ज्ञानवापी मामले में आज होगी सुनवाई : वजूखाने का सर्वेक्षण कराने की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट सुनाएगा फैसला

वजूखाने का सर्वेक्षण कराने की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट सुनाएगा फैसला
UPT | ज्ञानवापी मस्जिद

Dec 02, 2024 12:57

इलाहाबाद हाईकोर्ट ज्ञानवापी परिसर में वजूखाना के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग पर सुनवाई करेगा। मुस्लिम पक्ष ने वजूखाने के सर्वेक्षण की एएसआई से कराने की मांग का विरोध किया है।

Dec 02, 2024 12:57

Prayagraj News : सोमवार 2 दिसंबर 2024 को दोपहर 2 बजे इलाहाबाद हाईकोर्ट ज्ञानवापी परिसर में वजूखाना के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग पर सुनवाई करेगा। याचिका में मांग की गई है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से वजूखाना का सर्वेक्षण कराया जाए। याचिका में यह भी कहा गया है कि जिस तरह परिसर के बाकी हिस्सों का सर्वेक्षण किया जा रहा है, उसी तरह वजूखाना का भी सर्वेक्षण जरूरी है।

मुस्लिम पक्ष ने की विरोध की दलीलें
वहीं मुस्लिम पक्ष ने वजूखाने के सर्वेक्षण की एएसआई से कराने की मांग का विरोध किया है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पहले ही रोक लगा दी है, और अब इस पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए। मुस्लिम पक्ष के वकील का कहना है कि वजूखाने का सर्वेक्षण करने से धार्मिक भावना को ठेस पहुंच सकती है और यह मामले को और विवादित कर सकता है। इसके अलावा, वे यह भी दावा करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर पहले ही रोक लगा दी थी।



वजूखाने के सर्वेक्षण का महत्व
याचिका में वजूखाने के सर्वेक्षण को ज्ञानवापी परिसर के धार्मिक स्वरूप का निर्धारण करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताया गया है। याचिका में कहा गया है कि शिवलिंग के अलावा वजूखाने के बाकी हिस्से का भी सर्वेक्षण किया जाना चाहिए। याचिका दायर करने वाली वादिनी राखी सिंह ने यह भी कहा कि वजूखाने के बाकी हिस्से की पुरातात्त्विक जांच से यह स्पष्ट हो सकेगा कि यह हिस्सा किस प्रकार का था और इसका धार्मिक महत्व क्या है।

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शिवलिंग पर सुप्रीम कोर्ट की रोक
याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि हाईकोर्ट ने पिछले साल शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने का आदेश दिया था, लेकिन इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। इस मामले में उच्चतम न्यायालय की ओर से निर्देश दिए गए थे कि इस प्रकार के सर्वेक्षण से पहले उसकी अनुमति आवश्यक है। हालांकि, याचिका में शिवलिंग के सर्वेक्षण से संबंधित मांग नहीं की गई, बल्कि केवल वजूखाने के बाकी हिस्से का सर्वेक्षण कराने की बात की गई है।

ज्ञानवापी परिसर का एएसआई सर्वे
वहीं, वाराणसी जिले की सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने हाल ही में हिंदू पक्ष की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें ज्ञानवापी परिसर के पूरे हिस्से का एएसआई सर्वे कराने की मांग की गई थी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ज्ञानवापी के पूरे परिसर का सर्वेक्षण नहीं कराया जाएगा। इस फैसले के बाद, हिंदू पक्ष के वकील विजय शंकर रस्तोगी ने कहा था कि वे इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करेंगे। इसके बाद, अब यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहुंचा है, जहां 2 दिसंबर को इस पर सुनवाई होगी।

न्यायिक प्रक्रिया और संभावित परिणाम
इस मामले की सुनवाई अब हाईकोर्ट में होगी, जहां दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत अपना फैसला सुनाएगी। अगर अदालत एएसआई से वजूखाने का सर्वेक्षण कराने की अनुमति देती है, तो यह ज्ञानवापी मामले में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि इस तरह के सर्वे से विवाद और बढ़ सकता है, और इसे धार्मिक दृष्टिकोण से संवेदनशील मामला माना जाता है।

ज्ञानवापी मामला
अक्टूबर 1991 में, स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर और पांच अन्य की ओर से वाराणसी सिविल जज के समक्ष एक याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में निकटवर्ती काशी विश्वनाथ मंदिर के ज्ञानवापी क्षेत्र की बहाली की मांग की गई थी। याचिकाकर्ताओं ने परिसर से मुसलमानों को हटाने और मस्जिद को ध्वस्त करने की मांग की थी। 1991 के याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि 16वीं शताब्दी में औरंगजेब के शासनकाल के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर के एक हिस्से को तोड़कर उसके आदेश पर मस्जिद का निर्माण किया गया था।

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