Prayagraj News : जन्माष्टमी के दिन चतुर्भुजपुर गांव में झाड़ियों में मिली नवजात बच्ची, गोद लेने के लिए मौके पर लगी कतार

जन्माष्टमी के दिन चतुर्भुजपुर गांव में झाड़ियों में मिली नवजात बच्ची, गोद लेने के लिए मौके पर लगी कतार
UPT | झाड़ियों में मिली बच्ची।

Aug 28, 2024 01:41

जन्माष्टमी के दिन प्रयागराज के फूलपुर थाना क्षेत्र के चतुर्भुजपुर गांव में झाड़ियों में एक नवजात बच्ची मिली। बच्ची को छोड़ने वालों का कुछ पता नहीं चला। पुलिस ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया।

Aug 28, 2024 01:41

Prayagraj News : जन्माष्टमी के दिन प्रयागराज के फूलपुर थाना क्षेत्र के चतुर्भुजपुर गांव में एक नवजात बच्ची मिलने से पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। यह बच्ची किसकी है और कहां से आई, इसका किसी को कोई पता नहीं है। बताया जा रहा है कि बच्ची को जन्म देने के बाद उसे दुपट्टे में लपेटकर झाड़ियों में फेंक दिया गया था,जो अब क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है।

राहगीर को रोती मिली बच्ची 
सोमवार दोपहर चतुर्भुजपुर गांव में एक राहगीर गुजर रहा था,जब उसे झाड़ियों से किसी नवजात शिशु के रोने की आवाज सुनाई दी। आवाज इतनी करुण थी कि राहगीर को ऐसा लगा जैसे बच्ची अपनी मां को पुकार रही हो। आवाज का पीछा करते हुए जब वह झाड़ियों के पास पहुंचा तो उसने एक नवजात बच्ची को देखा जो भूख से तड़प रही थी। बच्ची की हालत देखकर राहगीर कुछ समय के लिए स्तब्ध रह गया। राहगीर ने तुरंत स्थानीय लोगों को इस बारे में सूचित किया और खबर आग की तरह आसपास के गांवों में फैल गई। देखते ही देखते मौके पर भारी भीड़ जमा हो गई,जिसमें ज्यादातर महिलाएं थीं। 

पुलिस ने नवजात को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कराया भर्ती 
सूचना मिलने पर फूलपुर थाना की पुलिस मौके पर पहुंची और नवजात बच्ची को पास के सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) में भर्ती कराया। बच्ची को गोद लेने के लिए मौके पर कई परिवारों की कतार लग गई। हर कोई इस मासूम को अपने घर ले जाना चाहता था। ग्राम प्रधान कुलदीप पटेल भी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस बच्ची को संभवतः किसी अस्पताल में एक अविवाहित युवती ने जन्म दिया था, जिसने समाज और लोकलाज के डर से बच्ची को यहाँ फेंक दिया। हालांकि, फिलहाल बच्ची सुरक्षित है और उसे शेल्टर होम में डॉक्टरों की देखरेख में रखा गया है।

घटना समाज के क्रूर पहलू को उजागर करती है
यह घटना समाज के उस क्रूर पहलू को उजागर करती है जहां लोग समाज और लोकलाज के डर से अपनी संतानों को इस तरह छोड़ देते हैं। क्या एक मां के लिए समाज का डर अपनी ही संतान की जान से ज्यादा बड़ा हो सकता है? इस मासूम बच्ची का क्या कसूर था? ऐसे पापों की सजा किसी निर्दोष को देना क्या सही है? इन सवालों के जवाब समाज को खुद से पूछने होंगे। 

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