Chandauli News : बच्ची के इलाज में लापरवाही के मामले में जेजे क्लीनिक को क्लीन चिट

बच्ची के इलाज में लापरवाही के मामले में जेजे क्लीनिक को क्लीन चिट
UPT | प्रेसवार्ता करते चिकित्सक

May 29, 2024 00:01

अलीनगर स्थित जेजे क्लीनिक एंड नर्सिंग होम में एक बच्ची के इलाज में लापरवाही के मामले में वर्ष 2014 में उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता फोरम द्वारा नर्सिंग होम के चिकित्सक की लापरवाही...

May 29, 2024 00:01

Short Highlights
  • राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने जेजे क्लिनिक को किया दोषमुक्त
  • राज्य उपभोक्ता फोरम के आदेश को किया खारिज
  • दस वर्षों तक चले मुकदमे में मिली जीत से आईएमए के चिकित्सको में हर्ष
Chandauli News : अलीनगर स्थित जेजे क्लीनिक एंड नर्सिंग होम में एक बच्ची के इलाज में लापरवाही के मामले में वर्ष 2014 में उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता फोरम द्वारा नर्सिंग होम के चिकित्सक की लापरवाही मानते हुए उन पर लगाये गए आर्थिक दंड को राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने जेजे नर्सिंग होम के पक्ष में क्लीन चिट दे दी है। जिससे चिकित्सक सहित नगर के आईएमए के डाक्टरों में हर्ष है। 

बच्ची के पैर में हो गया था गैंग्रीन
मंगलवार को नगर के एक लॉन में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान जेजे क्लीनिक एंड नर्सिंग होम के निदेशक डॉ राजीव ने बताया कि रिचा सिंह ने अलीनगर स्थित जेजे क्लीनिक एंड नर्सिंग होम में 11अक्तूबर 2001 को भर्ती होकर इलाज कराया था। आरोप लगाया कि बुखार के इलाज के दौरान उसके पैर में कस कर पट्टी बांधी गई थी। जिसके चलते पैर में गैंग्रीन हो गया था। उसके बाद उन्होंने बीएचयू और केईएम मुम्बई में इलाज करवाया। जहां उसका पैर काटना पड़ा था। जिसके बाद रिचा सिंह ने राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतिरोध आयोग उत्तर प्रदेश लखनऊ में बाद दायर कर आरोप लगाया कि उच्च गुणवत्ता वाले बुखार के इलाज के दौरान उनके बाएं पैर में बैंडेज को कस कर बांधा गया था। जिसके करण उनके पैर में गैंग्रीन हो गया था। जिसका इलाज बीएचयू में और फिर मुंबई में कराया गया। जहां इलाज के दौरान गैंग्रीन का प्रसार रोकने के लिए बाएं पैर को घुटने के नीचे से काटना पड़ा। 

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में दायर की थी अपील 
राज्य आयोग ने नर्सिंग होम के खिलाफ शिकायत को आंशिक रूप से मंजूरी देते हुए इलाज में लापरवाही के कारण 20 लाख रुपये 6 प्रतिशत ब्याज के साथ देने का आदेश दे दिया। इसके बाद  संस्थान के निदेशक डॉ राजीव ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में अपील दायर की थी। आयोग ने पूरे मामले को काफी गंभीरता से लिया। दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने व पूर्व में ऐसे कई मामलों का उच्चतम न्यायालय व हाइकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि अपीलकर्ता एक पात्र सलाहकार चिकित्सक और कार्डियोलॉजिस्ट है। कोई भी बुद्धिमान पेशेवर ऐसी इच्छा शक्ति से काम नहीं करेगा, जिससे रोगी को हानि या चोट पहुंचे। क्योंकि उसका पेशा खराब होने का खतरा रहता। आयोग ने अपने फैसले में राज्य आयोग को गलत ठहराया। कहा कि पीड़िता की शिकायत घटना होने के साढ़े छः वर्ष बाद दाखिल की गई थी। 

राष्ट्रीय आयोग ने राज्य आयोग के आदेश को किया खारिज
जिसके बाद राष्ट्रीय आयोग ने राज्य आयोग के आदेश को खारिज कर दिया। वार्ता के दौरान आईएमए के नगर अध्यक्ष डॉ डीपी सिंह, डॉ सी सोम, डॉ गौतम तिवारी, डॉ राजेश अगरैया, डॉ ज्योत्सना आनंद, डॉ सुमन सिंह, डॉ राजेन्द्र श्रीवास्तव, डॉ विष्णु आनंद, डॉ अशोक सिंह, डॉ एसके आर्य, डॉ सीएस झाँ, डॉ राहुल सिंह, डॉ जीए खान, डॉ हर्षित सिंह और डॉ रवि गुप्ता उपस्थित रहे।

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