प्रयागराज में एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) की स्थापना को लेकर स्थानीय जनता की अपेक्षाओं को झटका लगा है। केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि वर्ष 2025-26 तक प्रयागराज में एम्स स्थापित...
प्रयागराज में एम्स की स्थापना पर असमंजस : केंद्र ने 2025-26 तक किसी योजना से किया इनकार, याचिका पर 10 जनवरी को होगी अगली सुनवाई
Dec 07, 2024 11:49
Dec 07, 2024 11:49
याचिका पर क्या है मामला?
सहज सारथी फाउंडेशन और अन्य द्वारा दाखिल इस जनहित याचिका में मांग की गई है कि प्रयागराज में एम्स जैसी अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं स्थापित की जाएं। याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रयागराज को देश के प्रमुख शहरों से जोड़ने वाले राजमार्ग, हाईकोर्ट, केंद्रीय विद्यालय और कई केंद्रीय कार्यालयों के साथ-साथ संगम नगरी के रूप में हर साल करोड़ों श्रद्धालुओं का आगमन होता है। इसके बावजूद शहर में उन्नत मेडिकल सुविधाओं का अभाव है। जो यहां एम्स की स्थापना को अत्यावश्यक बनाता है।
केंद्र सरकार का रुख
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में स्पष्ट किया कि वर्तमान में 2025-26 तक प्रयागराज में एम्स बनाने की कोई योजना नहीं है। हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में एक पूरक हलफनामा दाखिल करते हुए बताया कि केंद्र सरकार वाराणसी में बीएचयू (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) के तहत एम्स की तर्ज पर नई स्वास्थ्य सुविधाएं विकसित कर रही है। इसके लिए 21 नवंबर 2024 को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग और बीएचयू के बीच एमओयू (सहमति पत्र) पर हस्ताक्षर हुए हैं।
क्या प्रयागराज में बन सकता है बीएचयू जैसा एम्स?
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि जिस तरह बीएचयू में प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत बजट और सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं, उसी तरह प्रयागराज में भी इस मॉडल को अपनाया जा सकता है। कोर्ट ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से जानकारी प्राप्त करने के लिए समय दिया है।
याचिका पर 10 जनवरी को होगी सुनवाई
इस मामले में मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 10 जनवरी 2025 की तारीख निर्धारित की है। इस दौरान केंद्र सरकार यह बताएगी कि क्या बीएचयू जैसा मॉडल प्रयागराज में लागू किया जा सकता है।
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