सावधान! : क्वालिटी टेस्ट में फेल हुईं पैरासिटामोल से लेकर कैल्शियम सप्लीमेंट्स तक की कई दवाएं, CDSCO की रिपोर्ट में खुलासा

क्वालिटी टेस्ट में फेल हुईं पैरासिटामोल से लेकर कैल्शियम सप्लीमेंट्स तक की कई दवाएं, CDSCO की रिपोर्ट में खुलासा
UPT | CDSCO Quality Test

Sep 26, 2024 12:33

इस परीक्षण में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, विटामिन, कैल्शियम डी3 सप्लीमेंट्स, बच्चों में बैक्टीरियल संक्रमण के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली एंटीबायोटिक्स, एसिड रिफ्लक्स और पेट संक्रमण की दवाएं शामिल हैं...

Sep 26, 2024 12:33

Short Highlights
  • CDSCO ने अगस्त 2024 में एक गंभीर रिपोर्ट जारी की 
  • कई दवाओं को "गुणवत्ता मानक के अनुरूप नहीं" घोषित किया गया
  • बाजार में उपलब्ध कई दवाएं मानकों पर खरी नहीं उतरी हैं
New Delhi News : भारत के केंद्रीय ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने अगस्त 2024 में एक गंभीर रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कई दवाएं गुणवत्ता परीक्षण में असफल पाई गईं। इस परीक्षण में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, विटामिन, कैल्शियम डी3 सप्लीमेंट्स, बच्चों में बैक्टीरियल संक्रमण के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली एंटीबायोटिक्स, एसिड रिफ्लक्स और पेट संक्रमण की दवाएं शामिल हैं। इन दवाओं को "गुणवत्ता मानक के अनुरूप नहीं" (NSQ) घोषित किया गया है, जो स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है।

कई दवाएं मानकों पर खरी नहीं उतरी
CDSCO द्वारा किए गए इस क्वालिटी टेस्ट से स्पष्ट होता है कि बाजार में उपलब्ध कई दवाएं मानकों पर खरी नहीं उतरी हैं। यह स्थिति न केवल मरीजों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकती है, बल्कि यह दवा उद्योग की विश्वसनीयता को भी प्रभावित करती है। इस रिपोर्ट के प्रकाश में आने के बाद, यह आवश्यक हो गया है कि स्वास्थ्य अधिकारियों और निर्माता कंपनियों को दवाओं की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि मरीजों को सुरक्षित और प्रभावी उपचार मिल सके।



इन दवाओं की गुणवत्ता पर उठे सवाल
हाल ही में, केंद्रीय ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें कई प्रमुख दवाएं गुणवत्ता परीक्षण में असफल पाई गईं। इनमें से कुछ सामान्य उपयोग की दवाएं जैसे पैरासिटामोल टैबलेट्स (500 mg), जो बुखार और दर्द के इलाज के लिए आमतौर पर उपयोग की जाती हैं, शामिल हैं। इसके अलावा, एंटी-डायबिटिक दवा ग्लाइमेपिराइड, उच्च रक्तचाप के लिए टेल्मा H और एसिड रिफ्लक्स के इलाज के लिए Pan D जैसी दवाएं भी मानकों पर खरी नहीं उतरीं।

ये दवाएं भी हुई फेल
इसके अलावा, बच्चों में बैक्टीरियल संक्रमण के इलाज के लिए दी जाने वाली एंटीबायोटिक क्लैवम 625, साथ ही कैल्शियम सप्लीमेंट्स जैसे शेल्कल C और D3 भी गुणवत्ता परीक्षण में फेल पाए गए हैं। अन्य दवाओं में Pulmosil, Pantocid, Ursocol 300 और Defcort 6 भी शामिल हैं, जो विभिन्न चिकित्सा स्थितियों के इलाज के लिए उपयोग होती हैं। इन दवाओं के मानकों पर खरा न उतरने से स्वास्थ्य सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न उठते हैं, जिससे मरीजों के उपचार में संभावित जोखिम बढ़ जाता है।

जानें क्या बोलीं दवा कंपनियां?
दवाओं की गुणवत्ता परीक्षण रिपोर्ट के बाद, संबंधित कंपनियों ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि रिपोर्ट में उल्लिखित बैच उनके द्वारा निर्मित नहीं किए गए हैं और इन उत्पादों के नकली होने की आशंका जताई है। कंपनियों ने यह भी बताया है कि वे इस मामले में जांच के परिणामों का इंतजार कर रही हैं, जिससे स्थिति की स्पष्टता मिल सके।

जांच के परिणाम आने तक दवा की बिक्री पर रोक नहीं
केंद्रीय ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने बताया कि उनकी रिपोर्ट नकली दवाओं के उत्पादन की जांच के परिणाम पर निर्भर करती है। वर्तमान में, नियामक एजेंसी यह जांच रही है कि क्या ये दवाएं वास्तव में नकली हैं या मानकों का उल्लंघन कर निर्मित की गई हैं। इस जांच के परिणाम आने तक, इन दवाओं को बाजार में बिक्री के लिए प्रतिबंधित नहीं किया गया है, लेकिन CDSCO ने संबंधित कंपनियों को आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा है।

स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर सवाल
वहीं गुणवत्ता मानकों में असफल दवाएं मरीजों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकती हैं। यदि नकली दवाएं बाजार में मौजूद हैं, तो यह न केवल उपचार की प्रभावशीलता को प्रभावित करती हैं, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर भी प्रश्न खड़ा करती हैं। CDSCO की जांच इस मुद्दे की गंभीरता को दर्शाती है और भविष्य में दवा उद्योग की अधिक सख्त निगरानी की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

जानें क्या है सीडीएससीओ?
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) भारत में दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य प्रसाधनों के नियमन के लिए जिम्मेदार प्रमुख संस्था है। यह संगठन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन काम करता है और यह सुनिश्चित करता है कि सभी उत्पाद सुरक्षित, प्रभावी और गुणवत्ता मानकों के अनुरूप हों। CDSCO नई दवाओं और उपकरणों के लिए लाइसेंसिंग और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को भी संभालता है, जिससे बाजार में प्रवेश करने से पहले उनकी सुरक्षा का मूल्यांकन किया जा सके।

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सीडीएससीओ के काम
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के कार्यों में दवाओं की गुणवत्ता का नियंत्रण, नियमित निरीक्षण और फार्माकोविजिलेंस शामिल हैं। यह संगठन दवाओं के उत्पादन और बिक्री पर निगरानी रखता है, ताकि मानकों का पालन सुनिश्चित किया जा सके। इसके अलावा, नैदानिक परीक्षणों की मंजूरी भी CDSCO द्वारा दी जाती है, ताकि दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की सुरक्षा और प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जा सके। इन सभी कार्यों के माध्यम से CDSCO दवा उद्योग की सुरक्षा और स्वास्थ्य मानकों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

अगस्त में लिया गया था निर्णय
गौरतलब है कि अगस्त महीने में, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने भारतीय बाजार में 156 से अधिक फिक्स्ड-डोज दवा संयोजनों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया। इस कदम का कारण यह बताया गया कि ये दवाएं जनता के लिए स्वास्थ्य के लिहाज से जोखिम भरी हो सकती हैं। प्रतिबंधित दवाओं में बुखार, दर्द निवारक, और एलर्जी के इलाज के लिए उपयोग होने वाली गोलियां शामिल हैं, जिनका सेवन स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

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