मेटा ने दावा किया है कि "वीडियो सील" द्वारा जोड़ा गया वॉटरमार्क हटाने के सामान्य प्रयासों के बावजूद टिकाऊ रहेगा। यह टूल वीडियो की दृश्यता या उसकी गुणवत्ता को प्रभावित नहीं करेगा। हालांकि, मेटा ने यह...
मेटा ने लॉन्च किया 'वीडियो सील' टूल : डीपफेक्स की पहचान में मिलेगा सहारा, धोखाधड़ी और स्कैम से बेचेंगे लोग
Dec 14, 2024 12:36
Dec 14, 2024 12:36
वीडियो की गुणवत्ता पर असर नहीं
मेटा ने दावा किया है कि "वीडियो सील" द्वारा जोड़ा गया वॉटरमार्क हटाने के सामान्य प्रयासों के बावजूद टिकाऊ रहेगा। यह टूल वीडियो की दृश्यता या उसकी गुणवत्ता को प्रभावित नहीं करेगा। हालांकि, मेटा ने यह घोषणा की है कि "वीडियो सील" को ओपन-सोर्स बनाया जाएगा लेकिन अभी तक इसका कोड सार्वजनिक नहीं किया गया है।
डीपफेक्स से उत्पन्न खतरे
जेनरेटिव एआई के तेज़ विकास के साथ डीपफेक्स ने इंटरनेट पर अपनी जड़ें फैलाई हैं। डीपफेक्स, एआई का उपयोग करके बनाई गई ऐसी सामग्री है, जो भ्रामक या गलत जानकारी फैलाने के लिए उपयोग की जाती है। इनका इस्तेमाल अक्सर सार्वजनिक हस्तियों के खिलाफ झूठी खबरें फैलाने, आपत्तिजनक नकली सामग्री बनाने या ऑनलाइन धोखाधड़ी और स्कैम के लिए किया जाता है। मेटा का यह नया टूल डीपफेक्स जैसी सामग्री को पहचानने और उनकी प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
तेजी से बढ़ रही डीपफेक धोखाधड़ी
हाल के आंकड़े डीपफेक्स की बढ़ती समस्याओं को उजागर करते हैं। "संसब" (Sumsub) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में उत्तर अमेरिका में डीपफेक धोखाधड़ी में 1,740 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। जबकि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में यह बढ़ोतरी 1,530 प्रतिशत तक रही। 2022 से 2023 के बीच यह संख्या दोगुनी से भी अधिक हो गई। डीपफेक्स के जरिए असली और नकली सामग्री के बीच फर्क करना आम लोगों के लिए बेहद मुश्किल हो गया है। एक मैकैफी सर्वेक्षण के मुताबिक 70 प्रतिशत लोग पहले से ही वास्तविक और एआई-जनित आवाज के बीच अंतर करने में असमर्थ हैं।
दूसरी कंपनियों के प्रयास
डीपफेक्स की चुनौतियों को देखते हुए अन्य कंपनियां भी इस दिशा में काम कर रही हैं। इस साल की शुरुआत में गूगल ने "सिंथआईडी" नामक एक टूल पेश किया था, जो एआई-जनित टेक्स्ट और वीडियो पर वॉटरमार्क लगाने की क्षमता रखता है। माइक्रोसॉफ्ट ने भी इसी तरह के उपकरण लॉन्च किए हैं।
मेटा की पहल क्यों है महत्वपूर्ण?
मेटा का "वीडियो सील" एआई-जनित वीडियो सामग्री को ट्रैक और सत्यापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह टूल न केवल इंटरनेट पर बढ़ते फेक कंटेंट से निपटने में मदद करेगा, बल्कि डिजिटल मीडिया की विश्वसनीयता को बनाए रखने में भी सहायक होगा।
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