लिए प्रवेश शुल्क लेती है। इसी मामले में यह निर्णय लिया गया है।

दो न्यायधीशों की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि CESTAT यानी सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण ने सही कहा है कि प्रवेश शुल्क लेने के बाद तो शिविरों में योग एक सेवा यानी की सर्विस है। कोर्ट ने कहा कि हमें ट्राइब्यूनल के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता। इसलिए पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की अपील खारिज की जाती है।

ट्राइब्यूनल ने पतंजलि योगपीठ की बात मानने से किया इनकार
केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी), मेरठ रेंज के आयुक्त ने पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को आदेश दिया था कि अक्टूबर 2006 से मार्च 2011 के दौरान लगाए गए ऐसे शिविरों के लिए जुर्माना और ब्याज मिलाकर लगभग 4.5 करोड़ रुपये दिए जाएं। जिसके बाद ट्रस्ट ने अपने पक्ष में यह दलील दी थी कि वह शिविर में ऐसी सेवाएं दे रहा है, जो बीमारियों के इलाज के लिए है और यह 'हेल्थ एंड फिटनेस सर्विस' कैटेगरी के तहत टैक्स योग्य नहीं है। लेकिन ट्राइब्यूनल ने पतंजलि योगपीठ की इस बात को नहीं माना है।

CESTAT ने कहा था कि इन शिविरों में योग और मेडिटेशन की क्लास किसी एक व्यक्ति को नहीं बल्कि पूरी सभा के लिए होती है। साथ ही यह भी कहा था कि ट्रस्ट ने शिविर में एंट्री फी दान के रूप में इकठ्ठा किया है। साथ ही अलग-अलग दाम के एंट्री टिकट भी जारी किए गए थे। पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट द्वारा आयोजित योग शिविर के लिए जो शुल्क लेता है, वह स्वास्थ्य और फिटनेस सेवा की श्रेणी में आता है और ऐसी सर्विस पर सेवा कर लगता है। इससे पहले भी बाबा रामदेव को पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट से फटकार लगी थी।

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