रूद्रांबिका धाम में भागवत पुराण का हुआ आयोजन : पंडित धनंजय पांडे ने समझाया यज्ञ का महत्व, विधि विधान से हुआ पूजन

पंडित धनंजय पांडे ने समझाया यज्ञ का महत्व, विधि विधान से हुआ पूजन
UPT | श्री रूद्रांबिका धाम में यज्ञ करते लोग

Oct 22, 2024 19:18

जनपद के नौली स्थित श्री रूद्रांबिका धाम में चल रहे श्री रूद्रांबिका महायज्ञ के छठे दिन वैदिक मंत्रों के माध्यम से भगवान रुद्र और अंबिका का स्वाहाकार विधि विधान से काशी से पधारे वेद विभूषण आचार्य पंडित धनंजय पांडे के नेतृत्व में कराया गया

Oct 22, 2024 19:18

Ghazipur News : जनपद के नौली स्थित श्री रूद्रांबिका धाम में चल रहे श्री रूद्रांबिका महायज्ञ के छठे दिन वैदिक मंत्रों के माध्यम से भगवान रुद्र और अंबिका का स्वाहाकार विधि विधान से काशी से पधारे वेद विभूषण आचार्य पंडित धनंजय पांडे के नेतृत्व में कराया गया। प्रातःकाल 7:00 बजे से वेद परायण के साथ मंडप में पूजन और हवन का क्रम जारी रहा, और दोपहर 2:00 बजे से श्रीमद्भागवत महापुराण की संगीतमय कथा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में दूर-दराज से सैकड़ों महिलाएं, पुरुष, बड़े, बूढ़े और बुजुर्ग उत्साह के साथ भाग ले रहे हैं।

यज्ञ के महत्व पर डाला प्रकाश
यज्ञ की महिमा पर प्रकाश डालते हुए यज्ञाचार्य पंडित धनंजय पांडे ने बताया कि 'यज्ञो वै विष्णु:' अर्थात यज्ञ स्वयं भगवान विष्णु हैं। यज्ञ से देवता संतुष्ट होते हैं और पितृगण को भी तृप्ति मिलती है। देवताओं के अधीन सब प्रजा है और यज्ञ के अधीन सब देवता हैं। यज्ञ ही भगवान विष्णु हैं, जिनमें सब प्रतिष्ठित हैं। यज्ञ के लिए देवता और औषधियों की सृष्टि की गई है। यज्ञ सबका कल्याणकारी है, इसलिए सभी को यज्ञ में तत्पर रहना चाहिए। यज्ञावशिष्ट का भोजन करने वाले सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं। यज्ञशीलों का धन 'दिव्य' माना जाता है। जो व्यक्ति देव होम कर्म में युक्त है, वह चराचर का पोषण करता है।

भगवतगीता और श्रीकृष्ण का उल्लेख
उन्होंने कहा कि अग्नि में डाली गई आहुति आदित्य को पहुंचाती है और सूर्य से वृष्टि होती है। वृष्टि से अन्न उत्पन्न होता है, और अन्न से प्रजा। इसलिए जो यज्ञ करता है, वह संपूर्ण प्रजा का पालन करता है। इस क्रम में सायंकालीन भागवत कथा का उल्लेख करते हुए पंडित कन्हैया द्विवेदी ने कहा कि मन की चंचलता विख्यात है। श्रीमद्भागवत गीता में वीर अर्जुन जैसे योद्धा ने भी भगवान श्री कृष्ण से मन के चंचल स्वभाव को साधने के सूत्र जानने की कोशिश की थी। वस्तुतः मन स्वयं में कुछ नहीं है।

भागवत कथा की बताई आवश्यकता
उन्होंने कहा कि यह जन्म-जन्म के संस्कारों को समाहित किए हुए सतत परिवर्तनशील चित्त की लहरों का नाम है। यह एक पल शांत हो सकता है और दूसरे पल उत्तुंग शिखर जैसा विशाल और विकराल रूप धारण कर सकता है। आज मानव जाति दिन-प्रतिदिन विचारों के ग्रंथियों में फंसती जा रही है। इससे मुक्त होने के लिए भागवत कथा, यज्ञ और सत्संग आवश्यक हैं। कथा को सैकड़ों महिलाओं और श्रद्धालुओं ने एकाग्रता से श्रवण करते हुए जय जयकार लगाई। कार्यक्रम को सफल बनाने में विशिष्ट अतिथि मां कामाख्या धाम के पुजारी पंडित आकाश तिवारी, लाल बहादुर सिंह, भंवर सिंह, श्याम बिहारी यादव, अजय, उत्सव, बृजेश, और ओम प्रकाश सिंह उपस्थित रहे।

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