श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को कोलकाता (तब कलकत्ता) के प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी के पिता विख्यात शिक्षाविद थे।
कभी नेहरू ने बनाया था सरकार में मंत्री : लॉ की पढ़ाई, कश्मीर से प्रेम... पढ़िए जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की कहानी
Jul 06, 2024 16:27
Jul 06, 2024 16:27
- कलकत्ता में हुआ था मुखर्जी का जन्म
- लॉ की पढ़ाई के बाद गए इंग्लैंड
- कांग्रेस के खिलाफ जनसंघ को किया खड़ा
लॉ की पढ़ाई के बाद गए इंग्लैंड
श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को कोलकाता (तब कलकत्ता) के प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी के पिता विख्यात शिक्षाविद थे। श्यामा प्रसाद ने 1917 में मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की और 1921 में उन्होंने बीए पूरा किया और 1923 में सेनेट के सदस्य बने। पिता की मृत्यु के बाद श्यामाा प्रसाद ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में नामांकन कराया। 1926 में वह इंग्लैंड चले गए और 1927 में बैरिस्टर की परीक्षा उत्तीर्ण की।
#WATCH | Lucknow: UP Deputy CM Brajesh Pathak and state BJP President Bhupendra Choudhary pay floral tribute to Bharatiya Jana Sangh founder Syama Prasad Mookerjee on his birth anniversary. pic.twitter.com/5pjw3XeXH4
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) July 6, 2024
नेहरू सरकार में मंत्री फिर त्यागपत्र
33 वर्ष की आयु में मुखर्जी कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त हुए। वह विश्व के सबसे युवा कुलपति थे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस के साथ की थी। 1947 में जब भारत को आजादी मिली, तो जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में नई सरकार का गठन हुआ। तब महात्मा गांधी और सरदार वल्लभ भाई पटेल के कहने पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी को नेहरू मंत्रिमंडल में जगह मिली और वह उद्योग मंत्री बनाए गए। लेकिन नेहरू और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली के बीच हुए समझौते के पश्चात 6 अप्रैल 1950 को उन्होंने पार्टी और पद से त्यागपत्र दे दिया।
कांग्रेस के खिलाफ जनसंघ को किया खड़ा
उस वक्त देश में कांग्रेस का कोई ठोस विकल्प नहीं था। ऐसे में श्यमा प्रसाद मुखर्जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर-संघचालक गोलवलकर से चर्चा कर 21 अक्टूबर 1951 को राष्ट्रीय जनसंघ की स्थापना की। इसके अध्यक्ष श्यामा प्रसाद मुखर्जी और महामंत्री दीन दयाल उपाध्याय बनाए गए। 1952 में देश में पहली बार आम चुनाव हुए, तो जनसंघ के 3 सांसद जीतकर संसद पहुंचे। संसद में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नेहरू के नीतियों की जमकर आलोचना की। उन्होंने संसद के अन्दर 32 लोकसभा और 10 राज्यसभा सांसदों के सहयोग से नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी का गठन किया।
कश्मीर के बेखौफ आवाज उठाते थे मुखर्जी
उस समय कश्मीर में धारा 370 की वजह से अलग झंडा और अलग संविधान होता था। कश्मीर के मुख्यमंत्री को वजीर-ए-आजम (अर्थात प्रधानमंत्री) कहा जाता था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी कश्मीर के लिए आवाज उठाने वाले बेखौफ नेता था। वह चाहते थे कि धारा 370 को खत्म कर कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाया जाए। तब कश्मीर जाने के लिए परमिट की जरूरत होती थी। 11 मई 1953 को मुखर्जी बगैर परमिट लिए कश्मीर पहुंच गए और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के दौरान ही रहस्यमयी परिस्थितियों में 23 जून, 1953 को उनका निधन हो गया। यही जनसंघ आगे चलकर भाजपा कहलाने लगी। इसीलिए भाजपा के नेता नारा लगाते थे कि जहां हुए बलिदान मुखर्जी, वो कश्मीर हमारा है। मुखर्जी के निधन के कई दशकों बाद जाकर नरेंद्र मोदी की सरकार ने कश्मीर से धारा 370 को खत्म कर दिया।
Also Read
4 Oct 2024 08:25 PM
छत्तीसगढ़ के बस्तर में शुक्रवार को सुरक्षाकर्मियों ने एक बड़ा ऑपरेशन चलाया, जिसमें 30 नक्सलियों को मार गिराया गया। यह एनकाउंटर नारायणपुर-दंतेवाड़ा अंतर-जिला सीमा पर स्थित अभुजमाड़ के थुलथुली और नेंदुर गांवों के बीच घने जंगल में हुआ। और पढ़ें