यमुना नदी का पानी अब सिर्फ गंदा नहीं बल्कि जहरीला भी हो गया है, जिससे यह न तो पीने लायक है और न ही नहाने के लिए सुरक्षित। हाल ही में केंद्रीय जल आयोग द्वारा जारी की गई रिपोर्ट ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया ...
सिर्फ मैली ही नहीं, जहरीली भी हुई यमुना: तारणहारिणी का जल नहीं है अब छूने लायक, पानी की जांच रिपोर्ट आई चौंकाने वाली
Dec 07, 2024 18:15
Dec 07, 2024 18:15
आगरा और मथुरा में पानी की स्थिति गंभीर
केंद्रीय जल आयोग ने आगरा और मथुरा के यमुना नदी के पानी के सैंपल की जांच की जिसमें भारी धातुओं की उपस्थिति पाई गई। पूरे देश में आगरा और मथुरा उन 187 शहरों में शामिल हैं, जहां नदियों में तीन भारी धातुएं पाई गई हैं।
यमुना में मिल रहे कैंसर के तत्व
केंद्रीय जल आयोग की स्टेटस ऑफ ट्रेस एंड टॉक्सिक मेटल्स इन इंडियन रिवर्स रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि यमुना के पानी में आर्सेनिक, कैडमियम, क्रोमियम, कॉपर, आयरन, मरकरी, निकिल, लेड और जिंक जैसे भारी धातुएं पाई जा रही हैं। ये धातुएं लोगों के स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक साबित हो रही हैं और लंबे समय तक इनके संपर्क में रहने से गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। इन धातुओं का अत्यधिक स्तर हृदय रोग, किडनी फेल, त्वचा रोग और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है।
इन कारणों से दूषित हो रही है यमुना
यमुना में इन जहरीली धातुओं के घुलने के प्रमुख कारण इलेक्ट्रोप्लेटिंग इकाइयां, केमिकल फैक्टरियों का कचरा, वेल्डिंग, रिफाइनिंग, मैटलर्जी, लकड़ी और कोयला जलाना, पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल, कचरा डंप करना और अन्य औद्योगिक कचरा है। इन कारकों के चलते यमुना का पानी जहरीला होता जा रहा है जो अब न केवल लोगों के लिए हानिकारक है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी खतरे का कारण बन चुका है।
आगरा में धातुओं की उच्चतम मात्रा
आगरा में यमुना के पानी में पाई गई भारी धातुओं के स्तर की बात करें तो निकिल (28.87), क्रोमियम (135.15), और लेड (23.41) की मात्रा काफी अधिक पाई गई है। इन धातुओं का संपर्क त्वचा रोग, पेट के रोग, अल्सर, फेफड़ों की खराबी, हृदय रोग, किडनी फेल और कैंसर जैसे समस्याओं का कारण बन सकता है।
वाटर वर्क्स में जांचने के उपकरण ही नहीं
आगरा में जीवनी मंडी और सिकंदरा वाटर वर्क्स हैं। इनमें से सिकंदरा वाटर वर्क्स पर 144 एमएलडी क्षमता का एमबीबीआर प्लांट है। यहां यमुना के पानी का शोधन कर आधे शहर को सप्लाई किया जाता है। भारी धातुओं को जांचने के उपकरण वाटर वर्क्स के पास नहीं है, वहीं जलकल विभाग के पास वाटर वर्क्स पर पानी शोधित करने की पुरानी तकनीक है जो भारी धातुओं को अलग नहीं कर सकती।
पर्यावरणविदों ने जताई चिंता
पर्यावरणविद डॉ. संजय कुलश्रेष्ठ का कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा फैक्टरियों से वेस्ट को यमुना में छोड़ने पर पूरी तरह से रोक लगाने का दावा किया गया है, लेकिन यमुना में भारी धातुएं इतनी बड़ी मात्रा में कैसे आ गईं यह एक बड़ा सवाल है। इस रिपोर्ट ने कागजों पर लगी रोक की पोल खोल दी है और अब समय है कि इस मामले में गंभीरता से कार्रवाई की जाए। इस स्थिति को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि अगर शीघ्र ही इस प्रदूषण को नियंत्रित नहीं किया गया तो यमुना का पानी मानव जीवन के लिए और भी ज्यादा खतरे का कारण बन सकता है।
आगरा में ये धातुएं ज्यादा
- धातु मात्रा
- निकिल 28.87
- क्रोमियम 135.15
- लेड 23.41
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