9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। आज नवरात्रि का दूसरा दिन है। इस दिन को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है। मां ब्रह्मचारिणी का पूजन करने अनेक सिद्धियां प्राप्त...
Chaitra Navratri 2024 : नवरात्रि के दूसरे दिन ऐसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें क्या है विधि...
Apr 10, 2024 12:49
Apr 10, 2024 12:49
मां ब्रह्मचारिणी संसार में ऊर्जा का प्रवाह करतीं हैं
मां दुर्गा को समर्पित चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। आज यानी 10 मार्च को चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है। इस पावन दिनों में मां के भक्त उनके नौ अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं। दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्माचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है। बता दें, मां ब्रह्माचारिणी की कृपा पाने के लिए भक्त व्रत रखते हैं और पूरी श्रद्धा से पूजा-अर्चना करते हैं। हिन्दू मान्यता के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी संसार में ऊर्जा का प्रवाह करती हैं। इनकी कृपा से मनुष्य को आंतरिक शांति प्राप्त होती है। इसी के साथ माता का यह स्वरूप बताता है कि जीवन में कठिन से कठिन समय में भी मनुष्य को विचलित नहीं होना चाहिए।
ऐसे पड़ा मां का नाम
ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यंत भव्य है। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएं हाथ में कमंडल रहता है। अपने पूर्व जन्म में जब ये हिमालय के घर में पुत्री रूप में उत्पन्न हुई थीं, तब नारद के उपदेश से इन्होंने भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए अत्यंत कठिन तपस्या की थी। हजारों वर्षों की तपस्या के बाद इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा। बता दें, अपनी इस तपस्या की अवधि में मां ने कई वर्षों तक निराहार रहकर कठिन तप से महादेव को प्रसन्न कर लिया। उसके बाद से नवरात्र के दूसरे दिन मां देवी के इस रूप की पूजा-अर्चना की जाती है।
इन चीजों का लगाएं मां ब्रह्मचारिणी को भोग
मां के खास दिन पर मां को उनका पसंदीदा भोग लगाना भी उत्तम माना जाता है। इस दिन माता रानी को पूजन के दौरान चीनी का भोग लगाया जाता है। माना जाता है कि मां को शक्कर अति प्रिय है। इस दिन ब्राम्हण को चीनी का दान करना भी शुभ माना जाता है।
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप
माता ब्रह्मचारिणी को ब्राह्मी भी कहा जाता है। मां ब्रह्मचारिणी आयु और स्मरण शक्ति बढ़ाती है। साथ ही रुधिर विकारों का नाश करती हैं और सुख शांति प्रदान करती हैं। मां के मुखमंडल पर कांतिमय आभा झलकती है, जो ममता का अलौकिक स्वरूप है। इनका स्वरूप श्वेत वस्त्र में लिपटी हुई कन्या के रूप में है। मां के दाहिने हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल धारण की हैं। इसी के साथ मां ब्रह्मचारिणी को विद्या की देवी भी कहा जाता है। खासकर विद्यार्थियों को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना जरूर करनी चाहिए।
मां ब्रह्मचारिणी के इस मंत्र का करें उच्चारण...
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
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