फूलपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के परिणाम आज घोषित किए गए। जिसमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रत्याशी दीपक पटेल ने 11305 वोटों के अंतर से जीत हासिल की है...
फूलपुर में नहीं काम आया अखिलेश का PDA कार्ड : बीजेपी के 'बटेंगे-कटेंगे' ने बिगाड़ा खेल, दस हजार वोटों के अंतर से मिली हार
Nov 23, 2024 20:03
Nov 23, 2024 20:03
बीजेपी ने दीपक पटेल पर लगाया दांव
दरअसल, प्रयागराज जिले की फूलपुर विधानसभा सीट एक समय में पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की राजनीतिक कर्मभूमि रही थी। इस सीट पर जीत-हार अक्सर जातीय समीकरणों पर निर्भर करती है, जिससे चुनावी नतीजे हमेशा अंत तक सस्पेंस बनाए रखते हैं। पिछले चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार प्रवीण पटेल ने जीत हासिल की थी, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में वे सांसद बन गए, जिससे फूलपुर सीट पर उपचुनाव हुआ।
जातीय समीकरणों पर निर्भर करती है यहां की जीत
बीजेपी ने इस उपचुनाव में पूर्व सांसद केसरी देवी पटेल के बेटे दीपक पटेल को मैदान में उतारा, जबकि समाजवादी पार्टी ने मुज्तबा सिद्दीकी को उम्मीदवार बनाया। इस बार फूलपुर सीट पर होने वाला मुकाबला उत्तर प्रदेश के सबसे कठिन चुनावों में से एक माना जा रहा था, क्योंकि दोनों प्रमुख पार्टियों के बीच कड़ा संघर्ष देखने को मिला। इस सीट पर जातिगत समीकरणों का प्रभाव भी खासा रहता है, जिसके कारण हर चुनाव में यहां के परिणाम अंत तक अनिश्चित रहते हैं। पिछली बार भाजपा के प्रवीण पटेल की जीत ने यह साबित किया कि इस सीट पर किसी भी पार्टी का पकड़ मजबूत हो सकती है, लेकिन समीकरणों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
फूलपुर में जातीय समीकरण क्या है
फूलपुर विधानसभा सीट पर जातीय समीकरणों का प्रभाव हमेशा महत्वपूर्ण रहा है। फूलपुर विधानसभा सीट पर विभिन्न जातियों के मतदाताओं का प्रतिशत चुनावी समीकरण को प्रभावित करता है। इस सीट पर एससी समुदाय के 75 हजार मतदाता हैं, जबकि यादव समुदाय के 70 हजार पटेल समुदाय के 60 हजार मुस्लिम समुदाय के 50 हजार और ब्राह्मण समुदाय के भी 50 हजार मतदाता हैं। इसके अलावा, पासी समुदाय के 35 हजार निषाद समुदाय के 22 हजार वैश्य समुदाय के 16 हजार और ठाकुर समुदाय के 15 हजार मतदाता इस चुनाव में शामिल हैं। इस बार के उपचुनाव में फूलपुर में मतदान प्रतिशत काफी कम रहा। केवल 43.46 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने वोट का इस्तेमाल किया।
फूलपुर सीट का इतिहास
फूलपुर विधानसभा सीट का ऐतिहासिक संदर्भ अगर देखा जाए, तो यह सीट पहले झूंसी के नाम से जानी जाती थी, जो परिसीमन से पहले एक अलग क्षेत्र था। 1974 से 2022 तक हुए 13 विधानसभा चुनावों में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और जनता दल के उम्मीदवार दो-दो बार जीत हासिल कर चुके हैं। इसके अलावा, जनता पार्टी, जनता पार्टी सेकुलर और बसपा ने एक-एक बार इस सीट पर विजय प्राप्त की है। हालांकि, सबसे अधिक सफलता समाजवादी पार्टी (सपा) को मिली है, जिसने चार बार इस सीट पर जीत दर्ज की है।
पूजा पाल ने बीजेपी को दिया समर्थन
इस उपचुनाव में फूलपुर सीट पर एक नया मोड़ देखने को मिला जब सपा से बगावत करने वाली कौशांबी की चायल विधानसभा सीट से विधायक पूजा पाल ने बीजेपी का समर्थन किया। पूजा पाल ने इस उपचुनाव में खुलकर बीजेपी उम्मीदवार दीपक पटेल के समर्थन में प्रचार किया और वोट मांगे। ध्यान देने वाली बात यह है कि पूजा पाल पूर्व बसपा विधायक राजू पाल की पत्नी हैं और उनकी सपा के खिलाफ बगावत से इस चुनाव में असर पड़ने की आशंका थी।
"बंटेंगे तो कटेंगे" ने दिखाया कमाल
इस बार के चुनाव में सपा जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश कर रही थी, जबकि बीजेपी ने जीत सुनिश्चित करने के लिए "बंटेंगे तो कटेंगे" की रणनीति पर काम किया। इसके चलते दोनों दलों के बीच यह मुकाबला दिलचस्प हो गया, क्योंकि सपा और बीजेपी दोनों ही अपनी-अपनी ताकत से चुनावी मैदान में उतरे थे। फिलहाल, बीजेपी ने सपा को करारी टक्कर देते हुए शानदार जीत हासिल की है।
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