राजकीय बालगृह में रह रहे गुमशुदा बच्चों के लिए आधार कार्ड वरदान साबित हो रहा है। वर्ष 2024 से राजकीय बालगृह में रह रहे 74 गुमशुदा बच्चों में से 25 बच्चों को आधार कार्ड की मदद से उनके परिवार से मिलवाया जा चुका है।
आधार कार्ड बना गुमशुदा बच्चों के लिए वरदान : राजकीय बालगृह के 74 में से 25 बच्चों को मिला घर, 11 और मासूमों की होगी घर वापसी
Oct 05, 2024 13:00
Oct 05, 2024 13:00
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फिंगरप्रिंट वेरिफिकेशन से की पहचान
जिला बाल संरक्षण इकाई ने इन बच्चों के लिए आधार कार्ड को एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में उपयोग किया है। राजकीय बालगृह में रह रहे बच्चों के फिंगरप्रिंट की वेरिफिकेशन प्रक्रिया के माध्यम से बच्चों की पहचान की जाती है। यदि किसी बच्चे का पहले से आधार कार्ड बना हुआ है, तो उसका पुनः नया आधार कार्ड नहीं बनाया जाता, बल्कि पुराने डेटा की मदद से उनके परिवार का पता लगाया जाता है। यह प्रक्रिया इन बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मददगार साबित हो रही है।
कैसे हो रही बच्चों की घर वापसी
राजकीय बालगृह द्वारा बच्चों की जानकारी जिला बाल संरक्षण इकाई को दी जाती है। इसके बाद इन बच्चों की जानकारी राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, लखनऊ ऑफिस को भेजी जाती है। वहां से फिंगरप्रिंट्स और आधार डेटा की मदद से बच्चों के परिवार वालों का पता लगाया जाता है। जिला प्रोबेशन अधिकारी सुधाकर शरण पांडेय ने बताया कि राजकीय बालगृह में बच्चों का आधार कार्ड बनाने के लिए विशेष कैंप लगाया जाता है, ताकि बच्चों के परिवारों को ढूंढा जा सके। इसके साथ ही बच्चों के लिए काउंसिलिंग भी की जाती है, जिससे वे मानसिक रूप से भी अपने परिवार से फिर से जुड़ने के लिए तैयार हो सकें। घर का पता लगाने के लिए मैप और काउंसिलिंग का भी सहारा लिया जाता है। प्रोबेशन अधिकारी ने यह भी बताया कि विभाग और शासन के उच्च अधिकारी नियमित रूप से बालगृह का दौरा करते हैं और बच्चों से मिलते हैं। वे बच्चों की परेशानियों को समझते हैं और उन्हें हल करने के लिए कदम उठाते हैं, ताकि बच्चों को एक सुरक्षित और स्वस्थ माहौल मिल सके।
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आधार कार्ड ने बदली कई जिंदगियां
आधार कार्ड की वजह से गुमशुदा बच्चों की घर वापसी की प्रक्रिया आसान और तेज हो गई है। आधार की फिंगरप्रिंट वेरिफिकेशन प्रणाली ने बच्चों के परिवार का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जिन 25 बच्चों को पहले ही उनके परिवार से मिलवाया जा चुका है, उनके परिवारों में खुशी की लहर दौड़ गई है। अब 11 और बच्चों के घर का भी पता चल चुका है, और जल्द ही उन्हें भी उनके परिवार के साथ मिलवाया जाएगा। यह प्रक्रिया न केवल बच्चों के लिए बल्कि उनके परिवारों के लिए भी उम्मीद की किरण बनकर आई है। माता-पिता जो अपने बच्चों से बिछड़ गए थे, अब उन्हें दोबारा पाकर बेहद खुश हैं। बच्चों की काउंसिलिंग से उन्हें इस नए परिवेश में समायोजित होने में मदद मिल रही है, और वे एक बार फिर अपने घर की ओर लौट रहे हैं।
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