प्रदेश की ग्राम पंचायतें पर्यावरण संरक्षण के साथ ही अब अपनी आय बढ़ने पर भी काम कर रही है। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत वाराणसी के गांवों को प्लास्टिक मुक्त किया जा रहा है।
प्लास्टिक मुक्त बन रहे वाराणसी के गांव : ओन रिसोर्स रेवेन्यू मॉडल से होंगे आत्मनिर्भर, ग्राम पंचायतों की बढ़ेगी आय
Sep 14, 2024 18:56
Sep 14, 2024 18:56
- प्लास्टिक मुक्त बन रहे वाराणसी के गांव
- कानपुर की कंपनी खरीदेगी वेस्ट
- दो से तीन रुपये मिलेगी कीमत
प्लास्टिक मुक्त बनाने का होगा काम
ग्रामीण क्षेत्रों को प्लास्टिक मुक्त करने के लिए थ्री आर मेथड पर कार्य किया जा रहा है। इसमें रिड्यूज,रीयूज,रिसाईकल मेथड को फॉलो कर पर्यावरण संरक्षण का काम हो रहा है। मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने बताया कि ग्रामीणों द्वारा इस्तेमाल करने वाले प्लास्टिक को रिसाइकिल किया जाएगा। इसके लिए गांव में सार्वजनिक स्थलों पर बोरे टांगे गए है। प्रत्येक ग्राम पंचायत में विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर 100 बोरे लगे हैं। ग्रामीणों को प्रेरित किया जा रहा है कि प्रयोग की गई प्लास्टिक को इस बोरे में ही डाला जाए। फिर इस प्लास्टिक को तीन विकासखंड पिंडरा ब्लाक के नोहिया, सेवापुरी ब्लाक के भीषमपुर और चिरईगांव के बर्थराकला गांव में लगे पीडब्लूएमयू में ले जाकर रिसाइकल करके प्लास्टिक पिलेट्स बनाया जायेगा।
कानपुर की कंपनी खरीदेगी
कानपुर की एक कंपनी से इसे उचित दामों पर खरीदने की बात चल रही है। इसके लिए सभी ग्राम पंचायतों से एमओयू भी किया गया है। इसे बेचने से ग्राम पंचायतों की आय भी बढ़ेगी। इसके अलावा चिरईगांव मे लगे पीडब्लूएमयू से निकले प्लास्टिक को पीडब्ल्यूडी, आरईएस और जिला पंचायत की सड़क बनाने के लिए बेचा जायेगा। इससे सड़कों की गुणवत्ता में भी सुधार आयेगा।
दो से तीन रुपये मिलेगी कीमत
एडीपीआरओ राकेश यादव ने बताया कि गांवों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 'ओन रिसोर्स रेवेन्यू मॉडल' पर काम हो रहा है। ग्राम पंचायत से कंपनी दो से तीन रुपये में प्लास्टिक पिलेट्स खरीदेगी। कार्बन क्रेडिट से भी ग्राम पंचायतों को आमदनी होगी। एक ब्लॉक से लगभग एक टन हर महीने प्लास्टिक निकलने की संभावना है, जिसे कंपनी रीसाइकल करेगी। एक यूनिट से स्वयं सहायता समूह की लगभग पांच से 10 महिलाओं और मशीन संचालन के लिए अन्य लोगों को रोजगार मिलेगा।
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