महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की संख्या एक नया रिकॉर्ड बनाने की ओर अग्रसर है और इस बार योगी सरकार मॉडर्न टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर दुनिया का सबसे बड़ा हेडकाउंट करने की योजना बना रही है...
दुनिया का सबसे बड़ा मेला : महाकुंभ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं की गिनती AI से होगी, रिस्ट बैंड से हर यात्री की ट्रैकिंग
Dec 10, 2024 17:34
Dec 10, 2024 17:34
एआई तकनीक का होगा इस्तेमाल
इस बार, मेला प्रशासन ने एआई तकनीक सहित कई अन्य आधुनिक तरीकों को अपनाया है, ताकि इस इतिहासिक आयोजन का सही तरीके से आंकलन किया जा सके। इस प्रयास का उद्देश्य न केवल महाकुंभ बल्कि दुनिया के सबसे बड़े आयोजनों में सबसे बड़े हेडकाउंट का रिकॉर्ड स्थापित करना है। प्रशासन इस कार्य में जुटा है ताकि पूरी दुनिया में एक नया इतिहास बने।
श्रद्धालुओं की होगी गिनती
दरअसल, प्रयागराज में जब भी कुम्भ या महाकुम्भ का आयोजन होता है तो बड़ी संख्या में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने आते हैं। हालांकि, अब तक इनकी संख्या को काउंट करने की कोई सटीक तकनीक नहीं थी। हालांकि, इस बार एआई कैमरों के साथ ही कई अन्य तकनीकों का सहारा लिया जा रहा है, ताकि महाकुम्भ में आने वाले एक-एक श्रद्धालु की गिनती की जा सके और उन्हें ट्रैक भी किया जा सके।
200 स्थानों पर लगेंगे लगभग 744 अस्थायी सीसीटीवी कैमरे
इस संबंध में मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने बताया कि महाकुम्भ 2025 में 40 करोड़ से अधिक लोगों के आने की संभावना है, जो अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड होगा। इतनी बड़ी संख्या में लोगों की काउंटिंग और ट्रैकिंग के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। श्रद्धालुओं को ट्रैक करने के लिए मेला क्षेत्र के अंदर 200 स्थानों पर लगभग 744 अस्थायी सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं, जबकि शहर के अंदर 268 स्थानों पर 1107 स्थायी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। यही नहीं, 100 से अधिक पार्किंग स्थलों पर 720 सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल किए गए हैं।
एआई की मदद से ट्रैकिंग होगी आसान
उन्होंने बताया कि आईसीसीसी एवं पुलिस लाइन कंट्रोल रूम के अलावा, अरैल और झूंसी क्षेत्र में भी व्यूइंग सेंटर्स बनाए गए हैं, जहां से श्रद्धालुओं की मॉनीटरिंग करने का प्रयास किया जा रहा है। मंडलायुक्त ने बताया कि इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का हेडकाउंट बड़ी चुनौती है, लेकिन इसमें एआई का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण होगा। एआई का उपयोग करते हुए क्राउड डेंसिटी अलगोरिदम से लोगों के काउंटिंग का भी प्रयास किया जा रहा है। एआई आधारित क्राउड मैनेजमेंट रियल टाइम अलर्ट जनरेट करेगा, जिसके माध्यम से संबंधित अधिकारियों को श्रद्धालुओं की काउंटिंग एवं ट्रैकिंग करना आसान होगा।
टर्नअराउंड साइकिल पर होगी नजर
मेला क्षेत्र में स्थापित आईसीसीसी में हेडकाउंट मॉडलिंग का कार्य देख रहे टेक्निकल स्टाफ के अनुसार, हेडकाउंट में एक श्रद्धालु की बार-बार गिनती न हो, इसके लिए टर्नअराउंड साइकिल महत्वपूर्ण होता है। इसको ट्रैक करने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है। घाट क्षेत्र में एक तीर्थयात्री द्वारा औसतन लिया गया समय टर्नअराउंड साइकिल माना गया है। इसके तहत, कोचरन्स फॉर्मूला के आधार पर सैंपल की संख्या निकाली जाती है।
श्रद्धालुओं को दिया जाएगा रिस्ट बैंड
नॉन पीक दिनों में अनुमानित जनसंख्या 20 लाख और पीक दिनों में 10 करोड़ लेते हुए सैंपल काउंट किया जाता है। टर्नअराउंड समय निर्धारित 3 विधियों के माध्यम से प्राप्त सैंपल्स का औसत आंकड़ा होगा। इसमें पहला एट्रिब्यूट आधारित खोज होगा, जिसके तहत पर्सन एट्रिब्यूट सर्च कैमरों के आधार पर ट्रैकिंग की जाएगी। दूसरा आरएफआईडी रिस्ट बैंड पर आधारित होगा, जिसमें प्रमुख स्नान के साथ-साथ महाकुम्भ में प्रत्येक दिन आने वाले श्रद्धालुओं को रिस्ट बैंड प्रदान किए जाएंगे।
जीपीएस लोकेशन के जरिए लोकेशन ट्रैकिंग
आरएफआईडी रीडर के माध्यम से रिस्ट बैंड को ट्रैक किया जाएगा, जिससे पता चलेगा कि तीर्थयात्री ने मेला क्षेत्र में कितना समय बिताया, कितनी देर वह अंदर रहा और कितनी देर बाहर रहा। तीसरी विधि मोबाइल एप के द्वारा ट्रैकिंग होगी, जिसमें तीर्थयात्रियों की सहमति पर मोबाइल एप के जीपीएस लोकेशन के जरिए लोकेशन ट्रैकिंग की जा सकेगी। इन सभी विधियों के माध्यम से हेडकाउंट की टेस्टिंग का कार्य प्रगति पर है।
हर मिनट डाटा होगा अपडेट
महाकुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं के हेडकाउंट के लिए एआई कैमरों का वृहद स्तर पर उपयोग किया जा रहा है। यह कैमरे हर मिनट डाटा को अपडेट करेंगे। पूरा फोकस घाट पर आने वाले श्रद्धालुओं पर होगा। यह सिस्टम सुबह 3 बजे से शाम 7 बजे तक पूरी तरह एक्टिव रहेगा, क्योंकि स्नान का प्रमुख समय यही माना गया है। इससे पहले माघ मेला के दौरान भी इन विधियों का उपयोग किया गया था। इसके माध्यम से हेडकाउंट का 95 प्रतिशत तक सटीक अनुमान लगाया जा सकता है।
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