रतन टाटा साल 1991 में टाटा ग्रुप के चेयरमैन का पद संभाला था। उन्होंने 21 साल तक यह जिम्मेदारी संभाली और फिर रिटायर हो गए। आज के समय में उनकी नेटवर्थ 3800 करोड़ रुपये है।
उत्तर प्रदेश से था खास लगाव : रतन टाटा ने कहा था- यूपी ने चुराया मेरा दिल, बचपन से बुलंदी तक ऐसा था सफर...
Oct 10, 2024 10:19
Oct 10, 2024 10:19
सीएम योगी ने जताया शोक
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर लिखा कि भारत के प्रख्यात उद्योगपति, 'पद्म विभूषण' रतन टाटा जी का निधन अत्यंत दुःखद है। वह भारतीय उद्योग जगत के महानायक थे। उनका जाना उद्योग जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उनका सम्पूर्ण जीवन देश के औद्योगिक और सामाजिक विकास को समर्पित था। वे सच्चे अर्थों में देश के रत्न थे। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान तथा उनके शोकाकुल परिजनों और प्रशंसकों को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति!
भारत के प्रख्यात उद्योगपति, 'पद्म विभूषण' श्री रतन टाटा जी का निधन अत्यंत दुःखद है।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) October 9, 2024
वह भारतीय उद्योग जगत के महानायक थे। उनका जाना उद्योग जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उनका सम्पूर्ण जीवन देश के औद्योगिक और सामाजिक विकास को समर्पित था। वे सच्चे अर्थों में देश के रत्न थे।
प्रभु…
मुंबई में ली थी शुरुआती शिक्षा
रतन टाटा साल 1991 में टाटा ग्रुप के चेयरमैन का पद संभाला था। उन्होंने 21 साल तक यह जिम्मेदारी संभाली और फिर रिटायर हो गए। आज के समय में उनकी नेटवर्थ 3800 करोड़ रुपये है। रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में नवल टाटा और सूनी टाटा के घर हुआ था। उन्होंने 8वीं कक्षा तक कैंपियन स्कूल में पढ़ाई की और उसके बाद मुंबई में कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल और शिमला में बिशप कॉटन स्कूल में पढ़ाई की। बाद में वे आर्किटेक्चर की पढ़ाई करने के लिए कॉर्नेल यूनिवर्सिटी गए और 1962 में भारत लौटने से पहले लॉस एंजिल्स में जोन्स और एमन्स के साथ कुछ समय तक काम किया। उसी वर्ष वे टाटा ग्रुप में शामिल हो गए और जमशेदपुर में टाटा स्टील डिवीजन के साथ काम किया। बाद में उन्होंने ने 1975 में हार्वर्ड बिजने सस्कूल में मैनेजमेंट कोर्स पूरा किया।
1991 में टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने
रतन टाटा ने1991 में टाटा ग्रुप के चेयरमैन का पद संभाला। भले ही उनका नाम देश के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में बहुत नीचे आता है, लेकिन रतन टाटा अपने बिजनेस एंपायर और अपनी मजबूत कार्य नीति के लिए जाने जाते हैं।
रतन को प्यार तो हुआ, पर शादी नहीं
ऐसा नहीं है कि रतन टाटा को प्यार नहीं हुआ, हालांकि किस्मत कुछ ऐसी रही कि वे शादी नहीं कर पाए। रतन टाटा की जिंदगी में एक महिला आयी थी, लेकिन वह उसे अपना जीवन साथी न बना सके। रतन टाटा का बचपन अकेलेपन में बीता था। उनके माता-पिता के बीच अनबन की वजह से उनकी दादी ने उनका पालन-पोषण किया। वे बड़े हुए, तो उन्हें प्यार तो हुआ, लेकिन शादी न कर सके।
इतने करोड़ रुपये थी रतन टाटा का नेट वर्थ
रतन टाटा की नेट वर्थ 3,800 करोड़ रुपये थी और वे IIFL वेल्थ हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2022 में 421वें स्थान पर थे। इससे पहले वे 433वें स्थान पर थे और 2021 में उनकी नेट वर्थ 3500 करोड़ रुपये थी। इसके पीछे एक प्रमुख कारण यह है कि टाटा ट्रस्ट होल्डिंग कंपनी के तहत फर्मों द्वारा की गई कुल कमाई का 66% योगदान देता है।
