डॉ. राजेंद्र प्रसाद, भारत के पहले राष्ट्रपति, का प्रयागराज से विशेष जुड़ाव था। उनका संबंध केवल धार्मिक आस्था से नहीं, बल्कि शैक्षिक और कानूनी क्षेत्र में किए गए उनके योगदान से भी गहरा था। प्रयागराज के कुंभ मेले में उनकी भागीदारी से लेकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के साथ उनके संबंध, उनके जीवन की विविधता को दर्शाते हैं।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद और प्रयागराज का ऐतिहासिक संबंध : कुंभ मेले में कल्पवास करने वाले इकलौते राष्ट्रपति, किले की छत पर बनाया गया था कैंप
Dec 04, 2024 00:59
Dec 04, 2024 00:59
- 1954 के प्रयागराज कुंभ मेले के दौरान उन्होंने कल्पवास किया
- कल्पवास के दौरान संतों, साधुओं और श्रद्धालुओं से मुलाकात की
कुंभ और कल्पवास
1954 के कुंभ मेले में डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रपति पद पर रहते हुए संगम के निकट एक महीने का कल्पवास किया था। प्रोटोकॉल और सुरक्षा कारणों से उन्होंने आम श्रद्धालुओं के बीच न रहते हुए अकबर के किले की छत पर रहकर विधि-विधान से कल्पवास किया। यह स्थल बाद में प्रेसिडेंशियल व्यू के नाम से प्रसिद्ध हुआ। डॉ.राजेंद्र प्रसाद के प्रयागराज कुंभ में भाग लेने का ऐतिहासिक महत्व है, क्योंकि वह अब तक के इकलौते भारतीय राष्ट्रपति हैं जिन्होंने इस प्रकार का धार्मिक अनुष्ठान किया। उनका यह कदम न केवल धार्मिक आस्था को व्यक्त करता है, बल्कि समाज में परंपराओं के महत्व को भी दर्शाता है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से जुड़ाव
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का प्रयागराज से दूसरा महत्वपूर्ण संबंध इलाहाबाद विश्वविद्यालय से था। उन्हें 1916 और 1937 में दो बार इस विश्वविद्यालय द्वारा विधि की मानद उपाधि प्रदान की गई थी। 1916 में यह उपाधि विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति सर सुंदर लाल के कार्यकाल में दी गई थी। इसके बाद 1937 में दूसरी बार यह सम्मान कुलपति पंडित इकबाल नारायण गुर्टू के कार्यकाल में दिया गया।
राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय
डॉ. राजेंद्र प्रसाद के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए, उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रयागराज के झलवा क्षेत्र में बनने वाले राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का नाम उनके नाम पर रखा। इसके लिए 2022 में उत्तर प्रदेश सरकार ने एक्ट में संशोधन किया। डॉ. प्रसाद की विधि के क्षेत्र में गहरी पकड़ और उनका शिक्षण उनके व्यक्तित्व का एक अहम पहलू था। उनकी लिखी किताबों ने विधि के अनेक छात्रों को प्रेरित किया। यह निर्णय उनकी विधि क्षेत्र में उपलब्धियों और प्रयागराज के साथ उनके ऐतिहासिक जुड़ाव को रेखांकित करता है।
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