उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) द्वारा आयोजित पीसीएस प्री और आरओ-एआरओ परीक्षाओं के लिए छात्रों द्वारा किए गए हालिया प्रदर्शन ने कई सवाल खड़े किए हैं। प्रदर्शन की मुख्य वजह है...
UPPSC परीक्षा विवाद : जानिए क्यों दो दिन की परीक्षा और नॉर्मलाइजेशन से नाराज हैं अभ्यर्थी, समझें पूरा मामला
Nov 12, 2024 14:02
Nov 12, 2024 14:02
जानिए क्या है मामला
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने पीसीएस प्री परीक्षा के आयोजन के लिए कई बदलाव किए हैं। पहले 17 मार्च को यह परीक्षा आयोजित होनी थी, लेकिन अचानक उसे रद्द कर दिया गया। फिर 27 अक्टूबर को नई तारीख आई, लेकिन वह भी रद्द हो गई। अब आयोग ने 7 और 8 दिसंबर को पीसीएस प्री परीक्षा का आयोजन करने का निर्णय लिया है, जो दो दिन के दौरान दो अलग-अलग शिफ्टों में होगी। इस निर्णय ने अभ्यर्थियों को नाराज कर दिया, क्योंकि उनका कहना है कि परीक्षा एक ही दिन में होनी चाहिए, न कि दो दिन में। इससे जुड़ी दूसरी समस्या है 'मानकीकरण' (Normalization) प्रक्रिया... जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विभिन्न शिफ्टों में आयोजित परीक्षाओं में आए अंकों में असमानता को ठीक किया जा सके। यह प्रक्रिया काफी विवादित हो गई है, क्योंकि आयोग की वेबसाइट पर इस प्रक्रिया के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है, जबकि आयोग के नोटिफिकेशन में इसका एक संभावित फॉर्मूला साझा किया गया है।
नॉर्मलाइजेशन (Normalization) क्या है?
जब कोई परीक्षा अलग-अलग दिन आयोजित की जाती है तो हर दिन के प्रश्न पत्र में थोड़ी भिन्नता हो सकती है। जिससे किसी छात्र को फायदा या नुकसान हो सकता है। ऐसे में नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया लागू की जाती है ताकि हर परीक्षा शिफ्ट में मिले अंक समान रूप से मापे जा सकें। इस प्रक्रिया में एक औसत स्कोर निर्धारित किया जाता है और फिर छात्रों के अंकों का प्रतिशत तय किया जाता है। ऐसा किया जाता है ताकि हर शिफ्ट में दिए गए प्रश्नपत्र की कठिनाई के स्तर के हिसाब से सभी अभ्यर्थियों का सही मूल्यांकन हो सके। हालांकि, इस प्रक्रिया को लेकर छात्रों में असंतोष है, क्योंकि आयोग की ओर से इसका कोई आधिकारिक फॉर्मूला नहीं दिया गया है और इस पर पूरी तरह से भरोसा करना मुश्किल है। इसके कारण छात्रों के मन में संदेह उत्पन्न हो गया है।
आरओ-एआरओ परीक्षा का भी मुद्दा
आरओ-एआरओ परीक्षा में भी परेशानी आई थी। यह परीक्षा पहले 11 फरवरी को होनी थी, लेकिन पेपर लीक होने के कारण उसे रद्द कर दिया गया। अब यह परीक्षा 22 और 23 दिसंबर को आयोजित की जाएगी। यह भी एक कारण है कि छात्रों में गुस्सा और निराशा का माहौल है, क्योंकि कई बार परीक्षा की तारीखें बदली जा चुकी हैं। जिससे छात्रों की तैयारी प्रभावित हुई है।
दो दिन में परीक्षा क्यों?
विभिन्न परीक्षा केंद्रों के नियमों के कारण यह कदम उठाया गया। सरकार ने परीक्षा केंद्रों के लिए एक नया नियम जारी किया था। जिसके तहत परीक्षा केंद्र स्टेशन या बस स्टैंड से 10 किलोमीटर की दूरी के भीतर ही हो सकते हैं। इसके अलावा केवल सरकारी संस्थानों और कॉलेजों को ही परीक्षा केंद्र बनाया जा सकता है, जबकि निजी संस्थान केंद्र नहीं बन सकते। इस बदलाव के बाद आयोग को परीक्षा केंद्रों की संख्या में कमी का सामना करना पड़ा। बताया जा रहा है कि परीक्षा के लिए 1758 केंद्रों की आवश्यकता थी, लेकिन केवल 900 केंद्र ही उपलब्ध हो सके। इस कारण परीक्षा को दो दिन में आयोजित किया जा रहा है।
छात्रों की क्या है मांग
छात्रों की मुख्य मांग है कि परीक्षा एक ही दिन में हो, ताकि नॉर्मलाइजेशन के विवाद से बचा जा सके और उनकी मेहनत का सही मूल्यांकन हो सके। इसके अलावा छात्रों का कहना है कि परीक्षा केंद्रों में भी सुविधाएं बेहतर होनी चाहिए और परीक्षा पूरी तरह से निष्पक्ष होनी चाहिए। वे यह भी चाहते हैं कि आयोग द्वारा दी गई सूचनाएं और प्रक्रियाएं पारदर्शी हों ताकि किसी भी छात्र को किसी प्रकार का नुकसान न हो।
क्या बदलाव से होगा समाधान?
वर्तमान स्थिति में UPPSC को अभ्यर्थियों और नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है और यह देखना होगा कि क्या आयोग अपनी परीक्षा प्रक्रिया में कोई बदलाव करता है या नहीं। अगर विरोध बढ़ता है और अभ्यर्थियों के सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं मिलता तो यह परीक्षाओं के आयोजन को प्रभावित कर सकता है। फिलहाल आयोग और प्रशासन की तरफ से स्थिति पर निगाह रखी जा रही है और उम्मीद की जा रही है कि मामला शांतिपूर्वक सुलझेगा।
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