उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बुधवार यानी आज मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा पहुंचे। शहीद स्थल पर पहुंचकर बलिदानियों को नमन कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए...
मुजफ्फरनगर पहुंचे पुष्कर धामी : उत्तराखंड आंदोलनकारियों को दी श्रद्धांजलि, जानें हर 2 अक्तूबर को क्यों आते हैं सीएम
Oct 02, 2024 13:39
Oct 02, 2024 13:39
सीएम ने बताया कैसे मिला उत्तराखंड राज्य
रामपुर तिराहा शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आंदोलनकारियों के प्राणों की आहुति से उत्तराखंड राज्य मिला है। 2 अक्टूबर 1994 में हुआ रामपुर तिराहाकांड उत्तराखंड के लिए बहुत दुखद है। उन्होंने कहा कि आंदोलन के समय मैं भी बहुत छोटा था। उसे समय मैंने देखा कि 1 सितंबर 1994 को खटीमा का गोलीकांड हुआ और बहुत ही प्रबलता पूर्वक वहां पर लाठियां चलाई गई, गोलियां चलाई गई। 2 सितंबर 1994 को मसूरी का गोली कांड हुआ और मसूरी के गोलीकांड के बाद रामपुर तिराहा कांड हुआ।
'2 अक्टूबर 1994 का दिन एक काला अध्याय है'
उन्होंने आगे कहा कि 2 अक्टूबर 1994 का दिन एक काला अध्याय है, जिसने गहरा जख्म दिया है। शहीदों के सपनों के अनुरूप उत्तराखंड को एक उत्कृष्ट राज्य बनाने का प्रयास किया जा रहा है। हम राज्य के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत कर रहे हैं और विभिन्न योजनाओं के माध्यम से हर व्यक्ति तक सुविधाएं पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, चाहे वह राज्य के अंतिम छोर पर ही क्यों न हो। आंदोलनकारियों और उनके परिवारों को सरकारी नौकरियों में 10% आरक्षण देने का विधेयक विधानसभा में पास कर दिया गया है। हमारी सरकार ने राज्य की महिलाओं के लिए 30% आरक्षण का ऐतिहासिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आंदोलनकारियों के परिवार को पेंशन दी जा रही है। इसके साथ ही राज्य आंदोलनकारी के बच्चों को स्कूलों और कॉलेज में निशुल्क शिक्षा, सरकारी बसों में निशुल्क यात्रा सुविधा भी प्रदान की जा रही है।
अलग राज्य बनाने की मांग पर शहीद हुए थे आंदोलनकारी
रामपुर तिहारा कांड के आज 30 साल पूरे हो गए हैं। उत्तराखंड के सीएम हर साल यहां 2 अक्तूबर को यहां पर श्रद्धांजलि देने आते हैं। 2 अक्टूबर 1994 का दिन उत्तराखंड राज्य आंदोलकारियों के लिए काला अध्याय साबित हुआ था। जिसके बाद 9 नवंबर, 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग राज्य उत्तराखंड बना। मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर हुए कांड को यादकर लोग आज भी सहम जाते हैं। आइये जानते हैं क्या था रामपुर तिराहा कांड।
पुलिस पर महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और रेप के आरोप
1 अक्टूबर 1994 को मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच कहासुनी हुई, जिसके बाद अचानक नारेबाजी और पथराव शुरू हो गया। इस पथराव में उस समय के डीएम अनंत कुमार सिंह घायल हो गए। इसके परिणामस्वरूप यूपी पुलिस ने बर्बरता से लाठीचार्ज किया और लगभग ढाई सौ आंदोलनकारियों को हिरासत में लिया गया। इसी दौरान, पुलिस पर महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और रेप के आरोप भी लगे, जिनके खिलाफ कई वर्षों तक मुकदमे चले।
यूपी पुलिस ने लगभग 24 राउंड फायरिंग की
इस बर्बरता के बीच, स्थानीय लोगों ने महिलाओं और आंदोलनकारियों को सुरक्षित स्थानों पर शरण दी। जब इस मामले की खबर फैली, तो करीब 40 बसों में आंदोलनकारी रामपुर तिराहे पर पहुंचे, जिसके बाद फिर से झड़पें हुईं। 2 अक्टूबर 1994 को हालात और भी बिगड़ गए। इस दौरान यूपी पुलिस ने लगभग 24 राउंड फायरिंग की, जिसमें 7 लोगों की जान गई और डेढ़ दर्जन से अधिक लोग घायल हुए।
इस दिन उत्तर प्रदेश से अलग उत्तराखंड राज्य बना
रामपुर तिराहा कांड के बाद, अलग पहाड़ी राज्य के आंदोलन ने और तेजी पकड़ ली। यह संघर्ष छह वर्षों तक चला, जिसके परिणामस्वरूप 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ। इस कांड में कई पुलिसकर्मियों और प्रशासनिक अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज की गई और 1995 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया।
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