भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की प्रत्याशी आशा नौटियाल ने कांग्रेस के मनोज रावत को हराकर जीत हासिल की। यह नतीजा पार्टी के लिए एक बड़ी जीत है, खासकर बदरीनाथ विधानसभा सीट पर हाल की हार के बाद...
अयोध्या, बदरीनाथ की सियासी हार का क्रम टूटा : केदारनाथ सीट पर खिला कमल, भाजपा की आशा नौटियाल इतने वोटों से जीतीं
Nov 23, 2024 13:48
Nov 23, 2024 13:48
- केदारनाथ सीट पर बीजेपी का कब्जा
- आशा नौटियाल ने मारी बाजी
- बदरीनाथ की हार के बाद बीजेपी को राहत
कौन हैं आशा नौटियाल
आशा नौटियाल का जन्म 25 जून 1969 को उत्तराखंड के उखीमठ में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा उखीमठ में प्राप्त की और इसके बाद उच्च शिक्षा पूरी की। आशा का शिक्षा के प्रति प्रेम और समाज सेवा के प्रति झुकाव ने उन्हें राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया। आशा नौटियाल ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से की। वह उत्तराखंड महिला मोर्चा की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं, जिसमें उन्होंने महिलाओं के मुद्दों को उठाने और उनका समाधान निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कई विकास योजनाओं का किया समर्थन
आशा नौटियाल ने 2002 से 2012 तक उत्तराखंड विधानसभा की सदस्यता हासिल की। इस दौरान उन्होंने सामाजिक, आर्थिक और बुनियादी ढांचे से संबंधित कई मुद्दों पर काम किया। उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई विकास योजनाओं का समर्थन किया, जो स्थानीय जनता के जीवन स्तर को सुधारने में सहायक रही।
बद्रीनाथ विधानसभा सीट पर मिली थी हार
केदारनाथ विधानसभा सीट पर बीजेपी की जीत काफी अहम मानी जा रही है। क्योंकि, भाजपा को उत्तराखंड की बद्रीनाथ सीट पर हार का सामना करना पड़ा। दरअसल, बद्रीनाथ सीट पर हमेशा कांग्रेस की पारंपरिक जीत होती रही है। 2022 में कांग्रेस के टिकट पर राजेंद्र भंडारी ने यहां विजय प्राप्त की थी, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 से पहले उन्होंने पार्टी बदलने का फैसला किया और भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने उन्हें बद्रीनाथ सीट से अपना उम्मीदवार भी घोषित किया, लेकिन वे जनता का विश्वास हासिल नहीं कर सके। उनका दलबदलू के रूप में प्रस्तुत होने का असर पड़ा और कांग्रेस के उम्मीदवार लखपत बुटोला ने चुनाव में जीत दर्ज की। बता दें कि बद्रीनाथ चार धाम में आता है और यहां बड़े पैमाने पर विकास कार्य चल रहे हैं। बावजूद इसके भाजपा को इस सीट पर शिकस्त मिली।
अन्य धार्मिक नगरी में मिली शिकस्त
इसके अलावा, धर्मनगरी अयोध्या में भी बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। भगवान राम की जन्मस्थली में भाजपा की हार ने कई लोगों को चौंका दिया था, क्योंकि इस तरह की हार की कल्पना भी नहीं की गई थी। इसके साथ ही, अयोध्या के आस-पास के बस्ती जिले और राम वन गमन पथ से जुड़ी सीटें जैसे प्रयागराज, चित्रकूट, नासिक और रामेश्वरम भी भाजपा के हाथ से निकल गईं। इस परिणाम के बाद यह सवाल उठने लगे थे कि क्या भाजपा सरकार धार्मिक स्थलों के विकास के बावजूद स्थानीय मतदाताओं को आकर्षित करने में असफल हो रही है? अयोध्या, बद्रीनाथ जैसे तीर्थस्थलों पर स्थानीय लोगों की नाराजगी ने भाजपा का जो हाल किया, उसके बाद, केदारनाथ सीट पर बीजेपी की जीत को एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक परिणाम माना जा रहा है।
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