विजयदशमी : विश्वनाथ धाम में हुई भगवान शिव के शस्त्रों की पूजा, पहली बार हुआ ऐसा आयोजन

विश्वनाथ धाम में हुई भगवान शिव के शस्त्रों की पूजा, पहली बार हुआ ऐसा आयोजन
UPT | काशी विश्वनाथ धाम में शस्त्र पूजन

Oct 12, 2024 14:31

विजयादशमी पर्व के अवसर पर काशी विश्वनाथ धाम में शनिवार को अद्वितीय और भव्य शस्त्र पूजन समारोह का आयोजन किया गया। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने...

Oct 12, 2024 14:31

Varanasi News : विजयादशमी पर्व के अवसर पर काशी विश्वनाथ धाम में शनिवार को अद्वितीय और भव्य शस्त्र पूजन समारोह का आयोजन किया गया। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने बाबा विश्वनाथ के मंदिर के इतिहास में पहली बार शस्त्र पूजन का आयोजन किया है। इस अवसर पर शैव शस्त्रों में त्रिशूल, धनुष, तलवार और परसु का पूजन किया गया। जो भगवान शिव के अस्त्रों के रूप में पूजित होते हैं। मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण ने शास्त्रोक्त विधि से इस पूजा को संपन्न किया।

विवि-विधान से की शिव के शस्त्रों की पूजा
दशहरा का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। जब भगवान राम ने रावण का वध किया था तो उसे पहले अपने शस्त्रों की पूजा की थी। तभी से दशहरे पर शस्त्र पूजा की जाती है। काशी में भी शस्त्र पूजन का आयोजन करते हुए आयोजकों ने शस्त्रों के प्रति सम्मान और सुरक्षा की भावना को जागृत किया। शस्त्र पूजन के दौरान विधि पूर्वक पूजा की गई। इसमें उपस्थित सभी लोगों ने भारत की अखंडता, सुरक्षा और शांति के लिए प्रार्थना की। समारोह ने न केवल धार्मिक आस्था को उजागर किया, बल्कि समाज में एकता और जागरूकता का संदेश भी दिया। 



यह हैं शिव के शस्त्र
  • त्रिशूल- भगवान शिवजी का त्रिशूल सत, रज और तम का प्रतीक है। त्रिशूल का संबंध भगवान शिव के स्वरूप से भी है। इसी अस्त्र से शिवजी ने कई दैत्य व दानवों का वध किया।
  • चक्र भवरेंदु- भगवान शिवजी के चक्र का नाम भवरेंदु था। इसे अचूक शस्त्र माना जाता है।
  • पिनाक धनुष- भगवान शिव के शस्त्र में पिनाक धनुष भी था, जोकि महाप्रलयकारी था। इसी शस्त्र के कारण शिव का एक नाम पिनाकी पड़ा। भगवान विश्वकर्मा ने स्वयं इसका निर्माण किया था। भगवान शिव ने इसी धनुष से त्रिपुरों का नाश किया था। इसलिए भगवान शिव का एक नाम त्रिपुरारी भी है। बाद में भगवान शिव ने ये धनुष अपने परम भक्त राजा देवरात को सौंप दिया था। ये राजा जनक के पूर्वज थे। देवी सीता के स्वयंवर में भगवान श्रीराम के हाथों ये धनुष भंग हो गया था।
  • खड़ग- इस अस्त्र से मेघनाद ने लक्ष्मण पर वार कर उन्हें घायल कर दिया था। मेघनाद पराक्रम में रावण से भी अधिक था। उसने भगवान शिव की घोर तपस्या की और उनसे खड़ग प्राप्त किया। ये अजेय शस्त्र था, इसलिए लक्ष्मण इसके वार से घायल हो गए थे।
  • रुद्रास्त्र- यह शिवजी का महाविध्वंसक अस्त्र था। इसे चलाने पर 11 रुद्रों की शक्ति एक साथ प्रहार करती थी। महाभारत के अनुसार अर्जुन ने रुद्रास्त्र के केवल एक प्रहार में ही तीन करोड़ असुरों का वध किया था।
  • पाशुपात- इस अस्त्र का वर्णन अनेक धर्म ग्रंथों में मिलता है। महाभारत के अनुसार अर्जुन ने घोर तपस्या कर शिवजी से ये अस्त्र प्राप्त किया था। इसी अस्त्र से कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन ने कई योद्धाओं का वध किया था।

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