अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में मुहम्मदाबाद बल्लभदास अग्रवाल के अहाते में चल रहे 24 कुंडीय शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ व विराट युवा उत्कर्ष महोत्सव में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने आहुतियां समर्पित की।
24 कुंडीय शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ व विराट युवा उत्कर्ष महोत्सव : आहुतियां समर्पित करने के लिए प्रात : 8 बजे से यज्ञ मंडप में पहुंचा श्रद्धालुओं का जत्था
Nov 29, 2024 17:58
Nov 29, 2024 17:58
Ghazipur News : अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में मुहम्मदाबाद बल्लभदास अग्रवाल के अहाते में चल रहे 24 कुंडीय शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ व विराट युवा उत्कर्ष महोत्सव में सैकड़ो श्रद्धालुओं ने अपने मनोकामना के पूर्ति हेतु आहुतियां समर्पित की। प्रातः 8:00 बजे से श्रद्धालुओं का जत्था यज्ञ मंडप में पहुंचने लगा।
शांतिकुंज हरिद्वार की केंद्रीय टोली प्रतिनिधि ने वैदिक कर्मकांड से देव पूजन कराते हुए कार्यक्रम प्रारंभ कराया
धीरे-धीरे सभी कुंडों पर यज्ञ हवन करने के लिए पीत वस्त्र में पुरुष धोती कुर्ता परिधान में एवं महिलाएं पारंपरिक परिधान में बैठ गए। शांतिकुंज हरिद्वार की केंद्रीय टोली प्रतिनिधि डॉ उषा शर्मा ने वैदिक कर्मकांड से देव पूजन कराते हुए यज्ञ कार्यक्रम प्रारंभ कराया। धीरे-धीरे यज्ञ मंडप श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया जिससे यज्ञ कई पालियां में करना पड़ा। यज्ञ के महिमा पर प्रकाश डालते हुए डॉ उषा शर्मा ने कहा कि 'जो मनुष्य यज्ञ करता है वह विष्णु इत्यादि लोकों को प्राप्त करता है। हवन करने से पापों का नाश होता है और सत्य बोलने से परम पद की प्राप्त होती है। यज्ञ से देवता जीते हैं तथा पितृ गण जीते हैं। देवताओं के अधीन सब प्रजा हैं और यज्ञ के अधीन सब देवता हैं। यज्ञ ही भगवान विष्णु है, जिन विष्णु भगवान में सब प्रतिष्ठित हैं। अग्नि में हवि का हवन करने से देवताओं की तृप्ति होती है वह देवता तृप्त होकर उस मनुष्य को इच्छित समृद्धि के द्वारा संतुष्ट करते हैं। यज्ञ करने से आत्मा का मल दूर होता है। और यज्ञ करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। यज्ञ से लोक के समस्त दुष्कर्म का नाश होता है। इसमें कुछ भी संदेह नहीं। इसलिए जो यज्ञ करता है वह संपूर्ण प्रजा का पालन करता है'।
आध्यात्मिक पूंजी को श्रेष्ठतम और वास्तविक पूंजी बताया
इस मौके पर कार्यक्रम के मुख्य संयोजक बल्लभ दास अग्रवाल ने कहा कि आध्यात्मिक पूंजी ही श्रेष्ठतम और वास्तविक पूंजी है। क्योंकि इसके अभाव में अन्य सभी प्रकार की पूंजी का कोई अर्थ नहीं रह जाता। अध्यात्म हमारे समग्र जीवन का पर्याय है। जब तक जीवन में इसका समावेश नहीं होता तब तक हमारी आंतरिक क्षमताएं और योग्यताएं प्रकाशित भी नहीं हो पाती। ऐसे में जीवन की दशा और दिशा का निर्धारण स्वयं के नियंत्रण में नहीं वरन भाग्य और परिस्थितियों के बस में चला जाता है। स्वयं का जीवन जब अन्यों के द्वारा अन्य तरह से संचालित किया जाता है तो भीतर कुंठा, आत्मग्लानि, असंतोष, निराशा, निरर्थकता जैसी समस्या स्वत: पैदा हो जाती है। इन समस्याओं से बचने के लिए गायत्री का अवलंबन आवश्यक है। कार्यक्रम को सफल बनाने में सदानंद गुप्ता, हरि नारायण राय,सच्चिदानंद सिंह, मिथिलेश उपाध्याय, मिथिलेश राय, दीनानाथ शर्मा, मीरा राय, जिला समन्वयक क्षितिज श्रीवास्तव का योगदान है।
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