वाराणसी में दुर्गाघाट के शाही नाले की मरम्मत : रोबोटिक कैमरे से होगी सफाई, मैनुअल उपायों का भी किया जाएगा उपयोग

रोबोटिक कैमरे से होगी सफाई, मैनुअल उपायों का भी किया जाएगा उपयोग
UPT | वाराणसी में दुर्गाघाट के शाही नाले की मरम्मत

Dec 14, 2024 14:10

यह नाला जो शहर की सीवर व्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। कई सालों से खराब स्थिति में है। बारिश के मौसम में यहां मिट्टी और मलबा दबने का खतरा था। जिसके कारण मरम्मत कार्य...

Dec 14, 2024 14:10

Varanasi News : वाराणसी के दुर्गाघाट स्थित ऐतिहासिक शाही नाले की मरम्मत में अब रोबोटिक तकनीक का सहारा लिया जाएगा। शाही नाले के अंदर की स्थिति को समझने और मरम्मत के लिए आवश्यक पाइप डालने के उद्देश्य से रोबोटिक कैमरों का इस्तेमाल किया जाएगा। इस तकनीकी कदम से न केवल नाले की गहराई में हो रहे खतरों की पहचान की जाएगी, बल्कि मरम्मत के दौरान सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाएगी।

यह नाला जो शहर की सीवर व्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। कई सालों से खराब स्थिति में है। बारिश के मौसम में यहां मिट्टी और मलबा दबने का खतरा था। जिसके कारण मरम्मत कार्य कुछ समय के लिए रोक दिया गया था। जलकल विभाग ने अब एक बार फिर से मरम्मत कार्य को शुरू करने की योजना बनाई है और तीन दिनों के भीतर इस पर कार्य शुरू हो सकता है।

मैनुअल सफाई की जरूरत क्यों पड़ी?
शाही नाले की सफाई के लिए पहले कई प्रयास किए गए, लेकिन सफाई कार्य के दौरान कुछ जोखिम सामने आए। दुर्गाघाट के पास स्थित आठ भवनों को खाली कराया गया, क्योंकि इन भवनों से गिरने का खतरा था। इन भवनों के आसपास सीवर की समस्या भी गंभीर हो गई थी, लेकिन सफाई के अन्य प्रयासों में कोई सफलता नहीं मिल पाई। इसके बाद निर्णय लिया गया कि मैनुअल सफाई की जाएगी। जिससे ज्यादा प्रभावी तरीके से नाले को साफ किया जा सके। नाले के अंदर कुछ हिस्से बेहद खतरनाक हैं। इसलिए रोबोटिक कैमरों का इस्तेमाल किया जाएगा। इन कैमरों की मदद से नाले की अंदर की तस्वीरें ली जाएंगी। जिनसे मरम्मत कार्य को सही तरीके से अंजाम दिया जाएगा। पहले भी नाले के अंदर निरीक्षण के दौरान पाया गया था कि नाले की कुछ पट्टियां टूट चुकी हैं और इन भवनों की नींव से गिरने वाली मिट्टी और ईंटें नाले को जाम कर रही हैं।

शाही नाले की महत्वता और स्थिति
शाही नाला जिसे मुगलों ने सुरंग के रूप में विकसित किया था। आज भी वाराणसी की सीवर व्यवस्था का मुख्य हिस्सा है। बाद में ब्रिटिश शासन के दौरान इसे सीवर सिस्टम में तब्दील किया गया था। यह नाला 200 साल से भी पुराना हो चुका है और इसका काफी हिस्सा जीर्ण-शीर्ण हो चुका है। समय के साथ साथ इस नाले में जगह-जगह तोड़फोड़ कर लोग अपनी सीवर लाइनों को जोड़ते गए, जिससे नाले की स्थिति और खराब हो गई।

नाले की मरम्मत के लिए विशेष कदम
जलकल विभाग के अधिकारी लगातार इस नाले के निरीक्षण पर नजर बनाए हुए हैं। जलकल सचिव ओपी सिंह ने बताया कि कैमरों की मदद से नाले की अंदर की तस्वीरें ली जाएंगी और उसी आधार पर मरम्मत कार्य को आगे बढ़ाया जाएगा। अब नाले में लोहे की पाइप डालने का कार्य शुरू किया जाएगा ताकि नाले की स्थिति में सुधार हो सके। दुर्गाघाट की पार्षद कनकलता मिश्रा ने बताया कि कैमरे की मदद से सफाई और मरम्मत का कार्य सुनिश्चित किया जाएगा। इससे नाले की सफाई और मरम्मत दोनों को बेहतर तरीके से अंजाम दिया जा सकेगा। जिससे शहर की सीवर व्यवस्था में सुधार होगा।

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