ताज नगरी में रियल एस्टेट से जुड़े कारोबारियों द्वारा आम आदमी के साथ धोखाधड़ी करना कोई नई बात नहीं है। यहां पर ऐसे कई बिल्डर हैं, जो धोखाधड़ी के चलते आज भी सलाखों के पीछे हैं या जेल की हवा खाए हुए हैं। ऐसे धोखाधड़ी...
Agra News : रियल एस्टेट कारोबारी पर नौ करोड़ की धोखाधड़ी का मामला दर्ज, पढ़िये गजब की कहानी...
Oct 10, 2024 16:22
Oct 10, 2024 16:22
- डीसीपी सिटी के आदेश पर दर्ज हुआ मुकदमा।
- पीड़ित ने डीसीपी सिटी से बयां किया था अपना दर्द।
पहले भी लग चुके हैं कई आरोप
बताते चलें कि इससे पहले भी प्रखर गर्ग पर धोखाधड़ी के कई आरोप लग चुके हैं। धोखाधड़ी के मामले में पुलिस उन्हें जेल भी भेज चुकी है। ताजा मामला तीन कंपनियों से जुड़ा हुआ है और तीनों ही कंपनियों में प्रखर गर्ग निदेशक हैं। जबकि तीनों कंपनियों के अन्य डायरेक्टर अलग-अलग हैं। इनमें एक कंपनी आरएम इन्फ्रा वेंचर्स, दूसरी एसआर इन्फ्रा रेन्टल्स प्राइवेट लिमिटेड तथा तीसरी स्लोप बिल्डर्स है। हरी पर्वत में मुकदमा दर्ज होने के बाद उनकी मुश्किल और अधिक बढ़ सकती है।
साल 2018 में हुआ था सौदा
थाना हरी पर्वत में मुकदमा दर्ज कराने वाले अरुण सांधी ने बताया कि अप्रैल 2018 में उन्होंने जी होटल, सेन्ट्रल बैंक रोड, कमला नगर, आगरा के दूसरे और तीसरे तल की खरीद के लिए 5 करोड़ रुपये में सौदा किया था। यह सौदा आरएम इंफ्रा वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर प्रखर गर्ग, सतीश गुप्ता, सुमित कुमार जैन और मुकेश कुमार जैन के साथ हुआ था।
धोखे की गजब कहानी
अरुण सांधी खरीददार थे, जबकि प्रखर और उनके सहयोगी विक्रेता। सौदे के हिसाब से अरुण ने 2.82 करोड़ रुपये का भुगतान एनईएफटी से कर दिया, लेकिन अरुण ने संपत्ति की रजिस्ट्री की बात कही तो प्रखर गर्ग आदि ने उससे यह कहा कि उन्हें द्वारकापुरम, कमला नगर की अपनी संपत्ति बेच दें। उसके पैसे होटल के इस सौदे में एडजस्ट कर देंगे। इसके साथ ही महेंद्र बाधवानी द्वारा दिए गए तीन फ्लैटों के एक करोड़ रुपये भी होटल के पेमेंट में एडजस्ट कर लेंगे। अरुण सांधी का कहना है कि इन लोगों की बात का भरोसा कर उन्होंने एक, द्वारिकापुरम प्रापर्टी का पहले और तीसरे फ्लोर की रजिस्ट्री एसआर इन्फ्रा रेन्टल्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम कर दी।
कोविड महामारी के कारण टालते रहे
इस कंपनी के डाइरेक्टर प्रखर गर्ग, उनकी पत्नी राखी गर्ग और नवदीप मेहता थे। इसके एवज में उन्हें प्रखर गर्ग की कंपनी से 1,56,88,350 रुपये मिलने थे, जिसका प्रखर गर्ग ने चेक दिया था। बैंक में लगाने पर यह चेक बाउंस हो गया तो उन्होंने प्रखर गर्ग सहित अन्य लोगों से बातचीत की और हिसाब किताब कर जी होटल के दोनों फ्लोर्स की रजिस्ट्री करने को कहा, लेकिन इन लोगों ने ऐसा नहीं किया। अरुण सांधी का कहना है कि इसके बाद प्रखर गर्ग और उनके साथी कोविड-19 महामारी के कारण मामले को टालते रहे। अरुण सांधी के अनुसार, उनके हक में न तो जी होटल की रजिस्ट्री हुई और न ही इनके लोगों द्वारा द्वारिकापुर में खरीदी गई उनकी संपत्ति का पेमेंट ही किया। उन्होंने बार-बार जी होटल के बैनामे के लिए कहा तो आरोपियों ने ऐसा करने से साफ तौर पर इंकार कर दिया। प्रार्थी ने अपने 6.39 करोड़ रुपये वापस मांगे तो पांच-पांच लाख के चेक दिए, जो बैंक में लगाने पर बाउंस हो गए। इस पर उसने पहले दिए गए दूसरे चेक भी लगाए तो वे भी बाउंस हो गए।
ईडी ने फ्रीज किया है खाता
अरुण सांधी ने मुकदमे में 2020 में हुए एक सौदे की धोखाधड़ी का भी जिक्र किया है। अरुण सांधी के अनुसार आगरा के एमजी रोड पर कुतलूपुर स्थित एक अन्य संपत्ति का सौदा उसने स्लोप बिल्डर्स के साथ किया। इस कंपनी में प्रखर गर्ग, विजय निझावन, सचिन निझावन निवासी भरतपुर हाउस, डाइरेक्टर हैं। आरोप है कि इस संपत्ति में फर्निशिंग का काम नहीं कराया गया और न ही मासिक किराया 4.50 लाख रुपये का भुगतान किया गया। इस सौदे में भी करीब 2.66 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई है। अरुण सांधी का आरोप है कि आरोपियों ने उसके साथ धोखाधड़ी कर करोड़ों रुपये हड़प लिए हैं। जब उन्होंने अपने पैसे वापस मांगने का प्रयास किया, तो उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई। आरोपियों के खिलाफ कई अन्य धोखाधड़ी के मुकदमे भी दर्ज हैं और इनके बैंक खातों को ईडी द्वारा फ्रीज किया गया है।
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