सहारनपुर के युवक ने पेश की अनूठी मिसाल : दहेज के 51 लाख ठुकराकर एक रुपये और नारियल में की शादी

दहेज के 51 लाख ठुकराकर एक रुपये और नारियल में की शादी
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Nov 24, 2024 00:12

आज के समय में जब दहेज के कारण कई महिलाएं प्रताड़ना का शिकार होती हैं और घर से बाहर कर दी जाती हैं, सहारनपुर जिले के एक युवक ने दहेज को ठुकराकर समाज को नई दिशा दी है।

Nov 24, 2024 00:12

Saharanpur News : आज के समय में जब दहेज के कारण कई महिलाएं प्रताड़ना का शिकार होती हैं और घर से बाहर कर दी जाती हैं, सहारनपुर जिले के एक युवक ने दहेज को ठुकराकर समाज को नई दिशा दी है। यह घटना खुड़ाना गांव की है, जहां एक युवक ने दहेज की पेशकश को नकारते हुए सिर्फ एक रुपये और नारियल लेकर विवाह किया। उनके इस कदम को पूरे क्षेत्र में प्रशंसा मिल रही है और इसे एक अनूठी मिसाल के रूप में देखा जा रहा है।

51 लाख का दहेज ठुकराया, समाज को दी नई सोच
खुड़ाना गांव के निवासी महावीर सिंह पुंडीर के पौत्र अभय प्रताप ने हरियाणा के करनाल में गौरा राणा के साथ विवाह किया। विवाह समारोह में दुल्हन पक्ष की ओर से टीके में 51 लाख रुपये की पेशकश की गई थी। लेकिन अभय प्रताप और उनके परिवार ने दहेज को एक सामाजिक बुराई बताते हुए इस भारी रकम को लेने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने बेहद विनम्रता से दुल्हन पक्ष को दहेज की राशि वापस लौटा दी और मात्र एक रुपया और नारियल लेकर विवाह संपन्न किया। उनके इस कदम ने पूरे क्षेत्र में सराहना और आदर प्राप्त किया है।

समाज के लिए नई प्रेरणा
अभय प्रताप के इस अनूठे कदम ने दहेज प्रथा के खिलाफ एक मजबूत संदेश दिया है। दहेज प्रथा, जो समाज में महिलाओं के प्रति भेदभाव और उत्पीड़न का एक बड़ा कारण बनती है, को नकारते हुए अभय प्रताप ने समाज के सामने एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया। उनके इस फैसले की सराहना करते हुए पूर्व डीसीडीएफ चेयरमैन कृष्ण कुमार पुंडीर, राजपूत सभा के अध्यक्ष डॉ. विक्रम सिंह पुंडीर, पूर्व अध्यक्ष रामभूल सिंह, नेत्रपाल सिंह चौहान, राकेश पुंडीर और अमित पुंडीर समेत कई गणमान्य व्यक्तियों ने उनकी तारीफ की।



एमबीए पास अभय प्रताप ने दिखाई साहस की मिसाल
अभय प्रताप, जो रियल एस्टेट में एमबीए करने के बाद इसी क्षेत्र में व्यापार कर रहे हैं, ने अपने इस साहसिक कदम से यह साबित कर दिया है कि समाज की कुरीतियों के खिलाफ खड़े होने के लिए दृढ़ संकल्प और साहस की आवश्यकता है। उनका यह कदम आने वाले समय में युवाओं को दहेज के खिलाफ खड़े होने और महिलाओं को सम्मान देने की प्रेरणा देगा।

विवाह में दिखी सादगी
अभय और गौरा का विवाह समारोह धूमधाम से हुआ, लेकिन उसमें सादगी और नैतिकता की गहरी छाप देखने को मिली। विवाह में शामिल होने वाले सभी लोगों ने अभय के इस फैसले की सराहना की और इसे एक सकारात्मक बदलाव के रूप में देखा। अभय के इस कदम से यह साबित होता है कि दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराईयों का अंत किया जा सकता है अगर समाज के युवा इसे नकारने का साहस दिखाएं।

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