लोकसभा में शीतकालीन सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर अपना भाषण दिया। पीएम मोदी के आगमन पर सदन में जोरदार स्वागत हुआ...
कांग्रेस पर पीएम मोदी का हमला : बोले- संविधान को बार-बार बदला, इंदिरा गांधी ने की थी न्यायपालिका की शक्ति कमजोर करने की कोशिश
Dec 14, 2024 20:08
Dec 14, 2024 20:08
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कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चुनौती दी: मोदी
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कांग्रेस पार्टी पर सीधा हमला करते हुए कहा कि एक परिवार ने संविधान को कमजोर करने और उसमें लगातार बदलाव करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनका यह बयान 75 वर्षों में से 55 वर्षों तक एक ही परिवार के शासन को लेकर था, जो उनके मुताबिक संविधान के साथ खिलवाड़ कर रहा था। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि इस परिवार ने हर स्तर पर संविधान को चुनौती दी। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि संविधान में किए गए बदलावों के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि संविधान संशोधन का खून कांग्रेस के मुंह लग चुका था, जिसके कारण वे बार-बार संविधान का शिकार करते रहे। उन्होंने यह उदाहरण देते हुए बताया कि पिछले छह दशकों में 75 बार संविधान में संशोधन किए गए, जो कि संविधान की आत्मा के खिलाफ था।
संविधान संशोधन और इंदिरा गांधी के समय में बदलावSpeaking in the Lok Sabha.https://t.co/iSrP6pOV2p
— Narendra Modi (@narendramodi) December 14, 2024
प्रधानमंत्री ने संविधान संशोधनों का जिक्र करते हुए बताया कि संविधान का सबसे बड़ा उल्लंघन 1971 में हुआ, जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए संविधान में बदलाव किया गया। उन्होंने बताया कि इंदिरा गांधी ने उस समय संसद के अधिकारों का दुरुपयोग किया और अदालत की ताकत को कम किया। यह बदलाव भारतीय न्यायपालिका को कमजोर करने की कोशिश थी। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने संविधान के कुछ आर्टिकल्स में बदलाव कर दिया, जिससे संसद को यह अधिकार मिल गया कि वह किसी भी आर्टिकल में परिवर्तन कर सकती है और अदालत उसपर कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बदलाव को 'पाप' करार दिया और कहा कि इस बदलाव के कारण इंदिरा गांधी की सरकार को मौलिक अधिकारों पर नियंत्रण करने का अवसर मिला। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इंदिरा गांधी ने 1975 में इमरजेंसी लगाकर अपनी सत्ता को बचाने के लिए देश के लोकतांत्रिक ढांचे को तहस-नहस कर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि इंदिरा गांधी ने 1975 में 39 बार संविधान में बदलाव किया, जिससे राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अध्यक्ष के चुनावों के खिलाफ कोर्ट में कोई अपील नहीं हो सकती थी। यह बदलाव संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ था।
भारत का लोकतंत्र और संविधान
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के लोकतांत्रिक इतिहास को भी याद करते हुए कहा कि भारत का लोकतंत्र कोई नया नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने भारतीय संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करते हुए संविधान तैयार किया था। उनका कहना था कि भारत का लोकतंत्र सैकड़ों साल पुराना है और यही कारण है कि भारत को "मदर ऑफ डेमोक्रेसी" कहा जाता है। मोदी ने बाबा साहब अंबेडकर के विचारों को साझा करते हुए कहा कि भारतीय लोकतंत्र का निर्माण सिर्फ पश्चिमी विचारधारा पर आधारित नहीं था, बल्कि यह भारतीय समाज की प्राचीन परंपराओं का हिस्सा था। प्रधानमंत्री ने महिलाओं के योगदान को भी सम्मानित करते हुए कहा कि संविधान निर्माण में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने बताया कि महिलाओं ने संविधान सभा की डिबेट को समृद्ध किया था और उनके विचार संविधान निर्माण में गहरे प्रभाव डालते थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भी भारत के हर बड़े सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे में महिलाओं का योगदान लगातार बढ़ता जा रहा है। उन्होंने विशेष रूप से महिला राष्ट्रपति, आदिवासी महिला राष्ट्रपति, की ओर इशारा किया और इसे संविधान की भावना की अभिव्यक्ति बताया।
नारी शक्ति को सशक्त करने की दिशा में कदम
प्रधानमंत्री मोदी ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम के बारे में भी चर्चा की, जो महिलाओं के लिए भारतीय लोकतंत्र में उनकी भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए किया गया था। उन्होंने कहा कि आज भारत की महिला शक्ति हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही है, चाहे वह राजनीति, शिक्षा, खेलकूद या विज्ञान हो। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार लगातार कदम उठा रही है और आगामी समय में महिलाएं और भी बड़े बदलावों का हिस्सा बनेंगी।
