Meerapur By-Election : पतंग की उड़ान ने बिगाड़ा सपा का गणित, मुस्लिम मतों में बंटवारे से बढ़ी मुश्किलें

पतंग की उड़ान ने बिगाड़ा सपा का गणित, मुस्लिम मतों में बंटवारे से बढ़ी मुश्किलें
UPT | असदुद्दीन ओवैसी, एआईएमआईएम प्रमुख

Nov 24, 2024 17:09

मीरापुर उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (SP) को भारी हार का सामना करना पड़ा। इस हार के पीछे मुख्य कारण कम मतदान और मुस्लिम मतदाताओं का बिखराव रहा।

Nov 24, 2024 17:09

Muzaffarnagar News : मीरापुर उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (SP) को भारी हार का सामना करना पड़ा। इस हार के पीछे मुख्य कारण कम मतदान और मुस्लिम मतदाताओं का बिखराव रहा। सपा का पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) का फॉर्मूला इस चुनाव में कारगर साबित नहीं हो पाया। अल्पसंख्यक समुदाय के मतदाता पूरी तरह से एकजुट नहीं हुए और अन्य जातियों का भी समर्थन सपा को नहीं मिल सका। इस बार के उपचुनाव में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रत्याशी अरशद राना ने सपा के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाई, जिससे सपा की हार तय हो गई।

AIMIM और ASP की बढ़ती चुनौती
इस उपचुनाव में सपा के वोट बैंक पर एआईएमआईएम के अरशद राना का प्रभाव साफ दिखाई दिया। उन्हें 18,867 वोट मिले, जबकि आजाद समाज पार्टी (आसपा) के प्रत्याशी जाहिद हुसैन ने 22,400 वोट हासिल किए। इन दोनों प्रत्याशियों की उपस्थिति ने सपा के मुस्लिम वोटों को बांट दिया, जिसका सीधा लाभ रालोद (राष्ट्रीय लोकदल) को हुआ। रालोद के प्रत्याशी मिथलेश पाल ने 30,426 वोट पाकर बड़े अंतर से जीत दर्ज की। बसपा (बहुजन समाज पार्टी) के लिए यह चुनाव भी निराशाजनक साबित हुआ और उनका प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा।

कम मतदान से सपा को लगा झटका
चुनाव के दिन केवल 57.10 प्रतिशत मतदान हुआ, जिसने सपा की चिंता बढ़ा दी थी। पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में मुस्लिम मतदाताओं की भागीदारी लगभग 10 प्रतिशत कम रही। सपा के मजबूत गढ़ माने जाने वाले इलाकों जैसे सीकरी, नंगला बुजुर्ग, ककरौली, किशनपुर आदि में मतदान अपेक्षा से काफी कम हुआ, जिससे पार्टी के लिए हालात और भी कठिन हो गए। इन इलाकों में कम मतदान के कारण चुनाव आयोग से भी शिकायतें की गईं।

एआईएमआईएम की 'पतंग' ने किया सपा के वोटों में सेंध
उपचुनाव के दौरान, एआईएमआईएम के उम्मीदवार अरशद राना ने शुरू से लेकर आखिरी दौर तक सपा के मतदाताओं को प्रभावित किया। हर चरण में 'पतंग' का चुनाव चिह्न सपा के पारंपरिक वोट बैंक को कमजोर करता नजर आया। अरशद राना ने बसपा और आसपा के उम्मीदवारों को भी कड़ी टक्कर दी। उन्होंने पहले से आखिरी चक्र तक सपा के वोट शेयर में सेंध लगाते हुए सपा को मुख्य मुकाबले से बाहर कर दिया। इस वजह से रालोद के मिथलेश पाल को बड़ी जीत हासिल करने में आसानी हुई।

अति पिछड़ा वर्ग ने रालोद के पक्ष में दिखाया दम
उपचुनाव में सपा के उम्मीदवार सुम्बुल राना, बसपा के शाह नजर, और आसपा के जाहिद हुसैन मैदान में थे। मुस्लिम वोट बैंक में बिखराव का फायदा उठाते हुए अति पिछड़ा वर्ग ने पूरी तरह से रालोद के मिथलेश पाल के समर्थन में एकजुटता दिखाई। इस एकजुटता ने सपा के पीडीए फॉर्मूले को फेल कर दिया और रालोद को एक निर्णायक जीत दिलाई।



ककरौली में चुनावी तनाव और ओवैसी की जनसभा
ककरौली में सपा और एआईएमआईएम के कार्यकर्ताओं के बीच तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। चुनाव के दौरान, मोरना मार्ग पर जाम लगने की घटना के बाद पुलिस मौके पर पहुंची। इस दौरान पुलिस पर पथराव भी हुआ, जिसके चलते सपा और एआईएमआईएम दोनों के कार्यकर्ताओं पर मुकदमे दर्ज किए गए। इसके अलावा, 18 नवंबर को ककरौली में असदुद्दीन ओवैसी की जनसभा ने पूरे इलाके का ध्यान अपनी ओर खींचा। इस सभा में भारी भीड़ उमड़ी, जबकि उसी दिन सपा के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का हेलीपैड पर उतरना तय था, लेकिन वह सभा में नहीं पहुंचे। ओवैसी की उपस्थिति ने मुस्लिम मतदाताओं के बिखराव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बसपा का कमजोर प्रदर्शन और रालोद की बड़ी जीत
इस चुनाव में बसपा के प्रदर्शन में कोई विशेष सुधार देखने को नहीं मिला। पार्टी के उम्मीदवार शाह नजर को बड़ी संख्या में मुस्लिम वोट नहीं मिल सके, जिसका लाभ एआईएमआईएम और आसपा को मिला। रालोद की निर्णायक जीत ने साफ कर दिया कि इस चुनाव में सपा और बसपा के पुराने वोट बैंक में बड़ा बदलाव आया है। मुस्लिम मतदाताओं के बंटवारे और अति पिछड़े वर्ग की एकजुटता ने मीरापुर उपचुनाव का परिणाम तय किया।

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