प्रयागराज में आयोजित होने वाला महाकुंभ 2025 जो आस्था, आध्यात्म और संस्कृति का अद्वितीय संगम है। इस बार करोड़ों श्रद्धालुओं और पर्यटकों की भागीदारी के साथ स्वच्छता और सतत विकास का प्रतीक बनने के लिए तैयार है।
महाकुंभ में पर्यावरण संरक्षण पर विशेष जोर : मेला क्षेत्र में स्वच्छता प्रबंधन की है खास व्यवस्था, लगेंगे 28 हजार से अधिक शौचालय
Jan 10, 2025 16:21
Jan 10, 2025 16:21
स्वच्छता के लिए विशेष उपाय
महाकुंभ 2025 में मेला क्षेत्र को स्वच्छ और पर्यावरण-अनुकूल बनाने के लिए 12,000 फाइबर रिइंफोर्स्ड प्लास्टिक (एफआरपी) टॉयलेट्स और 16,100 प्रीफैब्रिकेटेड स्टील टॉयलेट्स का निर्माण किया गया है। इन टॉयलेट्स को पर्यावरण के अनुकूल सेप्टिक टैंकों और सोखता गड्ढों के साथ जोड़ा गया है। इसके अतिरिक्त 20,000 सामुदायिक मूत्रालयों का निर्माण किया गया है, जिससे श्रद्धालुओं को एक स्वच्छ और सुखद अनुभव प्रदान किया जा सके।
ठोस कचरा प्रबंधन की सुव्यवस्थित व्यवस्था
मेला क्षेत्र में ठोस कचरे के प्रबंधन के लिए 20,000 कचरा डिब्बे लगाए गए हैं। इन डिब्बों का उद्देश्य स्रोत पर ही कचरे को अलग करना है, जिससे पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण को प्रोत्साहन मिल सके। कचरे के संग्रहण और निष्पादन को सुचारू बनाने के लिए 37.75 लाख लाइनर बैग का उपयोग किया गया है। यह सुव्यवस्थित कचरा प्रबंधन प्रणाली मेला क्षेत्र को स्वच्छ और पर्यावरण-अनुकूल बनाए रखने में सहायक होगी।
गंगा की निर्मलता और प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र
गंगा की पवित्रता को बनाए रखने के लिए विशेष उपाय किए जा रहे हैं। महाकुंभ क्षेत्र को प्लास्टिक मुक्त बनाने का संकल्प लिया गया है, जिसके तहत प्लास्टिक के उपयोग को सख्ती से प्रतिबंधित किया गया है। इसके साथ ही जल शुद्धिकरण और अपशिष्ट जल प्रबंधन के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।
पर्यावरण संरक्षण का संदेश
महाकुंभ 2025 को पर्यावरणीय संरक्षण और सतत विकास के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। गंगा की स्वच्छता, टिकाऊ कचरा प्रबंधन और हरित प्रथाओं को अपनाकर यह आयोजन न केवल पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाएगा, बल्कि इसे एक वैश्विक मानक के रूप में स्थापित करेगा।
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