बड़े काम का एआई : दवा से नहीं, अब तकनीक से होगा इलाज, जानिये दिल्ली एम्स का कारनामा...

दवा से नहीं, अब तकनीक से होगा इलाज, जानिये दिल्ली एम्स का कारनामा...
UPT | बड़े काम का एआई

Jun 18, 2024 12:27

एम्स और आईआईटी दिल्ली द्वारा विकसित कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित प्रिडिक्शन मॉडल काफी मददगार साबित होगा। यह मॉडल मरीज की मेडिकल रिपोर्ट्स, ब्लड रिपोर्ट और अन्य आंकड़ों का...

Jun 18, 2024 12:27

New Delhi News : छाती और पेट की मेजर सर्जरी के बाद मरीजों में पोस्ट-ऑपरेटिव पल्मोनरी जटिलताएं (पीपीसी) होने का खतरा काफी अधिक रहता है। ऐसे में एम्स और आईआईटी दिल्ली द्वारा विकसित कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित प्रिडिक्शन मॉडल काफी मददगार साबित होगा। यह मॉडल मरीज की मेडिकल रिपोर्ट्स, ब्लड रिपोर्ट और अन्य आंकड़ों का विश्लेषण करके 24-48 घंटे पहले ही बता देगा कि मरीज को पीपीसी होने का खतरा है या नहीं।


समय रहते ही डॉक्टर को मिलेगी जानकारी
इस जानकारी के आधार पर डॉक्टर समय रहते मरीज को आईसीयू, वेंटिलेटर सपोर्ट, फिजियोथेरेपी या विशेष इलाज जैसी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करा सकेंगे। कई बार मरीज की हालत देखने में सामान्य लगती है, लेकिन समय पर आंकलन न होने से स्थिति गंभीर हो जाती है। ऐसे में यह तकनीक काफी उपयोगी साबित होगी। इस मॉडल को विशेष रूप से छाती और पेट की सर्जरी के बाद होने वाली पीपीसी जटिलताओं को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है, क्योंकि ये सर्जरियां काफी गंभीर होती हैं। एम्स के एनेस्थीसिया विभाग और आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं ने मिलकर यह मॉडल तैयार किया है।

एम्स ने किया नया कारनामा
एम्स के नई दिल्ली स्थित एनेस्थीसिया विभाग और आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं द्वारा एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। इनके सहयोग से गंभीर देखभाल और आपातकालीन देखभाल के लिए एक एआई आधारित प्रिडिक्शन मॉडल विकसित किया जा रहा है। इस मॉडल का उद्देश्य मरीजों की स्थिति में होने वाले खराब परिवर्तनों का समय पूर्व आकलन करना है। इस मॉडल का परीक्षण शुरुआत में 450 मरीजों पर किया गया, जिनकी छाती और पेट की सर्जरी हुई थी। इन मरीजों के आंकड़ों के विश्लेषण से शुरुआती परिणाम बेहतर आए हैं। इस मॉडल की मदद से मरीजों की स्थिति में होने वाले खराब परिवर्तनों का आकलन समय पूर्व लगाने में काफी मदद मिली है। इस समय शोधकर्ता इन परिणामों के विश्लेषण पर काम कर रहे हैं और जल्द ही इसे प्रकाशित करेंगे। इसके साथ ही भविष्य में इस मॉडल को और अधिक सटीक बनाने के लिए 500 अतिरिक्त मरीजों पर इसका परीक्षण किया जाएगा। इस तरह, किसी भी संभावित गलती की आशंका को खत्म किया जा सकेगा।

मॉडल को अपडेट करने की तैयारी
डॉ. मैत्रा ने बताया कि एआई मॉडल को अपडेट करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इस समय इस मॉडल का 450 मरीजों पर परीक्षण किया गया है, जिसमें इसकी सफलता का प्रमाण मिला है। आगामी दिनों में इसे 500 और मरीजों पर और विस्तृत परीक्षण करने की योजना बनाई गई है। इन परीक्षणों के बाद अधिक डेटा को अपलोड करके इस मॉडल को और अच्छा बनाने के लिए उसका अपग्रेड किया जाएगा। यह सुनिश्चित किया गया है कि भविष्य में इस मॉडल की प्रभावीता में सुधार किया जा सके।

एआई मॉडल ऐसे करेगा काम
एआई प्रिडिक्शन मॉडल विभिन्न चिकित्सा रिपोर्ट्स और आवश्यक चिकित्सा इतिहास को संयुक्त रूप से विश्लेषित कर रहा है। इस मॉडल में मरीज की ब्लड रिपोर्ट, क्लीनिकल डेटा और मेडिकल रिकॉर्ड्स जैसी जानकारी अपलोड की जाती है। जो इसे सक्रिय और अग्रगामी चिकित्सा देखभाल के लिए एक महत्वपूर्ण साधन बनाती है। यह मॉडल उपलब्ध डेटा के आधार पर मरीज की स्थिति का आकलन करता है और उसे सूचित करता है कि अगले 24 या 48 घंटे में उसकी स्थिति में कोई संकेत आ सकता है या नहीं। इसके माध्यम से डॉक्टर्स और चिकित्सा विशेषज्ञ आगामी संक्रमण या अन्य स्थिति की संभावना को पहले से ही पहचान सकते हैं, जिससे वे समय रहते उपचार की योजना बना सकते हैं।

अगले चरण में बनेगा एप
इस अध्ययन के अगले चरण में एक मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया जाएगा। जो एकत्र डेटा और विश्लेषण पर आधारित होगा। डॉ. मैत्रा के अनुसार इस एप का निर्माण किया जा रहा है ताकि कोई भी डॉक्टर आसानी से इसका उपयोग कर सके। उन्होंने बताया कि कई बार मरीजों को विशेष देखभाल और उपचार की आवश्यकता होती है, जैसे कि फिजियोथेरेपी। इस एप का उद्देश्य डॉक्टरों को मरीजों के लिए सर्वोत्तम देखभाल योजना तैयार करने में सक्षम बनाना है।

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