पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। कांग्रेस नेता रॉबर्ट वाड्रा ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी।
मनमोहन सिंह बनना आसान नहीं : बिना चुनाव लड़े दो बार बने प्रधानमंत्री, सरल स्वभाव से जीता सबका दिल, आर्थिक सुधारों के लिए किए जाएंगे हमेशा याद
Dec 26, 2024 23:11
Dec 26, 2024 23:11
कांग्रेस में शोक, वर्किंग कमेटी की बैठक रद्द
डॉ. सिंह के निधन की खबर से कांग्रेस में शोक की लहर दौड़ गई। कर्नाटक के बेलगावी में चल रही कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक और 27 दिसंबर को आयोजित होने वाले सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी तुरंत दिल्ली के लिए रवाना हो गए। प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी भी एम्स पहुंचीं।
सरल और शांत स्वभाव के लिए जाने जाते थे
डॉ. मनमोहन सिंह का नाम राजनीति में एक ऐसे नेता के रूप में लिया जाता है जो अपने सरल स्वभाव और शांत व्यक्तित्व के लिए जाने जाते थे। उनके आलोचक भी उनका सम्मान करते थे। संसद में शेरो-शायरी के जरिए उनका भाजपा नेता सुषमा स्वराज के साथ संवाद आज भी याद किया जाता है। उन्होंने मिर्जा गालिब का मशहूर शेर, "हमको उनसे वफा की है उम्मीद, जो नहीं जानते वफ़ा क्या है," पढ़कर भाजपा पर कटाक्ष किया था, जिसका सुषमा स्वराज ने शायरी में जवाब दिया था।
राजनीति से पहले का सफर
डॉ. मनमोहन सिंह ने राजनीति में कदम रखने से पहले भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर के रूप में अपनी सेवाएं दीं। 1982 से 1985 तक आरबीआई के गवर्नर रहते हुए उन्होंने बैंकिंग सेक्टर में कई महत्वपूर्ण सुधार किए। 1985 से 1987 तक वह भारतीय योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे। 1987 से 1990 तक संयुक्त राष्ट्र में दक्षिण आयोग के महासचिव का कार्यभार संभाला।
राज्यसभा के सदस्य रहते बने प्रधानमंत्री
1991 में वह असम से राज्यसभा के सदस्य बने और 1995, 2001, 2007 और 2013 में फिर उच्च सदन के लिए चुने गए। 1998 से 2004 तक वह राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे। डॉ. सिंह राज्यसभा के सदस्य रहते हुए प्रधानमंत्री बनने वाले पहले नेता थे। 1999 में दक्षिणी दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए।
आर्थिक सुधारों के शिल्पकार
डॉ. मनमोहन सिंह को भारत में आर्थिक सुधारों का शिल्पकार माना जाता है। 1991 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG) के ऐलान किए, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिली।
पुरस्कार और सम्मान
डॉ. सिंह को 1987 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें जवाहरलाल नेहरू बर्थ सेंटेनरी अवॉर्ड, एशिया मनी अवॉर्ड और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी का एडम स्मिथ पुरस्कार जैसे कई सम्मान मिले। 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत (अब पाकिस्तान) में जन्मे मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय, कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। डॉ. मनमोहन सिंह का निधन भारतीय राजनीति और आर्थिक सुधारों के युग का अंत है। उनका सरल व्यक्तित्व और सेवा का भाव हमेशा याद किया जाएगा।
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