महुआशाला, नंदगवां, हथकांत घाट पर निकले करीब 900 नन्हे मेहमान, नर घड़ियाल की पीठ पर सवार होकर चंबल नदी में पहुंचे...
Agra News : चंबल नदी में 900 नन्हे घड़ियालों की किलकारी गूंजी, अपने पिता की पीठ पर सवार होकर पानी की गहराइयों में पहुंचे
Jun 10, 2024 13:46
Jun 10, 2024 13:46
- चंबल नदी में 900 नन्हे घड़ियालों की किलकारी
- पिता की पीठ पर सवार होकर पानी की गहराइयों में पहुंचे
- 16 साल पहले अनजान कारणों से हुई थी कई घड़ियालों की मौत
वन विभाग के मुताबिक पाली (राजस्थान) से पचनदा (इटावा) तक तीन राज्यों मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान में होकर बहने वाली चंबल नदी में 1979 से लुप्तप्राय स्थिति में पहुंचे घड़ियालों का संरक्षण हो रहा है।
16 साल पहले अनजान कारणों से हुई थी कई घड़ियालों की मौत
वर्ष 2008 में चंबल नदी में बाह, इटावा, भिंड, मुरैना में 100 से ज्यादा घड़ियालों की मौत होने से प्रोजेक्ट खतरे में पड़ गया था। तब घड़ियालों की मौत की वजह जानने के लिए विदेशी विशेषज्ञ बुलाने पड़े थे। लिवर सिरोसिस की वजह से घड़ियालों की मौत मानी गई थी। उसके बाद घड़ियालों की संख्या साल दर साल बढ़ी है। इस साल की गणना के मुताबिक 2456 घड़ियाल हो गए हैं।
चंबल नदी को प्रदूषण मुक्त माना जाता है, और यह मगरमच्छों की दो प्रजातियों - मगर और घड़ियाल, मीठे पानी के कछुओं की आठ प्रजातियों, चिकनी-लेपित ऊदबिलाव, गंगा नदी डॉल्फ़िन, स्कीमर, ब्लैक-बेलिड टर्न, सारस क्रेन सहित विविध जीव-जंतुओं का जमावड़ा नदी में रखती है।
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