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48 घंटे में केस रफा-दफा! : पूर्व एसपी समेत 18 पुलिसकर्मियों पर लगे थे संगीन आरोप, कोर्ट के आदेश पर हुई थी एफआईआर

पूर्व एसपी समेत 18 पुलिसकर्मियों पर लगे थे संगीन आरोप, कोर्ट के आदेश पर हुई थी एफआईआर
UPT | प्रतीकात्मक फोटो

Nov 30, 2024 19:40

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में बड़ी कार्रवाई सामने आई है। 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को 48 घंटे के भीतर ही स्पंज कर दिया गया...

Nov 30, 2024 19:40

Ghazipur News : उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में बड़ी कार्रवाई सामने आई है। पूर्व एसपी समेत 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को 48 घंटे के भीतर ही स्पंज कर दिया गया। यह एफआईआर सीजेएम कोर्ट के आदेश पर नन्दगंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें पुलिसकर्मियों पर गंभीर धाराएं लगाई गई थीं, जिनमें 120 जैसी गंभीर धारा भी शामिल थी।

पुलिस ने कोर्ट में भेजी रिपोर्ट
गाजीपुर के नंदगंज थाना में 27 नवंबर को चंदौली जनपद के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अमित कुमार समेत 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ गाजीपुर के सीजेएम कोर्ट के आदेश पर विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसके बाद, मात्र 2 दिन के भीतर 29 नवंबर को गाजीपुर पुलिस ने इस पूरे मामले को डिस्पोजल करते हुए खारिज कर दिया। पुलिस ने इसकी रिपोर्ट को कोर्ट में भी भेज दिया।



क्या है पूरा मामला?
साल 2021 में चंदौली में तैनात सिपाही अनिल कुमार सिंह ने पुलिस महकमे में चल रही अवैध धन वसूली का पर्दाफाश किया था। अनिल ने वसूली की लिस्ट को सार्वजनिक किया। जिसके बाद डीआईजी विजिलेंस द्वारा जांच कराई गई। जांच में सिपाही के आरोप सही पाए गए। इसके बाद आरोप है कि तत्कालीन एसपी अमित कुमार और अन्य पुलिसकर्मियों ने सिपाही के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी। अनिल कुमार ने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार उजागर करने के बाद न केवल उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। बल्कि उनकी हत्या की साजिश भी रची गई। 

कोर्ट के आदेश पर हुई थी एफआईआर
जुलाई 2021 में उनकी ससुराल, गाजीपुर के बड़सरा गांव से उनका अपहरण करने की कोशिश हुई। अनिल ने इस मामले में नंदगंज थाने में शिकायत दी, लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं की गई। जब पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की, तो सिपाही ने कोर्ट का सहारा लिया। मामला पहले सीजीएम कोर्ट और फिर हाईकोर्ट तक पहुंचा। हाईकोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया, लेकिन पुलिस ने इसे भी नजरअंदाज कर दिया। इसके बाद हाईकोर्ट के अवमानना आदेश के बाद 27 नवंबर 2024 को FIR दर्ज की गई। आखिर में सिपाही ने सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोर्ट के आदेश में 27 नवंबर को केस दर्ज कराया।

सिपाही की जान को खतरा!
अनिल कुमार सिंह ने चंदौली में तैनाती के दौरान 12.5 लाख रुपये की अवैध वसूली का भंडाफोड़ किया था और 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ सबूत पेश किए थे। सिपाही ने वसूली की लिस्ट भी वायरल कर दी थी। इसके बाद सिपाही को एसपी ने बर्खास्त कर दिया था। इतना ही नहीं सिपाही ने आरोप लगाया कि उसे जान से मारने और किडनैप करने की भी कोशिश की जा चुकी है। इस दौरान भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले अन्य चार लोगों की हत्या भी की जा चुकी है।  

'एसपी ने झूठे मुकदमें में फंसाया'
कांस्टेबल अनिल कुमार सिंह की शिकायत पर तत्कालीन डीआईजी विजिलेंस लव कुमार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच भी थी, जिसमें आरोप सही पाए गये थे। इसके बाद बदला लेने के लिए तत्कालीन चन्दौली एसपी अमित कुमार द्वितीय और इंस्पेक्टर ने कांस्टेबल अनिल कुमार को झूठे मुकदमे में फंसा दिया था।

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