भारत की एकता और संविधान की महत्ता
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत की एकता संविधान के आधार पर ही मजबूत है। उन्होंने बताया कि भारतीय संविधान में विविधता के बावजूद एकता की भावना का समावेश किया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि उनका प्रयास लगातार यही रहा है कि भारत की एकता को मजबूत किया जाए, चाहे वह अनुच्छेद 370 का हटाना हो या जीएसटी लागू करना हो। प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान के मुताबिक ही भारत में एक राष्ट्र, एक टैक्स और एक राशन कार्ड योजना लागू की गई।
संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ इमरजेंसी का काला अध्याय
प्रधानमंत्री मोदी ने 1975 की इमरजेंसी का जिक्र करते हुए कहा कि यह संविधान का सबसे काला अध्याय था। उन्होंने कहा कि इस दौरान देश में संविधान की सारी व्यवस्थाएं खत्म कर दी गई थीं और लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचल दिया गया था। प्रेस की स्वतंत्रता को समाप्त कर दिया गया था और हजारों लोगों को जेलों में डाल दिया गया था। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के इस कार्यकाल को "संविधान के खिलाफ पाप" बताया और कहा कि यह सजा कभी नहीं मिटी।
नया भारत और संविधान की दिशा
प्रधानमंत्री मोदी ने अंत में कहा कि आज भारत तेज गति से विकास कर रहा है और आने वाले समय में यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि 140 करोड़ भारतीयों का संकल्प है कि वे आजादी की शताब्दी पर एक विकसित भारत बनाएंगे। प्रधानमंत्री ने इस प्रक्रिया में संविधान की भूमिका को अहम बताते हुए कहा कि यह संविधान ही था जिसने देश के प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार दिए और उन्हें आगे बढ़ने का अवसर प्रदान किया।
अहंकारी व्यक्ति ने फाड़ दिया कैबिनेट का फैसला
मनमोहन सिंह जी ने भी कहा था कि पार्टी अध्यक्ष सत्ता का केंद्र होते हैं। इतिहास में पहली बार संविधान को गहरी चोट पहुंचाई गई, क्योंकि संविधान निर्माताओं ने चुनी हुई सरकार की कल्पना की थी। लेकिन एक गैर संवैधानिक व्यक्ति को प्रधानमंत्री के ऊपर बैठा दिया गया और उसे पीएमओ के ऊपर का दर्जा दे दिया गया। एक पीढ़ी के बाद, उन लोगों ने संविधान के तहत जनता द्वारा चुनी गई सरकार को नकारते हुए कैबिनेट के फैसले को सार्वजनिक रूप से नकार दिया। यह संविधान के साथ खिलवाड़ और अहंकार से भरी व्यवस्था थी, जिसने शासन की मर्यादा को तोड़ा।
समान नागरिक संहिता को लाने में लगी हुई है सरकार
समान नागरिक संहिता पर संविधान सभा में गहरी चर्चा हुई थी। बहस के बाद निर्णय लिया गया कि चुनी हुई सरकार इस पर निर्णय लेगी और इसे लागू करेगी। धार्मिक आधार पर बने पर्सनल लॉ को समाप्त करने की जोरदार वकालत मुंशी जी ने की थी। उन्होंने समान नागरिक संहिता को राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए अनिवार्य बताया। सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार कहा है कि यूनिफार्म सिविल कोड को जल्द लागू किया जाना चाहिए। संविधान निर्माताओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए हम पूरी ताकत से समान नागरिक संहिता को लागू करने में जुटे हैं।
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सरदार जी होते देश के पहले पीएम
कांग्रेस के मुंह से संविधान शब्द शोभा नहीं देता, क्योंकि जो अपनी पार्टी के संविधान को नहीं मानते, वे देश के संविधान को कैसे स्वीकार सकते हैं। कांग्रेस की 12 प्रदेश समितियों ने सरदार पटेल को प्रधानमंत्री बनाने की सहमति दी थी, लेकिन अपनी पार्टी के संविधान को न मानते हुए सरदार पटेल पीएम नहीं बन सके। 2014 के बाद एनडीए को सेवा का मौका मिला, जिससे संविधान और लोकतंत्र को मजबूती मिली। हमने संविधान में संशोधन किए, जो देश की एकता, अखंडता और संविधान की भावना के प्रति पूर्ण समर्थन के साथ किए गए। हमें गर्व है कि हमने यह किया।
हमने भी संविधान में संशोधन किया
इस देश में एक बड़ा वर्ग था जो गरीबी के कारण अवसरों से वंचित था, जिससे असंतोष फैल रहा था। हमने संविधान संशोधन कर 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया, जिसे सभी ने स्वीकार किया। महिलाओं को शक्ति देने के लिए भी संविधान में संशोधन किया। हमने संविधान में बदलाव देश की एकता और अखंडता के लिए किए। हमने धारा 370 को हटाया, जिस पर अब कोर्ट ने भी मुहर लगाई है। कांग्रेस हमेशा "गरीबी हटाओ" जैसे जुमलों का सहारा लेती रही, लेकिन असल में गरीबी खत्म नहीं हुई, जबकि हमने ठोस कदम उठाए।
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