May 04, 2024 23:05
https://uttarpradeshtimes.com/agra/agra-news-if-you-are-going-to-get-treatment-in-the-district-hospital-then-be-careful-otherwise-you-may-lose-your-life-16833.html
Agra News (प्रदीप कुमार रावत) : अगर आप आगरा जनपद से संबंध रखते हैं और खुद को या फिर आपने किसी करीबी को उपचार के लिए जिला अस्पताल में ले जाना चाहते हैं तो अब आपको सतर्क हो जाना चाहिए। जिला अस्पताल एक बार फिर चर्चाओं में है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और स्वास्थ्य मंत्री एवं डिप्टी सीएम बृजेश पाठक उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य विभाग की चरमराई हुई व्यवस्था को दुरुस्त करने में क्यों न लगे रहें, लेकिन उनके अधिकारी और कर्मचारी मुख्यमंत्री और सरकार की मंशा पर पलीता लगा रहे हैं। यह हम नहीं कह रहे बल्कि जिला अस्पताल आगरा के हालात बयां कर रहे हैं।
आने वाले मरीजों की भी कोई फ़िक्र नहीं
उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की चरमराई हुई व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए प्रदेश सरकार लगातार क़वायदें करती हुई दिखाई देती है, लेकिन जब सरकारी सिस्टम ही सरकार के खिलाफ हो जाए तो व्यवस्थाएं राम भरोसे हो जाती हैं। आगरा के जिला अस्पताल में भी इन दिनों कुछ ऐसा ही चल रहा है। प्रदेश सहित पूरे देश में आम चुनाव के चलते आदर्श आचार संहिता लगी हुई है, और इसी आचार संहिता के चलते अधिकारी लापरवाह हो गए हैं, उन्हें अस्पताल आने वाले मरीजों की भी कोई फ़िक्र नहीं है।
आधा घंटे तक लिफ्ट में फंसे रहे बाबू
अगर आप आगरा के जिला अस्पताल आ रहे हैं तो आपको सावधान हो जाना चाहिए। जिला अस्पताल में आपकी जान पर संकट बन सकती है। अगर आपको जिला अस्पताल की लिफ्ट में जाना है तो पहले सोचें। कहीं आपकी जान खतरे में न पड़ जाए। आजकल ऐसा ही जिला अस्पताल में देखने को मिल रहा है। शुक्रवार को जिला अस्पताल की लिफ्ट में अस्पताल के ही दो बाबू फंस गए। लिफ्ट आधे रास्ते में खराब हो गई और रुक गई। आनन-फानन में लोकल मैकेनिक को बुलाकर उसे ठीक कराया गया। भीषण गर्मी में आधा घंटे तक बाबू उसमें फंसे रहे।
प्रमुख अधीक्षक ने झाड़ा पल्ला
इधर प्रमुख अधीक्षक ने मशीनरी है खराब होती है कहकर पल्ला झाड़ दिया। लिफ्ट पहली बार खराब नहीं हई. कई खराब हो चुकी है और मरीज, सरकारी कर्मचारी फंस चुके हैं। गौरतलब है कि जिला अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए प्रदेश सरकार ने दो लिफ्ट लगवाई थीं। अस्पताल में प्रतिदिन करीब तीन से चार हजार तक मरीज आते हैं। इन लिफ्टों से मरीज एवं अस्पताल के कर्मचारी जाते हैं। शुक्रवार की शाम को जिला अस्पताल के दो बाबू केके आचार्य और शुभम छुट्टी करने के बाद लिफ्ट से नीचे उतर रहे थे। बीच में लिफ्ट रुक गई। उन्होंने बटन दबाकर चलाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं चलीं। दोनों घबरा गए। गर्मी में परेशान होने लगे। उन्होंने प्रमुख अधीक्षक डॉ.राजेन्द्र कुमार अरोड़ा को बताया। उन्होंने अस्पताल के कुछ लोगों को भेजा। शहर से ही लोकल मैकेनिक को बुलाया गया। उसने लिफ्ट को ठीक किया। करीब आधा घंटे तक दोनों उसमें फंसे रहे।
पहले भी कई बार हो चुकी है खराब
जिला अस्पताल में यह कोई पहला मामला नहीं है जब लिफ्ट खराब हुई हो। यहां लिफ्ट ख़राब होती रहती हैं। एक लिफ्ट कई महीने बंद रही। खराब लिफ्ट को शहर से ही मैकेनिक को बुलाकर ठीक करा दिया जाता है। कंपनी के मैकेनिकों को नहीं बुलाया जाता। अगर लिफ्ट को कंपनी के द्वारा ठीक कराया जाए तो जल्दी खराब नहीं होगी।
लिफ्ट में नहीं सुविधा
इस भीषण गर्मी में जिला अस्पताल की लिफ्ट पंखा नहीं है। जिससे मरीज एवं कर्मचारी परेशान होते हैं। कई बार अधिकारियों को बताने के बाद भी समस्या को हल नहीं किया गया है। एसआईंसी /प्रमुख अधीक्षक डॉ. राजेंद्र अरोड़ा तीसरे तल पर बैठते हैं, अगर किसी मरीज की कोई समस्या है तो उसे थर्ड फ्लोर पर जाना पढ़ता है, ऐसे में अगर कोई मरीज लिफ्ट से सेकंड या थर्ड फ्लोर पर जाए और बीच में ही लिफ्ट बंद हो जाए तो किसी बुजुर्ग मरीज की क्या स्थिति होगी समझा जा सकता है। बीच में लिफ्ट ख़राब होने से जो मरीज चिकत्सक को अपने मर्ज का उपचार कराने यहां आते हैं।