दुनिया में कुछ ही स्थानों पर हनुमान जी की लेटी हुई मूर्तियां मौजूद हैं, और इनमें सबसे खास प्रतिमा प्रयागराज के संगम तट पर स्थित है। यह प्रतिमा लगभग 20 फीट लंबी है और जमीन से 6-7 फीट नीचे तक जाती है।
प्रयागराज के संगम पर क्यों लेटे हैं हनुमान : महाकुंभ शुरू होने से पहले पीएम ने किए दर्शन, जानें क्या है इसके पीछे की कहानी
Dec 14, 2024 14:38
Dec 14, 2024 14:38
- विश्राम मुद्रा में विराजमान हनुमान जी
- संगम स्नान के बाद दर्शन जरूरी
- 20 फीट लंबी है यह प्रतिमा
क्या है संगम के लेटे हनुमान की कहानी
प्रयागराज के संगम तट पर स्थित हनुमान जी की लेटी हुई प्रतिमा की पौराणिक कहानी के बारे में कहा जाता है कि जब हनुमान जी ने लंका पर विजय प्राप्त की और वापस लौटे, तो उन्होंने काफी थकान महसूस की। इस समय सीताजी ने उन्हें आराम करने की सलाह दी, जिसके बाद हनुमान जी प्रयागराज के संगम किनारे विश्राम करने के लिए आ गए। यही कारण है कि हनुमान जी की मूर्ति को यहां लेटी हुई स्थिति में स्थापित किया गया है।
हनुमान जी को कब-कब महसूस हुई थकान?
हनुमान जी के बारे में कहा जाता है कि वह बहुत कम सोते थे क्योंकि उन्होंने अपना अधिकांश समय भगवान राम की सेवा में ही व्यतीत किया। पौराणिक कथाओं के अनुसार, हनुमान जी केवल तब सोते थे जब उनके पास सेवा का कोई काम नहीं होता था। हालांकि, कुछ घटनाओं में उन्हें थकान का अनुभव हुआ। जैसे जब उन्होंने माता सीता की खोज के लिए लंका की यात्रा की, तो लंबी उड़ान और संघर्ष के कारण उन्हें थकावट महसूस हुई। इसी तरह, लंका युद्ध में रावण से लड़ते वक्त भी हनुमान जी ने कई वानर योद्धाओं को प्रेरित किया और राक्षसों से संघर्ष किया, जिसके कारण उन्हें भी थकान महसूस हुई।
600-700 साल पुराना मंदिर
इस मंदिर को लेटे हुए हनुमान मंदिर या श्री बड़े हनुमान जी मंदिर के नाम से जाना जाता है, और यह मंदिर कम से कम 600-700 साल पुराना माना जाता है। इस मूर्ति के बारे में कहा जाता है कि हनुमान जी के बाएं पैर के नीचे कामदा देवी और दाएं पैर के नीचे अहिरावण दबे हुए हैं। हनुमान जी के दाएं हाथ में राम-लक्ष्मण की मूर्तियां और बाएं हाथ में गदा है, जो उनकी शक्ति और भक्ति का प्रतीक हैं।
कई लेटी हुई प्रतिमाएं
इसके अलावा, इटावा का पिलुआ महावीर मंदिर भी प्रसिद्ध है, जहां यमुना नदी के किनारे हनुमान जी की लेटी हुई प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर की खासियत यह है कि मूर्ति के मुखारबिंदु में कभी भी कोई वस्तु नहीं भरती, जिसे चमत्कारी माना जाता है। इसके साथ ही, मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में भी हनुमान जी विश्राम मुद्रा में विराजमान हैं, जो भक्तों के आकर्षण का केंद्र है। बरेली में रामगंगा नदी के उद्गम स्थल पर भी हनुमान जी की लेटी हुई मूर्ति प्राचीन वट वृक्ष के नीचे स्थित है।
मूर्ति की एक कहानी ये भी
इस मूर्ति से जुड़ी एक और दिलचस्प कहानी है। कहते हैं कि कन्नौज के राजा के कोई संतान नहीं थी, तो उनके गुरु ने सलाह दी कि हनुमान जी की ऐसी प्रतिमा बनवाएं, जो राम और लक्ष्मण को नागपाश से मुक्त करने के लिए पाताल गई थी। इस प्रतिमा को विंध्याचल पर्वत से लाने का निर्देश दिया गया। राजा ने ऐसा ही किया और हनुमान जी की प्रतिमा नाव से लेकर कन्नौज लौटने लगे, लेकिन रास्ते में नाव टूट गई और प्रतिमा जलमग्न हो गई। राजा बहुत दुखी होकर वापस लौट गए। कई वर्षों बाद जब गंगा का जल स्तर घटा, तो राम भक्त बाबा बालगिरी महाराज को यह प्रतिमा मिली, और बाद में वहां के राजा ने इस स्थान पर मंदिर का निर्माण करवाया।
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