बड़े दानवीर थे
रतन टाटा को एक बेहतर इंसान के रूप में इसलिए जाना जाता है क्योंकि उन्होंने कई बार जरूरतमंदों को दान करके इंसानियत का परिचय दिया है। वे दान के मामले में जमशेदजी टाटा के बाद सबसे बड़े दानवीरों में से एक हैं। रतन टाटा ने अपनी कमाई का 60-70% हिस्सा दान कर दिया है। सर रतन टाटा ट्रस्ट की स्थापना 1919 में 80 लाख रुपये की राशि के साथ की गई थी। वर्तमान में टाटा ट्रस्ट भारत में सबसे प्रतिष्ठित और स्थापित चैरिटेबल फाउंडेशन में से एक है। रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने भारत में स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाई है।
2017 में सीएम योगी ने रतन टाटा से की थी मुलाकात
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 2017 में मुंबई में रतन टाटा तक से मुलाकात की थी। इस दौरान रतन टाटा ने वाराणसी में कैंसर इंस्टीट्यूट खोलने का वादा किया था। रतन टाटा ने लखनऊ में टीसीएस सेंटर टाटा मोटर्स का विस्तार जल्द करने को लेकर योगी से बातचीत की थी। इसके साथ ही रतन टाटा ने लखनऊ या आगरा में से किसी एक शहर को गोद लेने का वादा भी किया था।
रतन टाटा ने कहा था-यूपी ने चुराया मेरा दिल
उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार के दौरान यूपी सरकार और टाटा ट्रस्ट के बीच सीएम आवास पर एमओयू साइन किया गया था। इसके तहत टाटा ट्रस्ट मॉलन्यूट्रिशन, शिक्षा, मातृ-बच्चा स्वास्थ्य सेवाएं और सोलर एनर्जी जैसे अहम सेक्टर के अलावा अन्य मदों में सहायता देगी। इस दौरान कार्यक्रम में बोलते हुए रतन टाटा ने कहा था कि 'मुझे यहां आकर बहुत खुशी हो रही है। आज जो एमओयू साइन हो रहा है, वो हम दोनों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि कुपोषण को लेकर प्रदेश सरकार से इतना सहयोग मिलेगा। वाकई यूपी ने मेरा दिल चुरा लिया है। वहीं, सीएम ने भी समझौते को ऐतिहासिक बताते हुए रतन टाटा का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि इस करार से प्रदेश के विकास में तेजी आएगी। ये नवाबों का शहर है, जो दूसरों को तहजीब और अदब का रास्ता दिखाता है।
सरकार की ओर से मुख्य सचिव रहे आलोक रंजन और टाटा ट्रस्ट की ओर से एक्जीक्यूटिव ट्रस्टी आर वेंकेटरमन ने करार पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान सीएम अखिलेश यादव, टाटा ट्रस्ट के चेयरमेन रतन टाटा, सीएम की पत्नी और सांसद डिपंल यादव, मंत्री राजेंद्र चौधरी और अभिषेक मिश्र भी मौजूद थे। वेंकेटरमन ने बताया कि इस करार के लिए वो सरकार का शुक्रिया अदा करते हैं। अब वो सरकार के साथ मिलकर काम करेंगे। इससे पहले उन्होंने कभी यूपी में काम नहीं किया था। वहीं, मुख्य सचिव ने बताया कि इस करार से प्रदेश की जनता के जीवन के स्तर में सुधार आएगा। यूपी के विकास का पहिया और तेजी से आगे चलेगा। इसके लिए एक कमिटी भी बनाई गई है, जो इसकी मॉनिटरिंग के साथ काम को बढ़ावा भी देगी।
यूपी देश को आगे ले जाएगा
रतन टाटा के मुताबिक, ''यूपी को हमेशा कमतर आंका गया है, जबकि इस राज्य में बहुत संभावनाएं है। यूपी पूरे देश को लीड करने की ताकत रखता है। अगर हम लोग प्रदेश के विकास के लिए कुछ भी मदद कर सकते है तो हम वादा करते है कि हर संभव रूप से मदद करेंगे। यूपी के सीएम ने यहां बहुत कुछ किया है और हम आपको बता देना चाहते है कि हम आप के दोस्त हैं।''
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