Varanasi News : गंगा और सहायक नदियों असि, वरुणा के जीर्णोद्धार में देरी पर एनजीटी ने कड़ी टिप्पणी की

गंगा और सहायक नदियों असि, वरुणा के जीर्णोद्धार में देरी पर एनजीटी ने कड़ी टिप्पणी की
UPT | गंगा नदी

Nov 18, 2024 23:17

वाराणसी में गंगा एवं उसकी सहायक नदियों असि और वरुणा के जीर्णोद्धार में देरी एवं स्वच्छता को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सख्त रुख दिखाई दिया।

Nov 18, 2024 23:17

Varanasi News : वाराणसी में गंगा और उसकी सहायक नदियों असि और वरुणा के जीर्णोद्धार में हो रही देरी और स्वच्छता को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने सख्त रुख अपनाया है। वाराणसी के जिला अधिकारी एस राजलिंगम ने एनजीटी की पीठ के सामने वर्चुअल तरीके से पेश होकर गंगा की स्वच्छता को लेकर जवाब दिया। एनजीटी ने उनसे सवाल किया कि क्या आप वाराणसी में गंगा का पानी पीने योग्य मानते हैं या क्या वह स्नान के लिए उपयुक्त हैं? इस पर डीएम से कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर एनजीटी ने कहा कि अगर गंगा का पानी नहाने और पीने योग्य नहीं है, तो गंगा किनारे बोर्ड क्यों नहीं लगवा दिए जाते, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि गंगा का पानी अब नहाने या पीने योग्य नहीं है। इस पर डीएम ने कहा कि यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है और वे शासन की मंशा के अनुसार ही कार्य करते हैं।

गंगा पानी की स्थिति पर सवाल
एनजीटी ने आगे कहा कि डीएम के पास बहुत पावर है, इसलिए उन्हें अपनी स्थिति पर झूठा हताशा नहीं दिखानी चाहिए। इसके बाद एनजीटी ने सरकार के वकील को गंगा और वरुणा-असि नदियों के जीर्णोद्धार के वर्तमान हालात और प्रगति पर तुरंत हलफनामा देने का निर्देश दिया। यह हलफनामा 13 दिसंबर तक दाखिल करने को कहा गया है। तीन महीने पहले एनजीटी ने वाराणसी के डीएम पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था, जब गंगा और उसकी सहायक नदियों के जीर्णोद्धार के कार्यों में कोई प्रगति नहीं दिखी थी।



एनजीटी ने डीएम को चेतावनी दी
4 अगस्त 2024 को एनजीटी में याचिका दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि गंगा और उसकी सहायक नदियों असि और वरुणा के जीर्णोद्धार के कार्य में बहुत देरी हो रही है। इस याचिका में यह भी बताया गया था कि एनजीटी ने 2021 में इस कार्य को पूरा करने के लिए 5 साल का समय दिया था, लेकिन अब तक 3 साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन किसी भी नदी के क्षेत्र में कोई वास्तविक काम नहीं हुआ है। वरुणा और असि नदियों के उद्गम स्थल भी पहले जैसे ही हैं। एनजीटी ने पहले इन नदियों के कायाकल्प के लिए 12 महीने का समय तय किया था, लेकिन अब तक 33 महीने बीत चुके हैं।

हलफनामा दाखिल करने का निर्देश
इस मामले में एनजीटी की पीठ ने जिलाधिकारी एस राजलिंगम से भी सवाल किया कि उन्होंने इस दौरान क्या प्रयास किए हैं। इसके बाद सरकार के वकील ने गंगा के लिए किए गए प्रयासों और प्रदूषण नियंत्रण के बारे में जानकारी दी। एनजीटी ने सरकार को 13 दिसंबर तक हलफनामा देने का आदेश दिया है और मामले की अगली सुनवाई इसी दिन होगी।

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