मुस्लिम महिला फाउंडेशन एवं विशाल भारत संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में मुस्लिम महिलाओं द्वारा होली मिलन कार्यक्रम का आयोजन लमही के सुभाष भवन में किया गया। इस दौरान चेहरे पर गुलाल और ढोल की थाप पर होली का गीत गा रहीं मुस्लिम महिलाओं ने धर्मों के नाम पर फैलाए जा रहे नफरत को अस्वीकार कर दिया।
वाराणसी में मुस्लिम महिलाओं ने पेश की गंगा-जमुना तहजीब की मिसाल : एक दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर दिया मोहब्बत का संदेश
Mar 24, 2024 21:58
Mar 24, 2024 21:58
मुस्लिम महिलाओं ने गाए होली के गीत
मुस्लिम महिला फाउंडेशन एवं विशाल भारत संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में मुस्लिम महिलाओं द्वारा होली मिलन कार्यक्रम का आयोजन लमही के सुभाष भवन में किया गया। इस दौरान चेहरे पर गुलाल और ढोल की थाप पर होली का गीत गा रहीं मुस्लिम महिलाओं ने धर्मों के नाम पर फैलाए जा रहे नफरत को अस्वीकार कर दिया और होली पर सबको एक रहने का पाठ पढ़ाया। महिलाओं ने कहा की दुनियां की सारी भौतिकता और धर्म के नाम पर खूनी हिंसा का मुकाबला सिर्फ प्रेम से किया जा सकता है और इसी की जरूरत दुनियां भर को है। जब चेहरे पर गुलाल लगते हैं तो सारे भेदभाव खत्म हो जाते हैं।
बनारसी अंदाज में खेली होली
मुस्लिम महिलाओं ने हिंदू महिलाओं के साथ बनारसी अंदाज में होली खेली। गुलाल और गुलाब से होली खेलकर भारतीय सभ्यता और संस्कृति का परिचय देने वाली मुस्लिम महिलाओं ने सिर्फ मोहब्बत का झंडा बुलंद किया। इस दौरान मुस्लिम महिलाओं ने गीत गाए ‘हमहू अयोध्या जाईब, रामलला के रंग लगाइब। देशवा विदेशवा क लोगवा अइहे, होली में सब पर रंगवा फेकइहे। कोई न बच पाई हो रामा, हमहू तोके रंग लगाइब हो रामा। कोई न बच पाई हो रामा, हमहू तोके रंग लगाइब हो रामा।’
इस अवसर पर मुस्लिम महिला फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नाजनीन अंसारी ने कहा कि हमारे पूर्वजों के खून में होली का रंग भी शामिल है। कोई इसे कैसे अलग कर सकता है। किसी कट्टरपंथी की धमकी से हम होली खेलना बंद नहीं करेंगे। यह भारत का त्योहार है। हमारे पूर्वजों ने होली के बहाने मिलन का अवसर दिया है, इसे हम कैसे छोड़ दें। खून का हर कतरा भारत की जय बोलने वाला है और होली का रंग हमें एक करने वाला है। किसी के बहकावे में आकर हम अपने रिश्ते खराब नहीं करेंगे। यदि कोई अरबी और अंग्रेजी त्योहार मना सकता है तो हम सब भारतीय त्योहार क्यों नहीं मना सकते।
होली हमारे संस्कृति का हिस्सा
हिंदू-मुस्लिम संवाद केंद्र की चेयरपर्सन डॉ. नजमा परवीन ने कहा कि खून की होली खेलने वालों के लिए यह खुली चुनौती है, हम न अपने पूर्वजों को छोड़ेंगे और न उनकी परंपराओं को। होली हमारे संस्कृति का हिस्सा है। इस दौरान आभा भारतवंशी, डॉ. मृदुला जायसवाल, नगीना बेगम, शमशुननिशा, शबनम, सबीना, श्यामदुलारी, मुनका, चिंता, प्रेमा, रामकुमारी, सेचना, श्यामदेई, कलावती, रीता, दुलारी, लक्ष्मीना, सुनरा, ममता, चंदा, बिंदू, सरोज, गीता, प्रियंका, पूनम आदि महिलाएं मौजूद रहीं।
Also Read
23 Nov 2024 10:04 PM
जब कहीं सड़क हादसा होता है तो वहां मौजूद पुलिसकर्मी वाहन चालक को पकड़कर थाने लेकर जाते हैं, इसके बाद उसके खिलाफ मामला दर्ज... और पढ़ें