महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए खानपान की दुकानों का भी खास ख्याल रखा जा रहा है। मेला क्षेत्र में दुकानों का आवंटन ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया के जरिए किया जा रहा है।
महाकुंभ को लेकर दुकानों का आवंटन शुरू : सबसे महंगी शॉप 92 लाख में हुई अलॉट, ऐसे लग रही बोली
Nov 29, 2024 13:46
Nov 29, 2024 13:46
महाकुंभ में दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया
महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए खानपान की दुकानों का भी खास ख्याल रखा जा रहा है। मेला क्षेत्र में दुकानों का आवंटन ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया के जरिए किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में जो दुकानदार सबसे अधिक बोली लगाता है, उसे दुकान के लिए जगह आवंटित की जाती है।
इस बार महाकुंभ में नाश्ते की दुकानों के लिए जमीन के आवंटन की कीमत लाखों में पहुंच गई है। उदाहरण के लिए, "महाराज कचौड़ी एवं प्रसाद भोग" नामक दुकान को 92 लाख रुपये (जीएसटी सहित) में एक साल के लिए जगह आवंटित की गई है। वहीं, "महाकाल प्रसाद भोग एवं कचौड़ी भंडार" को 76 लाख रुपये में आवंटन मिला है। इन दुकानों पर पारंपरिक नाश्ता जैसे कचौड़ी, लड्डू और जलेबी बेचे जाएंगे, जो श्रद्धालुओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं।
महाकुंभ के दौरान बढ़ा किराया
महाकुंभ के आयोजन के कारण दुकानों का किराया सामान्य दिनों की तुलना में काफी बढ़ गया है। सामान्य दिनों में दुकानें कम कीमत पर मिलती हैं, लेकिन इस बार महाकुंभ के कारण मेला प्राधिकरण ने जमीन का बेस प्राइस बढ़ा दिया है। दुकान मालिकों का कहना है कि यह भारी निवेश मां गंगा और बजरंगबली की कृपा से ही सफल होगा। उनका विश्वास है कि श्रद्धालुओं की भीड़ और मेले की रौनक से उनका व्यापार फल-फूल जाएगा।
छोटे दुकानदारों के लिए चुनौतियां
जहां बड़े दुकानदार लाखों रुपये की बोली लगाकर दुकानें हासिल कर रहे हैं, वहीं सड़कों के किनारे अस्थायी दुकानें लगाने वाले छोटे दुकानदार मेला प्रशासन की गाइडलाइन्स के अनुसार अपनी दुकानें लगाने की तैयारी कर रहे हैं। प्रशासन ने इस बार 10,000 से अधिक दुकानों के आवंटन का लक्ष्य रखा है, ताकि छोटे और बड़े सभी प्रकार के व्यापारियों को अवसर मिल सके।
महाकुंभ 2025: एक वैश्विक आयोजन
महाकुंभ 2025 को दुनिया भर के श्रद्धालुओं के लिए आकर्षक और सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार ने व्यापक प्रबंध किए हैं। प्रयागराज शहर को हाईटेक बनाने के साथ-साथ, श्रद्धालुओं को भोजन, आवास और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। महाकुंभ का यह आयोजन, न केवल धार्मिक बल्कि आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी, प्रयागराज के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।
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